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जम्मू। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कोरोना महामारी के प्रसार के दौरान जान गंवाने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के प्रत्येक मृत कर्मचारी के परिजनों को बुधवार को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि का चेक सौंपा।
उपराज्यपाल ने लोगों की सेवा करने हेतु समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्वास्थ्य कर्मियों एवं उनके परिवारों के प्रति आभार व्यक्त किया।
श्री सिन्हा ने एनएचएम के मृत कर्मचारियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “वित्तीय सहायता उनकी निस्वार्थ सेवा और बलिदान की भरपाई नहीं कर सकती है, हालांकि, यह सुनिश्चित करना हमारा कर्त्तव्य और जिम्मेदारी है कि उनके परिवार के सदस्य सम्मान और गरिमापूर्ण जीवन जिएं।”
उन्होंने कहा कि जिस निस्वार्थ सेवा, त्याग और करुणा की भावना से हमारे स्वास्थ्य कर्मियों, डॉक्टरों और पैरा-मेडिक्स ने कोविड महामारी और टीकाकरण अभियान के दौरान लोगों की सेवा की है, वास्तव में प्रेरणादायक है।

उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए पेश किए गए सुधारों पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, जम्मू-कश्मीर का स्वास्थ्य क्षेत्र सभी के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती, सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए एक बड़े बदलाव से गुजरा है। स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में पहले मौजूद क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर कई मापदंडों पर राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। स्वास्थ्य संकेतक आम नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयासों का उदाहरण हैं।
श्री सिन्हा ने कहा, “गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने की हमारी यात्रा में, हमने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी, जन-केंद्रित और न्यायसंगत बनाने का विशेष ध्यान रखा है।” उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के विस्तृत नेटवर्क, एमबीबीएस सीटों में पर्याप्त वृद्धि, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, एम्बुलेंस सेवाओं, मोबाइल क्लीनिकों के अलावा चिकित्सा सुविधाओं के विकेंद्रीकरण ने दूरस्थ और दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सुनिश्चित किया है।

श्री सिन्हा ने कहा कि ‘कोई भी उपचार, कहीं भी, कभी भी’ की व्यवस्था को लागू करने के लिए कई सुधार किए गए। ‘ई-सहज’ पहल में डॉक्टरों से ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट और मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। इस पहल के तहत 575 स्वास्थ्य सुविधाओं को शामिल किया गया है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन आम लोगों के इलाज पर रोजाना दो करोड़ रुपये खर्च कर रहा है और हमारी 97 प्रतिशत आबादी के पास बीमा कवर है। प्रदेश के 80 लाख नागरिकों को सेहत गोल्डन कार्ड प्रदान किए गए हैं, जिससे उन्हें देश भर के 28,000 अस्पतालों में उपचार की सुविधा मिल गयी है। आज सभी जिलों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने कहा कि सभी जिला अस्पतालों में जराचिकित्सा और बाल चिकित्सा वार्ड स्थापित किए गए हैं।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के प्रशासनिक सचिव भूपिंदर कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने उपराज्यपाल के निर्देशों के तहत जम्मू-कश्मीर कंट्रीब्यूटरी कॉर्पस फंड की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मचारियों को विकलांगता या मृत्यु के कारण वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मृतक एनएचएम कर्मचारियों के कुल 34 परिवारों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की गई है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जम्मू-कश्मीर के मिशन निदेशक संजीव गडकर ने मृत कर्मचारियों के परिवारों के कल्याण के लिए विभाग की हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर राजभवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वरिष्ठ अधिकारी एवं पदाधिकारी तथा मृत कर्मचारियों के परिवार के सदस्य उपस्थित थे।