0 16 दिन चक्कर लगाएगा, फिर 110 दिन में 15 लाख किमी दूर एल1 पॉइंट पर पहुंचेगा
बेंगलुरु/श्रीहरिकोटा। चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग के 10वें दिन इसरो ने शनिवार को आदित्य एल1 मिशन लॉन्च कर दिया। आदित्य सूर्य की स्टडी करेगा। इसे सुबह 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के एक्सएल वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। आदित्य एल1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन चक्कर लगाएगा, फिर 110 दिन में 15 लाख किमी दूर एल1 पॉइंट पर पहुंचेगा।
रॉकेट ने 63 मिनट 19 सेकेंड बाद आदित्य को 235 x 19500 किमी की पृथ्वी की ऑर्बिट में छोड़ दिया। करीब 4 महीने बाद यह 15 लाख किमी दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है। इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 की पहली ऑर्बिट रेजिंग 3 सितंबर को सुबह 11:45 बजे की जाएगी। ऑर्बिट बढ़ाने के लिए आदित्य एल1 के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए जाएंगे।
लैगरेंज पॉइंट-1 (एल1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में एल1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है। ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और उस पॉइंट के आस-पास चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।
एल1 पॉइंट पर ग्रहण बेअसर, इसलिए यहां भेजा जा रहा
इसरो का कहना है कि एल1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। ये 6 जनवरी 2024 को L1 पॉइंट तक पहुंचेगा।
सूर्य की स्टडी क्यों जरूरी?
जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है। सभी आठ ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा बहती है। इन्हें हम चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
सूर्य दो तरह से एनर्जी रिलीज करता है
सूर्य दो तरह से एनर्जी रिलीज करता है। पहला प्रकाश का सामान्य प्रवाह जो पृथ्वी को रोशन करता है और जीवन को संभव बनाता है। दूसरा प्रकाश, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का विस्फोट जिससे इलेक्ट्रॉनिक चीजें खराब हो सकती हैं।
इसे सोलर फ्लेयर कहा जाता है। जब ये फ्लेयर पृथ्वी तक पहुंचता है तो पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड हमें इससे बचाती है। अगर ये ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइटों से टकरा जाए तो ये खराब हो जाएंगी और पृथ्वी पर कम्युनिकेशन सिस्टम से लेकर अन्य चीजें ठप पड़ जाएंगी।
अब तक का सबसे बड़ा सोलर फ्लेयर 1859 में पृथ्वी से टकराया था। इसे कैरिंगटन इवेंट के नाम से जाना जाता है। तब ग्लोबल टेलीग्राफ कम्युनिकेशन प्रभावित हुआ था। इसीलिए इसरो सूर्य को समझना चाहता है। अगर सोलर फ्लेयर की पहले से जानकारी होगी तो इससे निपटने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
5 पॉइंट में जानें आदित्य एल1 का सफर
0 पीएसएलवी रॉकेट ने आदित्य को 235 x 19500 किमी की पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा।
0 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ाएगा।
0 फिर से आदित्य के थ्रस्टर फायर होंगे और ये L1 पॉइंट की ओर निकल जाएगा।
0 110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के पास पहुंच जाएगा
0 थ्रस्टर फायरिंग के जरिए आदित्य को L1 पॉइंट के ऑर्बिट में डाल दिया जाएगा।