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0 खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने से मिली राहत
0 जनवरी में 6.52% रही थी महंगाई

नई दिल्ली। देश में फरवरी महीने में रिटेल महंगाई घटकर 6.44% पर आ गई है। यह जनवरी 2023 में 6.52% और दिसंबर 2022 में 5.72% पर रही थी। तीन महीने पहले नवंबर 2022 में रिटेल महंगाई 5.88% थी। वहीं पिछले साल फरवरी में यह 6.07% रही थी। खाने-पीने की चीजों के दाम कुछ कम होने से फरवरी में महंगाई दर में थोड़ी कमी आई है।

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) के बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाद्य पदार्थों की ही होती है। बीते महीने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में गेहूं जैसे खाद्यान्न के भाव घटे हैं। सरकार ने सप्लाई भी बढ़ाई है। इसका असर भी रिटेल महंगाई के आंकड़ों पर पड़ा है। सोसायटी जनरल के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू ने कहा था कि अगली कुछ तिमाहियों तक महंगाई ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है। लेकिन इसके कम होने की रफ्तार धीमी रहेगी। पिछले साल रुपए में 10% से ज्यादा गिरावट का असर भी महंगाई पर दिख सकता है।

रिजर्व बैंक की सख्त पॉलिसी में ढिलाई की संभावना नहीं
खाने की चीजें और एनर्जी को छोड़कर कोर इन्फ्लेशन में फिलहाल कोई कमी नजर नहीं आ रही। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, फरवरी में ये 6% की सीमा से ऊपर ही रहेगी। इसके चलते RBI की मौद्रिक नीति में ढिलाई की संभावना नहीं है। ब्याज दरें और बढ़ सकती हैं।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

सीपीआई क्या होता है?
दुनियाभर की कई इकोनॉमी महंगाई को मापने के लिए डब्ल्यूपीआई (Wholesale Price Index) को अपना आधार मानती हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। हमारे देश में डब्ल्यूपीआई के साथ ही सीपीआई को भी महंगाई चेक करने का स्केल माना जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक (मेन स्टैंडर्ड) मानता है। अर्थव्यवस्था के स्वभाव में डब्ल्यूपीआई और सीपीआई एक-दूसरे पर असर डालते हैं। इस तरह डब्ल्यूपीआई बढ़ेगा, तो सीपीआई भी बढ़ेगा।

रिटेल महंगाई की दर कैसे तय होती है?
कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।