0 देर रात या सुबह तक रेस्क्यू की उम्मीद
देहरादून/लखनऊ। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में 11 दिन से फंसे 41 मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की उम्मीद नजर आ रही है। टनल के एंट्री पॉइंट से अमेरिकी ऑगर मशीन करीब 45 मीटर तक 800 मिमी (करीब 32 इंच) का पाइप ड्रिल कर चुकी है। अब लगभग 12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है।
आज रात या कल सुबह तक ड्रिलिंग पूरी होने की उम्मीद है। इस बीच मजदूरों को 6 इंच की पाइपलाइन से दोपहर का खाना भेजा गया है। उन्हें दाल-चावल, सब्जी-रोटी भेजी गई। उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी भी राहत और बचाव कार्य का जायजा लेने के लिए उत्तरकाशी पहुंचने वाले हैं।
ड्रिलिंग का काम पूरा होने के बाद 32 इंच के पाइप के जरिए एनडीआरएफ की टीम टनल के अंदर जाकर मजदूरों को बारी-बारी निकालेगी। मजदूरों को कमजोरी हुई तो एनडीआरएफ की टीम ने उन्हें स्केट्स लगी टेंपररी ट्रॉली के जरिए बाहर खींचकर निकालने की भी तैयारी की हुई है।
रेस्क्यू ऑपरेशन के करीब पहुंचने की स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड प्रशासन ने घटनास्थल पर 40 एंबुलेंस मंगवाई हैं। इसके अलावा डॉक्टरों की टीम भी पहुंच गई है। चिल्यानीसौड़, उत्तरकाशी और एम्स ऋषिकेश को अलर्ट मोड पर रखा गया है। मजदूरों को एयरलिफ्ट करने की भी व्यवस्था की गई है। पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा है कि फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से जारी है। वहीं, एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर महमूद अहमद ने बताया कि बुधवार देर रात तक खुशखबरी मिल सकती है। उन्होंने बताया कि मजदूरों को सुबह टूथब्रश-पेस्ट, टॉवल, अंडरगारमेंट्स और मोबाइल चार्जर भेजा गया।
12 नवंबर सुबह 4 बजे धंसी टनल
सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।
अब तक क्या हुआ?
21 नवंबर: एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई। उनसे बात भी की गई। सभी मजदूर ठीक हैं। मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली। ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई। केंद्र सरकार की ओर से 3 रेस्क्यू प्लान बताए गए। पहला- ऑगर मशीन के सामने रुकावट नहीं आई तो रेस्क्यू में 2 से 3 दिन लगेंगे। दूसरा- टनल की साइड से खुदाई करके मजदूरों को निकालने में 10-15 दिन लगेंगे। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन लगेंगे।
20 नवंबर: इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए। मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली। ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए रेस्क्यू टनल बनाई गई। बीआरओ ने सिलक्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाने का काम पूरा किया।
19 नवंबर: सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया। शाम चार बजे सिलक्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई। खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई। टनल में जहां से मलबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट भेजकर खाना भेजने या रेस्क्यू टनल बनाने का प्लान बना।
18 नवंबर: दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा। खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की। पीएमओ के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे। पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी।
17 नवंबर: सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया। नई ऑगर मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया। रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया।
16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ। शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।
15 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए। टनल के बाहर मजदूरों की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा। ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका।
14 नवंबर: टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई। ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक को काम में लगाया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं।
13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी। दोबारा मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा। तब से मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है।
12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में एनडीआरएफ, आईटीबीपी और बीआरओ को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।