0 जिनके पीए रहे, अब उनके साथ ही मंत्री बने
रायपुर। छत्तीसगढ़ की साय कैबिनेट में कई नाम चौंकाने वाले हैं। मंत्री पद के दावेदारों की लम्बी लिस्ट थी। ऐसे में जब इन नामों का ऐलान हुआ, तब लोगों को इनके मंत्री बनने से कई लोग चौंक गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दिग्गजों के मुकाबले इन नेताओं का न तो इनका राजनीतिक कद बड़ा है और न ही प्रदेश स्तरीय लोकप्रियता है।
1. टंकराम वर्मा
मंत्रिमंडल में सबसे चौंकाने वाला नाम टंकराम वर्मा का है। कभी भाजपा सरकार में केदार कश्यप के पीए हुआ करते थे। आज उन्हीं ने केदार कश्यप के साथ मंत्री पद की शपथ ली है। टंकराम वर्मा बलौदाबाजार से पहली बार विधायक बने हैं।वर्मा ने कांग्रेस सरकार में पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष रहे शैलेष नितिन त्रिवेदी को 14746 वोटों से हराया है।
मंत्री बनाने की वजह : कांग्रेस सरकार में सीएम के रूप में भूपेश बघेल कुर्मी समाज का बड़ा चेहरा थे। ऐसे में कुर्मी समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए टंकराम वर्मा को मंत्री बनाया गया। लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण के साथ ही क्षेत्रीय समीकरण में भी वर्मा फिट बैठते हैं। रायपुर संभाग से दो मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें बृजमोहन अग्रवाल सामान्य और टंकराम वर्मा ओबीसी हैं। टंकराम वर्मा भागवत कथा और रामायण पाठ करवाने के लिए अपने क्षेत्र में जाने जाते हैं। क्षेत्र में मजबूत जमीनी पकड़ और सरल व्यक्तित्व भी एक कारण रहा।
2. लक्ष्मी राजवाड़े
सरगुजा संभाग में भाजपा से रेणुका सिंह और गोमती साय जैसी कद्दावर महिला नेता हैं। इसके बाद भी भटगांव विधानसभा से पहली बार विधायक बनीं लक्ष्मी राजवाड़े को जगह दी गई है। लक्ष्मी जिला पंचायत की सदस्य और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हैं। उन्हें चुनाव जीतने का भरोसा था, लेकिन मंत्री बन जाएंगी ये नहीं सोचा था।
मंत्री बनाने की वजह : सरगुजा संभाग में बड़ी संख्या में राजवाड़े समाज के लोग हैं। सामाजिक समीकरण साधने के लिए मंत्री बनाई गईं। एक ही संभाग से जब एक साथ बड़े चेहरे सत्ता में होते तब टकरार की स्थिति बन सकती थी। ऐसे में राजनीतिक समीकरण बैलेंस करने का भी प्रयास किया गया। ये संदेश देने के लिए कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को भी बीजेपी मंत्री पद दे सकती है। लो प्रोफाइल और संगठन की पसंद के कारण।
3. श्याम बिहारी जायसवाल
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा सीटें भाजपा ने सरगुजा संभाग से जीती हैं। ऐसे में मंत्री पद के दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त थी। कुछ नेताओं की राजनीति केन्द्रीय स्तर तक थी। उन चेहरों के मुकाबले श्याम बिहारी जायसवाल लो-प्रोफाइल नेता हैं। मनेन्द्रगढ विधानसभा से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। श्याम बिहारी जायसवाल 2013 के चुनाव में पहली बार विधायक बने थे। 2018 के चुनाव में उन्हें कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इस बार उन्होंने कांग्रेस के डॉ. विनय जायसवाल को हराया है। अविभाजित कोरिया जिले में श्याम बिहारी जायसवाल विपक्ष में रहने के दौरान पांच सालों तक संगठन से जुड़कर कार्य करते रहे।
मंत्री बनाने की वजह : सरगुजा संभाग से 3 मंत्री बनाए गए हैं। क्षेत्रीय समीकरण में श्याम बिहारी जायसवाल को जगह मिली। कलार समाज से आते हैं। प्रदेश में बड़ी आबादी कलार समाज की है, ऐसे में जातिगत समीकरण साधने का प्रयास किया गया है। लो-प्रोफाइल और संगठन की पसंद वजह रही।