0 कहा-कोर्ट के फैसले भी आसान भाषा में हों, जिससे लोग समझें और उल्लंघन से बचें
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पेशे में सरल भाषा के इस्तेमाल की बात कही है, ताकि आम आदमी को इसे समझने में आसानी हो। रविवार 24 सितंबर को शीर्ष कोर्ट ने ये भी कहा कि कानून के आसान भाषा में होने से लोग भी सोच-समझकर फैसला लेंगे और किसी भी तरह के उल्लंघन से बच पाएंगे। कानून हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होते हैं, ये हमें कंट्रोल करते हैं। इसलिए इनकी भाषा आसान होनी चाहिए।
जस्टिस संजीव खन्ना ने इंटरनेशनल लॉयर कॉन्फ्रेंस में स्पीच के दौरान यह कमेंट किया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। जस्टिस खन्ना ने ये भी कहा कि यह बात हमारी बहस और फैसलों पर भी लागू होती है। क्या लॉ एक पहेली है, जिसे सॉल्व करने की जरूरत है। कानून विवादों को सुलझाने के लिए हैं, ना कि खुद विवादित बनने के लिए। कानून देश के नागरिकों के लिए रहस्य नहीं होना चाहिए।
मनमानी फीस वसूली न्याय के रास्ते में बाधाः जस्टिस खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मुकदमेबाजी और कानूनी पेशे का बिजनेस चिंता का विषय है। मुकदमे की बढ़ती लागत और वकीलों की मनमानी फीस की वजह से कई लोगों को न्याय नहीं मिलता। यह इंसाफ के रास्ते में बड़ी बाधा है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि न्याय सभी के लिए सुलभ रहे। इस पेशे से जुड़े लोग आत्मनिरीक्षण करें।
जस्टिस खन्ना ने ये भी कहा कि कानूनी पेशे की कुछ परंपराओं को फिर से जीवित करने और बचाए रखने के लिए हमें खुद को जिंदा रखना होगा। इस दौरान उन्होंने युवा वकीलों को कम रिटेनरशिप या वजीफा देने का मुद्दा भी उठाया। जस्टिस खन्ना ने कहा कि जैसे विवाद इंसानों के लिए सामान्य हैं, वैसे ही समाधान भी सामान्य हैं। अगर हम सीमा पार व्यापार करते हैं, ऐसे में विवाद होना सामान्य बात है। ऐसे मामलों में निपटारे के लिए इंटरनेशनल लॉ की जरूरत होती है। साथ ही कई ऐसे नियमों की जरूरत भी होती है, जो आसान एग्जीक्यूशन सुनिश्चित करें।