Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 एनआईए की अपील सुप्रीम कोर्ट में खारिज
0 कांग्रेस ने कहा- केंद्र किसे बचाने की कोशिश कर रही

नई दिल्ली/रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच को लेकर एनआईए की अपील खारिज कर दी है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इस नक्सली हमले में षड्यंत्र की जांच करेगी। बता दें कि 25 मई 2013 को नक्सलियों ने झीरम हत्याकांड की घटना को अंजाम दिया था। इसमें 30 से ज्यादा कांग्रेस नेता शहीद हो गए थे। लंबे समय से प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ पुलिस से मामले की जांच करवाने की मांग कर रही थी। मामले में कांग्रेस के पक्षकार वकील सुदीप्त श्रीवास्तव ने ये जानकारी दी है।

25 मई साल 2013, यह वह तारीख है जिसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपने इतिहास का काला दिन मानती है। बस्तर के झीरम घाटी में माओवादियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था, इस हमले में कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल जैसे कांग्रेस के कई नेताओं की हत्या हो गई थी।

25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा थी, जो सुकमा से दरभा होते हुए जगदलपुर जा रही थी। सामने नंदकुमार पटेल, फिर कवासी लखमा का काफिला था। इनके बाद महेंद्र कर्मा का काफिला आ रहा था। झीरम घाटी पहुंचते ही जंगल से गाड़ियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसनी शुरू हो गई थी। लोग संभल पाते तब तक कई लाशें बिछ चुकी थीं।
इस मामले में इस हत्याकांड में जान गंवाने वाले कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने वर्ष 2020 में दरभा थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी कि इसमें कहा गया था कि एनआईए ने हत्या और राजनीतिक षड्यंत्र को नहीं जोड़ा है। इस एफआईआर और छत्तीसगढ़ पुलिस के जांच के अधिकार को एनआईए ने यह कहते हुए चुनौती दी थी कि व इस प्रकरण का वह पहले से जांच कर रही है। इस पर हाईकोर्ट ने एनआईए की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल नहीं देने की बात कहते हुए याचिका खारिज दी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय का दरवाजा खोलने जैसाः सीएम बघेल
इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक्स (ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि झीरम कांड पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाजा खोलने जैसा है। झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था। कहने को तो एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की, लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षड्यंत्र की जांच किसी ने नहीं की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरू की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाजा का खटखटाया था। आज रास्ता साफ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने, किसके साथ मिलकर क्या षड्यंत्र रचा था। सब साफ हो जाएगा। झीरम के शहीदों को एक बार श्रद्धांजलि।

केंद्र सरकार किसे बचाने की कोशिश कर रहीः कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हमले में हमारे वरिष्ठ नेता समेत 32 लोग शहीद हुए थे। प्रेस कांफ्रेंस में विनोद वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद एनआईए ट्राइल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट गई। सभी जगहों से इनकी याचिका खारिज कर दी गई है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस जांच कर पूरे षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करने वाली है। उन्होंने कहा कि एनआईए के दोनों ही चालान में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता गणपति और रामन्ना का नाम ही नहीं डाला गया था। इस राजनीतिक साजिश को छोटी समिति नहीं कर सकती है। आखिर किसको बचाने के लिए इनका नाम हटाया गया था। केंद्र सरकार किसको बचाने के लिए काम कर रही थी। इस पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की बात डॉ. रमन सिंह ने की थी, लेकिन समय रहते सीबीआई ने पूरे मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था। सीबीआई जांच नहीं करेगी, इस बात को रमन सिंह को बताना चाहिए था। श्री वर्मा ने आगे कहा कि नेता प्रतिपक्ष होते हुए धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट जाते हैं और आयोग की जांच का दायरा नहीं बढ़ाने के लिए याचिका लगाते हैं। आख़िर धरमलाल कौशिक ने किसके बोलने पर याचिका लगाई थी। डॉ. रमन सिंह की विकास यात्रा में हजारों पुलिस कर्मी तैनात थे, लेकिन कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में केवल 138 पुलिसकर्मी बस्तर जैसे घोर इलाके में लगाए गए थे।

अब तो झीरम के सबूत जेब से निकालेंः अरुण साव
छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद अरुण साव ने झीरम घाटी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब तो झीरम मामले में राजनीति छोड़कर अपनी जेब से वे सबूत निकालकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंप दें, जिन्हें वे मुख्यमंत्री रहते हुए पूरे कार्यकाल में अपनी जेब में छिपाए रहे। एक मुख्यमंत्री को इतना सामान्य ज्ञान तो होना ही चाहिए कि किसी अपराध के साक्ष्य छुपाना गंभीर अपराध होता है। भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए यह अपराध किया है। प्राकृतिक न्याय की अपेक्षा यही हो सकती है कि झीरम के सबूत छिपाने का अपराध करने वाले को भी जांच और पूछताछ के दायरे में होना चाहिए।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद अरुण साव ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने स्वयं यह कबूल किया है कि झीरम के सबूत उनके कुर्ते की जेब में हैं। तब 5 साल मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने यह सबूत जांच एजेंसी के सुपुर्द क्यों नहीं किए? भाजपा आरंभ से स्पष्ट तौर पर यह मत प्रकट करती रही है कि झीरम मामले में कांग्रेस का चरित्र संदिग्ध है। कांग्रेस झीरम पर राजनीति कर रही है। भूपेश बघेल को जनता को यह भी बताना चाहिए कि झीरम हमले के चश्मदीद उनके कैबिनेट मंत्री ने क्यों इस मामले में न तो न्यायिक जांच आयोग के सम्मुख गवाही दी और न ही जांच एजेंसी को कोई सहयोग दिया। आखिर कांग्रेस और उसकी सरकार ने झीरम का सच सामने क्यों नहीं आने दिया, इसका जवाब छत्तीसगढ़ की जनता मांग रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि झीरम कांड के तथ्यों के मामले में कांग्रेस की रहस्यमयी चुप्पी और राजनीतिक बयानबाजी में तत्परता इसका प्रमाण है कि कांग्रेस ही इस मामले में संदिग्ध है। कांग्रेस ने झीरम मामले का राजनीतिकरण किया। सरकार चलाते हुए 5 साल तक साक्ष्य छुपाए और अंत में झीरम के दो शहीदों की विधवाओं को विधायक रहते हुए टिकट से वंचित किया। कांग्रेस कभी झीरम के शहीदों के परिवार को न्याय नहीं मिलने देना चाहती।