नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति को लेकर बनाए गए कॉलेजियम पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को देश की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने पर कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
रिजिजू ने कहा- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की संवेदनशील रिपोर्ट के कुछ हिस्से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सार्वजनिक डोमेन में डाल दिए गए। खुफिया एजेंसी के अधिकारी देश के लिए गुप्त तरीके से काम करते हैं और अगर उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है तो वे भविष्य में इसे लिखने पर दो बार सोचेंगे। यह गंभीर चिंता का विषय है।
रॉ-आईबी की रिपोर्ट्स को लेकर विवाद क्यों?
दरअसल, यह मामला समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त करना चाहता है, लेकिन केंद्र ने कृपाल के नाम पर आपत्ति दर्ज कराई थी। केंद्र ने इसके लिए खुफिया एजेंसी रॉ-आईबी की रिपोर्ट का हवाला दिया था। इसमें समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल के विदेशी पार्टनर को लेकर सवाल खड़ा किया गया है, लेकिन कॉलेजियम ने इन एजेंसियों की आपत्तियों को खारिज कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते पहली बार जजों के बारे में दी गईं केंद्र की आपत्तियों और रॉ-आईबी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक कर दिया था। तब रिजिजू ने कहा था कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर मैं उचित समय पर प्रतिक्रिया दूंगा।
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स में क्या था?
खुफिया एजेंसी रॉ ने समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल के विदेशी पार्टनर को लेकर सवाल उठाया था। सौरभ कृपाल के पार्टनर निकोलस जर्मेन वाकमैन स्विस नागरिक हैं। वह स्विस दूतावास में काम करते हैं। केंद्र सरकार इसी बात को लेकर सौरभ कृपाल की नियुक्ति पर आपत्ति जता रही है। खुफिया एजेंसी के जवाब में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा था कि रॉ ने जो कुछ भी बताया, उससे यह बिल्कुल नहीं लगता कि कृपाल से राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर पड़ेगा। पहले से यह मान लेना कि उनके पार्टनर भारत के प्रति दुश्मनी का भाव रखते होंगे, गलत है।