0 ईडी ने 10 दिन की रिमांड मांगी, कोर्ट ने उस पर फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति केस में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर अब 21 मार्च को दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी। वहीं ईडी की ओर से सिसोदिया की रिमांड मांगने पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बता दें कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गुरुवार देर शाम गिरफ्तार किया था। आज उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। यहां एजेंसी ने सिसोदिया की 10 दिन की रिमांड मांगी है।
ईडी सिसोदिया को लेकर दोपहर 2 बजे दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंची थी। इसके बाद स्पेशल जज एमके नागपाल ने पहले ईडी की रिमांड पर सुनवाई शुरू की।
कोर्ट में ईडी का पक्ष एडवोकेट जोहेब हुसैन ने रखा। उन्होंने दावा किया कि शराब नीति तैयार करने के पीछे साजिश थी। इसके नियम बदलकर कुछ खास लोगों को 6% की जगह 12% लाभ पहुंचाया गया। सिसोदिया ने इससे जुड़े डिजिटल सबूत भी मिटा दिए।
एजेंसी ने कहा कि शराब नीति केस में 7 और लोगों को नोटिस भेजा है ताकि उन्हें सिसोदिया के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सके। इसके लिए हम सिसोदिया की 10 दिन की रिमांड मांग रहे हैं।
ईडी ने दी कोर्ट में दलीलें
सिसोदिया के प्रतिनिधि ने के कविता से मुलाकात की
ईडी के वकील जोहैब हुसैन ने कहा कि सिसोदिया के असिस्टेंट विजय नायर इस पूरी साजिश को कोऑर्डिनेट कर रहा था। इस घोटाले में सरकारी तंत्र, बिचौलिये और कई अन्य लोग शामिल हैं। ये साजिश नायर, सिसोदिया, तेलंगाना के चीफ मिनिस्टर के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता और कई दूसरे लोगों ने मिलकर रची। इस मामले में 219 करोड़ रुपए के मनी ट्रेल का पता चला है।'
साउथ के ग्रुप ने आप नेताओं को 100 करोड़ घूस दी
उन्होंने कहा कि दक्षिण के ग्रुप ने आप नेताओं को 100 करोड़ की घूस दी। एक ग्रुप बनाया गया ताकि दिल्ली में 30% शराब कारोबार को चलाया जा सके। दस्तावेज दिखाते हैं कि नायर ने सिसोदिया के प्रतिनिधि के तौर पर कविता से मुलाकात की। नायर कविता को यह बताना चाहता था कि सिसोदिया किस तरह से लिकर पॉलिसी को प्रभावित कर सकते हैं।
एक साल में 14 फोन तोड़े, वे सिसोदिया के नाम पर नहीं थे
जोहेब ने कहा कि एक साल के अंदर 14 फोन इस्तेमाल किए गए और बदले गए। इन्हें तोड़ भी दिया गया। सिसोदिया ने उन फोन का इस्तेमाल किया, जिन्हें दूसरों ने खरीदा था। सिम कार्ड भी सिसोदिया के नाम पर नहीं था, ताकि बाद में वो अपने बचाव में इस बात को इस्तेमाल कर सकें।
सिसोदिया शुरुआत से ही टालमटोल कर रहे हैं
उन्होंने दलील दी कि एक फोन भी सिसोदिया के नाम पर नहीं थे। एक सिम कार्ड देवेंदर शर्मा के नाम पर था। यह दिखाता है कि इस केस में बड़े पैमाने पर सबूतों को तबाह किया गया। आप खुद देखिए कि हम सिसोदिया की कस्टडी क्यों चाहते हैं। यह शुरुआत से ही टालमटोल कर रहे हैं।
सिसोदिया के वकील की दलीलें
शराब नीति एक चुनी हुई सरकार ने बनाई
मनीष सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन ने कहा, 'ED कह रहा है कि यह पॉलिसी गलत है। एक चुनी हुई सरकार ने यह पॉलिसी बनाई है। यह कई परतों से गुजरती है। ये सरकार के पास जाती है, अफसरों के पास जाती है। फाइनेंस और लॉ सेक्रेटरी के पास जाती है। ये पॉलिसी उप-राज्यपाल के पास जाती है।'
ईडी जल्दबाजी की बात कह रही, ऐसे अनेकों उदाहरण हैं
उन्होंने कहा, 'यह शराब नीति उप-राज्यपाल के पास गई। एलजी यानी केंद्र सरकार। उन्होंने 3 बातें पूछी थीं, लेकिन इनमें से एक भी प्रॉफिट मार्जिन या एलिजिबिलिटी से जुड़ी हुई नहीं थी। ईडी जल्दबाजी के बारे में बात कर रही है। मैं जल्दबाजी के ऐसे बहुत सारे उदाहरण दे सकता हूं। नोटबंदी की गई और इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक करार दिया।
ईडी एक रुपए की जांच नहीं कर पाई, बस कह रही- हमने सुना
कृष्णन बोले कि ईडी कह रही है कि विजय नायर सिसोदिया की ओर से काम कर रहे थे। ईडी अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं ढूंढ़ पाई है, जिसमें सिसोदिया को एक भी रुपया भेजा गया हो। अभी तक वो ऐसा क्यों नहीं कर पाए हैं? दस्तावेज देख लीजिए। सब जगह ईडी कह रही है, हमने सुना, हमने सुना।
जांच एजेंसी अरेस्ट करना अपना अधिकार समझने लगी हैं
सिसोदिया के दूसरे वकील मोहित माथुर ने कहा कि इन दिनों ये फैशन बन गया है कि जांच एजेंसी अपने अधिकार समझकर लोगों को अरेस्ट कर रही हैं। समय आ गया है, कोर्ट को ऐसे मामलों में सख्ती से पेश आना चाहिए।