0 समुद्र में लोकेशन वहां रहेगी, जहां चीन-पाक से ज्यादा खतरा
नई दिल्ली। आर्मी और एयरफोर्स के बाद अब इंडियन नेवी रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण समुद्री इलाकों में ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती करेगी। नौसेना के रिटायर्ड चीफ वाइस एडमिरल सतीश एन घोरमाडे ने शनिवार को न्यूज एजेंसी से बातचीत में बताया कि ब्रम्होस की तैनाती उन इलाकों में होगी जहां चीन और पाकिस्तान से सबसे ज्यादा खतरा है।
बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपए का समझौता किया था। इसके तहत समुद्री तटों के पास नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (NGMMCB-LR) और ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात करने का फैसला हुआ था। 2027 तक नेवी को इनकी डिलिवरी शुरू हो जाएगी।
घोरमाडे ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने हाल ही में 17 वॉरशिप के प्रपोजल को मंजूरी दी है। इनमें छह नेक्स्ट-जेन मिसाइल पोत और 11 नेक्स्ट-जेन ऑफशोर पेट्रोलिंग जहाज (OPV) सहित दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल हैं। यह भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला है।
घोरमाडे ने कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन पेट्रोलिंग जहाजों की डील से हिंद महासागर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में नेवी की निगरानी क्षमता बढ़ेगी। इससे हमें मिशन बेस्ड डिप्लॉयमेंट को ट्रैक और मॉनिटरिंग करने में मदद मिलेगी। 11 OPV हमें 2026 तक मिल जाएंगे। इनका निर्माण गोवा शिपयार्ड और कुछ अन्य कंपनियों को दिया गया है।
इन जहाजों के नेवी में आने से नेवी की युद्ध क्षमता और मजबूत होगी। इसके अलावा एंटी-पायरेसी, काउंटर-इनफिल्ट्रेशन, एंटी-पोचिंग, एंटी-ट्रैफिकिंग, नॉन-कॉम्बैटेंट इवैक्यूएशन ऑपरेशंस, सर्च एंड रेस्क्यू जैसे ऑपरेशन में फायदा होगा।
चीन-पाक के खतरों को बेअसर करेगा ब्रह्मोस
सतीश एन घोरमाडे ने कहा कि समुद्री इलाकों में चीन और पाकिस्तान के खतरे की निगरानी अब ब्रह्मोस मिसाइल करेंगे। ये सभी ब्रह्मोस के अपडेटेड यानी नई तकनीक से लैस रहेंगे। यह दुश्मन देशों से आने वाले किसी भी खतरे को बेअसर कर देंगे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस के नए वर्जन की खास बात है कि यह समुद्र के अलावा जमीन और हवा पर भी निशाना लगा सकता है।