0 नेपाल में दो बार भूकंप आया, पहला 4.6 और दूसरा 6.2 तीव्रता का
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से में मंगलवार दोपहर 2.53 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.6 रही। भूकंप का केंद्र नेपाल के बझांग जिले में था।
बताया जा रहा है कि नेपाल में दो बार भूकंप आया है। पहला 2.25 बजे, जिसकी तीव्रता 4.6 थी। दूसरा झटका 2.53 बजे आया जिसकी तीव्रता 6.2 रहीं। उत्तर प्रदेश में भी झटके महसूस हुए हैं। इसकी तीव्रता 5.5 मापी गई है।
यूपी के लखनऊ, कानपुर, आगरा, नोएडा, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अयोध्या, अलीगढ़, हापुड़, अमरोहा में भूकंप के झटके महसूस किए गए। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी झटके महसूस हुए हैं। राजस्थान के जयपुर, अलवर में करीब 6 से 7 सेकेंड में तीन-चार झटके महसूस किए गए।
हरियाणा में एक दिन में दूसरी बार आया भूकंप
हरियाणा में मंगलवार को एक दिन में दूसरी बार भूकंप आया। पानीपत, रोहतक, जींद, रेवाड़ी और चंडीगढ़ आदि में दोपहर बाद 2:50 पर झटके महसूस हुए। इससे अफरा-तफरी मच गई। लोग घरों से बाहर निकल आए। इससे पहले आज सुबह सोनीपत में 2.7 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक मंगलवार की सुबह 11.06 सेकेंड पर भूकंप आया है। भूकंप का केंद्र सोनीपत बताया जा रहा है। धरती के 8 किलोमीटर नीचे हलचल दर्ज की गई है।
अब जानिए भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
467 साल पहले चीन में आए भूकंप में 8.30 लाख लोगों की मौत हुई
तीव्रता के लिहाज से अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप चिली में 22 मई 1960 को आया था। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 9.5 थी। इसकी वजह से आई सुनामी से दक्षिणी चिली, हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, पूर्वी न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में भयानक तबाही मची थी। इसमें 1655 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 3000 लोग घायल हुए थे। सबसे जानलेवा भूकंप चीन में 1556 में आया था, जिसमें 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी।