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रायपुर। जोशी मठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 3 दिन के रायपुर दौरे पर हैं। एक बार फिर उन्होंने दोहराया कि हमें हिंदू राष्ट्र नहीं चाहिए, बल्कि हम रामराज्य की कामना करते हैं। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि अगर वे राजधर्म का निर्वाह करते हैं, तो ये ऐतिहासिक होगा।

अविमुक्तेश्वरानंद सोमवार को बोरियाकला स्थित आश्रम में प्राण-प्रतिष्ठा और विशेष पूजन में शामिल हुए। यहां उन्होंने मीडिया से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने देश में कुछ लोगों के शंकराचार्य होने के दावों को लेकर कहा कि वैदिक धर्म और वेदों की सुरक्षा के लिए 4 पीठों का निर्माण किया गया। हर पीठ पर शंकराचार्य बने। इसके अतिरिक्त कोई और भी स्वयंभू शंकराचार्य बनकर आए, तो उन्हें सही नहीं माना जा सकता।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि पुराने संसद भवन में स्पीकर की सीट के पीछे लिखा था 'यतो धर्मः ततो जयः', लेकिन प्रतीकों के अर्थों का 75 सालों तक सिर्फ उपेक्षा हुई। उसे नहीं माना गया। नई संसद में धर्मदंड तो लगाया गया, लेकिन उसके पीछे अर्थ पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पत्र में या पीएम मोदी के भाषण में कोई बात नहीं आई। शंकराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रतीकों के अर्थ को निभा सकें, तो ये ऐतिहासिक होगा, नहीं तो ये केवल कर्मकांड होकर रह जाएगा। देश की आजादी के समय विद्वानों ने लंबी चर्चा के बाद संविधान बनाया। जिसमें धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की बात स्वीकार की गई। अब अगर लोगों को ऐसा लगता है कि इससे उनकी आकांक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं, तो फिर उन्हें आपस में चर्चा करनी चाहिए और इसका एक फॉर्मेट (प्रारूप) रखना चाहिए। यदि फॉर्मेट सामने आएगा, तो इसके गुण-दोष पर हम विचार कर सकते हैं।

शंकराचार्य ने कहा कि उस समय करपात्री महाराज ने कहा था हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा, रामराज्य की आवश्यकता है, क्योंकि रावण और कंस का भी हिंदू राज्य था। हिंदू राष्ट्र कहने में वो बात नहीं आती जो रामराज्य कहने से आती है। हमें हिंदू राष्ट्र नहीं चाहिए। हम राम राज्य की कामना करते हैं। हिंदू राष्ट्र तो रावण और कंस के पास भी थे, लेकिन प्रजा परेशान थी। सबसे आदर्श कोई राज्य था तो वो था राम राज्य। उन्होंने कहा कि जब नए राज्य की स्थापना करना चाहते हैं, तो हम क्यों न रामराज्य की बात करें, तभी न्याय की स्थापना हो पाएगी।
 
हिन्दू समाज को तोड़ने की साजिश
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि राजनीति के चलते आदिवासियों को हिंदू नहीं हो, ऐसा कह दिया जाता है। हम शहरों में आकर बस गए, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम कभी वनवासी नहीं थे। हमारी जड़ें भी जंगल से जुड़ी हुई हैं। हमें आज भी पेड़ों, फूल-पत्ते, लकड़ियों की आवश्यकता होती है। आज हिंदू समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है, लेकिन हम सभी को एकजुट रहना होगा। आदिवासियों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। भगवान राम के नाम पर हो रही राजनीति पर शंकराचार्य ने कहा कि जो राजा भूखी जनता के दुख को दूर करने का प्रयास करता है, वही असली है, केवल भगवान राम का मंदिर बनाकर उसे साधन के रूप में उपयोग करने से नहीं होगा। हमें यह देखना होगा कि कौन सा राजनीतिक दल भगवान राम को साधन के रूप में इस्तेमाल करता है।

जनता चाहे तो सरकार कर सकती है शराबबंदी
शराबबंदी को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि यदि जनता चाहेगी, तो सरकार की मदद कर शराबबंदी हो सकती है। आज जितने भी अपराध हो रहे हैं, उसमें बहुत बड़ा हाथ शराब का है। यदि अपराध को रोकना है, तो शराबबंदी करनी होगी। महिला पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन पर शंकराचार्य ने कहा कि यदि शिकायत की गई है, तो जांच कराने में समस्या क्या है। जिस सांसद के खिलाफ हमारी बहनें प्रदर्शन कर रही हैं, यदि वह निर्दोष है, तो जांच के बाद साबित हो जाएगा।