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0 चंद्रयान-3 ने लैंडिंग से ठीक पहले का वीडियो भेजा
0 पीएम मोदी 26 अगस्त को इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देने बेंगलुरु जाएंगे

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकल आया है और यह अब यह चंद्रमा की सतह पर घूमेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘विक्रम’ लैंडर से रोवर ‘प्रज्ञान’ के सफलता पूर्वक बाहर आने पर इसरो की टीम को बधाई दी।

उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में कहा कि मैं ‘विक्रम’ लैंडर से रोवर ‘प्रज्ञान’ के सफलता पूर्वक बाहर आने पर एक बार फिर इसरो की टीम और देशवासियों को बधाई देती हूं। विक्रम की लैंडिंग के कुछ घंटों बाद इसका बाहर आना चंद्रयान 3 के एक और चरण की सफलता को दर्शाता है। 

इधर इसरो ने चंद्रयान की लैंडिंग से ठीक पहले का वीडियो गुरुवार शाम जारी किया। यह वीडियो चंद्रयान-3 ने भेजा है। इसमें चांद का खूबसूरत नजारा दिख रहा है। 2 मिनट 17 सेकेंड के इस वीडियो में चांद की सतह पर शुरुआत में लहरों जैसा नजारा दिखा, पास पहुंचते ही वहां गड्‌ढे नजर आए।

इससे पहले, चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद छह पहियों और 26 किलो वाले प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर घूमना शुरू कर दिया। लैंडिंग के करीब 14 घंटे बाद गुरुवार सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रोवर के बाहर आने की पुष्टि की। जबकि इनस्पेस चेयरमैन पवन के गोएनका ने बुधवार देर रात ही प्रज्ञान रोवर की रैंप से बाहर निकलते हुए तस्वीर शेयर कर दी थी।

इसरो ने कहा कि रोवर प्रज्ञान की सभी एक्टिविटीज तय समय पर हो रही हैं। पूरा सिस्टम नॉर्मल है। लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE चालू हो गए हैं। रोवर चलने लगा है।

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बेंगलुरु में इसरो के वैज्ञानिकों से मिलकर उन्हें चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की बधाई देंगे।

चांद की सतह पर आते ही रोवर ने सबसे पहले अपने सोलर पैनल खोले। ये 1 सेमी/सेकेंड की गति से चलता है और अपने आस-पास की चीजों को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल कर रहा है। रोवर अगले 12 दिनों में करीब आधा किलोमीटर का सफर तय करेगा। इसमें दो पेलोड लगे हैं जो पानी और अन्य कीमती धातुओं की खोज में मदद करेंगे।

अगले 12 दिनों के दौरान रोवर डेटा जमा करेगा और इसे लैंडर को भेजेगा। लैंडर इस डेटा को पृथ्वी तक पहुंचाएगा। डेटा पहुंचाने में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की भी मदद ली जाएगी। चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इसे चांद की सतह पर लैंड करने में 41 दिन लगे। लैंडर बुधवार शाम 6:04 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था।

चंद्रयान-3 के साथ कुल 6 पेलोड भेजे गए हैं
चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से है। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुच 6 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड जिसका नाम शेप है वो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है। वहीं लैंडर पर तीन पेलोड लगे हैं। रंभा, चास्टे और इल्सा। प्रज्ञान पर दो पेलोड हैं।

चांद पर भारत का यह तीसरा मिशन था, पहले मिशन में पानी खोजा था
2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 2023 में चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेजा। कहा- 'मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।'

चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई
इसरो ने 30 किलोमीटर की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा किया। चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किलोमीटर दूरी तय करने के लिए 55 लाख किलोमीटर की यात्रा की।

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