नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भारत के राष्ट्रपति से यहां नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन कराने के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की अवकाशकालीन पीठ ने अधिवक्ता सी आर जया सुकिन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
शीर्ष अदालत के सुनवाई करने से इनकार के बाद याचिकाकर्ता ने पीठ की सहमति के बाद अपनी याचिका वापस ले ली। पीठ ने हालांकि, याचिकाकर्ता से पूछा कि संसद की इमारत के उद्घाटन में उनकी भूमिका कैसी थी। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण बताने वाली दलीलें देते हुए कहा कि वह (द्रौपदी द्रौपदी मुर्मू) संसद की प्रमुख हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि लोकसभा सचिवालय ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति भारत के पहले नागरिक और संसद की संस्था के प्रमुख हैं। संसद में भारत के राष्ट्रपति और सर्वोच्च विधायिका के दो सदन - राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि देश के बारे में सभी महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं, हालांकि, इनमें से अधिकांश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार मंत्रिपरिषद (सीओएम) द्वारा दी गई सलाह पर लिए हैं।
याचिकाकर्ता सुकिन ने कहा, "लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी किया गया बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लोकसभा महासचिव
द्वारा जारी किया गया निमंत्रण रिकॉर्डों के उचित अध्ययन के बिना और बिना सोच विचार के मनमाने ढंग से जारी किया गया है।
गौरतलब है कि नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन रविवार (28 मई ) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।