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नई दिल्ली। भारत और मिस्र ने अपने संबंधों को सामरिक साझीदारी में बदलने तथा सांस्कृति एवं सभ्यतागत आदान प्रदान को बढ़ाने के साथ साथ साइबर जगत, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, युवा मामले एवं प्रसारण के क्षेत्र में सहयोग काे मज़बूत बनाने का आज संकल्प लिया। दोनों देशों ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना आतंकवाद को विदेश नीति के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किये जाने की कड़ी निंदा की और इस बारे में गहन सहयोग का भी इरादा जताया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्तेह एल सिसी के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में ये संकल्प लिये गये। इस दौरान दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ की स्मृति में विशेष रूप से प्रकाशित डाक टिकटों का भी आदान प्रदान किया गया।
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बैठक के बारे में संवाददाताओं को बताया कि भारत एवं मिस्र ने अपने संबंधों को मुख्यत: चार स्तंभों पर सामरिक साझीदारी में बदलने का फैसला किया है जो हैं -राजनीतिक एवं सुरक्षा सहयोग, आर्थिक सहयोग, वैज्ञानिक एवं अकादमिक आदान-प्रदान तथा एक व्यापक सांस्कृतिक एवं जनता के बीच पारस्परिक संपर्क। उन्होंने कहा कि भारत एवं मिस्र कृषि, डिजीटलीकरण, संस्कृति एवं कारोबार के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं।

श्री क्वात्रा ने बताया कि दोनों नेताओं ने बैठक में किसी देश द्वारा आतंकवाद को उसकी विदेश नीति के उपकरण के रूप में इस्तेमाल की कड़ी निंदा की तथा आतंकवाद और उसका वित्तपोषण करने वालों, आतंकवादियों को समर्थन, सहयोग एवं पनाह देने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं करने यानी ज़ीरो टॉलरेंस की नीति का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत एवं मिस्र दोनों ही आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं। इसलिए आतंकवाद से मुकाबले को लेकर गहन सहयोग स्थापित करने एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ तालमेल स्थापित करने के बारे में भी बातचीत हुई।

बैठक में दोनों देशों के बीच पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करके आदान प्रदान किया जिनमें साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक आदान प्रदान, युवा मामलों में आदान प्रदान, प्रसारण के क्षेत्र में परस्पर सहयाेग में वृद्धि के प्रस्ताव शामिल हैं।
बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में मिस्र के राष्ट्रपति श्री एल-सिसी और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत करते हुए कहा, “कल हमारे गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। ये पूरे भारत के लिए सम्मान और हर्ष का विषय है। यह खुशी की बात है कि मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी परेड की शोभा बढ़ा रही है।”

उन्होंने कहा कि भारत और मिस्र विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से हैं। हमारे बीच कई हज़ारों वर्षों का अनवरत नाता रहा है। चार हजार वर्षों से भी पहले, गुजरात के लोथल बंदरगाह के माध्यम से मिस्र के साथ व्यापार होता था और विश्व में विभिन्न परिवर्तन के बावजूद हमारे संबंधों में स्थिरता रही है और हमारा सहयोग निरंतर सुदृढ़ रहा है। राष्ट्रपति एल सिसी पिछले कुछ वर्षों में हमारे आपसी सहयोग में और गहराई आई है। इस वर्ष भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान मिस्र को अतिथि देश के रूप आमंत्रित किया है, जो हमारी विशेष मित्रता को दर्शाता है।
श्री मोदी ने कहा, “अरब सागर के एक छोर पर भारत है तो दूसरी ओर मिस्र है। दोनों देशों के बीच सामरिक समन्वय पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि के क्षेत्र में मददगार होगा। इसलिए आज की बैठक में राष्ट्रपति सिसी और मैंने हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सामरिक साझीदारी के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। हम भारत-मिस्र सामरिक साझीदारी के तहत हम राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में और अधिक व्यापक सहयोग का दीर्घकालिक ढांचा विकसित करेंगे।”

उन्होंने कहा कि भारत और मिस्र दुनिया भर में हो रहे आतंकवाद के प्रसार से चिंतित है। हम एकमत हैं कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा खतरा है। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है। और इसके लिए हम साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सचेत करने का प्रयत्न करते रहेंगे।

श्री मोदी ने कहा कि हमारे बीच सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग बढ़ाने की भी अपार सम्भावनाएँ हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमारी सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। हमने आज की बैठक में अपने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मज़बूत करने और आतंकवाद निरोधक अभियान संबंधी सूचना एवं सुरागों का आदान-प्रदान बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि उग्रवादी विचारधाराओं तथा कट्टरपन को फैलाने के लिए साइबर स्पेस का दुरुपयोग एक बढ़ता हुआ संकट है। इसके खिलाफ भी हम सहयोग बढ़ाएँगे।

उन्होंने कहा, “कोविड महामारी के दौरान हमने स्वास्थ्य रक्षा ढांचे एवं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर जो दुष्प्रभाव पड़े हैं उसको करीब से देखा है। राष्ट्रपति एल सिसी और मैं इस चुनौतीपूर्ण काल में निकट संपर्क में रहे, और दोनों देशों ने आवश्यकता के समय एक दूसरे को तत्काल सहायता भेजी।”
उन्होंने कहा कि आज हमने कोविड और उसके बाद यूक्रेन संघर्ष के कारण प्रभावित हुए खाद्य और फ़ार्मा आपूर्ति श्रृंखला को, उस पर भी मजबूत करने की दिशा में व्यापक चर्चा की है। हम इन क्षेत्रों में आपसी निवेश और व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता पर भी सहमत हुए हैं। हमने मिलकर ये तय किया कि अगले पांच वर्षों में हम अपने द्विपक्षीय व्यापार को 12 अरब डॉलर तक ले जाएँगे।

प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर पक्षकारों की 27 वीं बैठक (सीओपी-27) की सफलतापूर्वक मेजबानी करने और जलवायु के क्षेत्र में विकासशील देशों के हितों को सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए मिस्र की सराहना की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत और मिस्र का लंबा और बेहतरीन सहयोग रहा है। हम दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय विवादों के समाधान के लिए कूटनीति एवं संवाद की आवश्यकता पर भी सहमत हैं।

इस मौके पर मिस्र के राष्ट्रपति श्री एल-सिसी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हम विभिन्न क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग को बढ़ावा देने और नए क्षेत्रों में साझीदारी को बढ़ावा देने पर सहमत हुए हैं। हम अपने क्षेत्रों, मुख्य रूप से निवेश, उच्च शिक्षा, रसायन, दवा उद्योग आदि में सहयोग को मजबूत कराने पर हम सहमत हुए हैं। दिल्ली एवं काहिरा के बीच विमान सेवाओं में विस्तार किया जाना चाहिए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।

उन्होंने कहा, “हमने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बारे में बात की और जलवायु परिवर्तन पर पक्षकारों की 27वीं बैठक (सीओपी-27) पर चर्चा की। हमने मिस्र और भारत के बीच सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा की। मैंने आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए मिस्र को अतिथि देश के रूप में आमंत्रित करने के लिए श्री मोदी को धन्यवाद किया।”

उन्होंने श्री मोदी से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा, “मैं 2015 में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री मोदी से मिला था और मुझे उन पर पूरा भरोसा था। मुझे पता था कि वह अपने देश को आगे ले जाएगा। मैंने हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को काहिरा में आमंत्रित किया है।