0 ईडी की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पूर्व सीएम बघेल का नाम
रायपुर। सट्टेबाजी से जुड़े मामले की जांच के लिए गठित मुंबई क्राइम ब्रांच की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने 15,000 करोड़ रुपये के महादेव बुक सट्टेबाजी एप मामले में पहली गिरफ्तारी की है। मुंबई पुलिस के अनुसार एसआईटी ने मीरा रोड निवासी दीक्षित कोठारी (27) को गिरफ्तार किया है। एसआईटी अधिकारी के अनुसार आरोपी दीक्षित कोठारी ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए एप्लीकेशन लोटस बुक पर आईडी बनाने में शामिल था।
अब इस मामले में ईडी ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल का भी नाम सामने आया है।
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल को महादेव सट्टा ऐप प्रमोटर्स की तरफ से 508 करोड़ रुपए दिए जाने का खुलासा इस मामले में गिरफ्तार असीम दास ने किया था। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक महादेव एप के एक प्रमोटर शुभम सोनी ने उसे कैश पहुंचाने का काम सौंपा था। इस मामले में पूर्व सीएम श्री कहा कि ईडी राजनीतिक आकाओं के इशारे पर साजिश कर रही है।
ईडी के मुताबिक मामले में एक और राजदार मिला है, जिससे कई और खुलासे हो सकते हैं। ये राजदार नेताओं और अफसरों तक पहुंचने वाले पैसों का हिसाब-किताब रखता था। इसी के बयान के बाद ही शुभम सोनी को महादेव ऐप का तीसरा संचालक मानते हुए प्रथम अभियोजन परिवाद में आरोपी बनाया गया है। ईडी कभी भी कोर्ट में इसे पेश कर सकती है। पूछताछ में पता चला कि असीम दास को 25 अक्टूबर, 2023 को शुभम सोनी ने दुबई बुलाया था। भूपेश बघेल तक रुपए पहुंचाने के लिए उसे नगदी उपलब्ध कराई गई। दास के फोन से बरामद एक वॉयस मैसेज से ये दावा किया गया है। आरोप पत्र में शुभम सोनी, अनिल कुमार अग्रवाल उर्फ अतुल अग्रवाल, रोहित गुलाटी, भीम सिंह यादव और असीम दास सहित कई अन्य आरोपी व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। मामले की पेशी 10 जनवरी को होगी।
राजनीतिक आकाओं के इशारे पर साजिशः बघेल
भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि ईडी ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से मेरा नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ्तार कर रही है। उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के खिलाफ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है। महादेव एप के घोटाले की जांच मैंने ही मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी। मैं चाहता था कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे। छत्तीसगढ़ सरकार की इस जांच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जांच कर रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि ईडी ने जांच को अपराध के बजाय राजनीतिक दबाव व बदनामी का हथियार बना लिया है। महादेव एप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है, उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुंचाने का ही रह गया है।
दो वर्षों में 20 लाख रुपये की मेंटेनेंस फीस
प्राप्त जानकारी के अनुसार डोमेन खरीदने के लिए दीक्षित कोठारी के ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल किया गया था और वह (दीक्षित कोठारी) पिछले दो वर्षों से 20 लाख रुपये रखरखाव शुल्क (मेंटेनेंस फीस) का भुगतान कर रहा था। कोठारी ने कुछ एप कई लोगों को बेचे हैं, उनमें खासकर बुकीज और पंटर्स शामिल थे। महादेव ऑनलाइन बुक ऑपरेशंस ने वेबसाइट्स और क्लोज्ड चैट ग्रुप्स बनाकर रखे थे। इनके जरिए लोगों को अवैध सट्टेबाजी के लिए लुभाया जाता था।
सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दुबई में नजरबंद
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव एप घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में रायपुर की विशेष अदालत में दूसरी अभियोजन शिकायत दायर की है। प्रत्यर्पण प्रयासों के लिए अभियोजन शिकायत को यूएई के साथ साझा किया जाएगा।
बता दें कि 21 अक्टूबर, 2023 को पहली चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें 14 लोगों को नामित किया गया। 1 जनवरी को दायर दूसरी चार्जशीट में पांच आरोपियों के नाम हैं। वहीं सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दुबई में नजरबंद है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले असीम और भीम को ईडी ने गिरफ्तार किया था। ईडी का दावा है कि अवैध धन का इस्तेमाल राजनेताओं और नौकरशाहों को रिश्वत देने के लिए किया जाता था। इस मामले में मशहूर हस्तियों और अभिनेताओं को पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है।
बता दें कि यूएई में बैठकर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल पुलिस, ब्यूरोक्रेट्स और पॉलिटिशियन का एक नेक्सस तैयार कर महादेव बेटिंग एप को हिंदुस्तान में ऑपरेट कर रहा था। ये दोनों महादेव बेटिंग एप के प्रमोटर भी हैं। मलेशिया, थाईलैंड, भारत, यूएई में अलग अलग बड़े शहरों में कॉल सेंटर खोले गए थे। इन कॉल सेंटर को बाकायदा एक चेन बनाकर बेहद शातिर तरीके से चलाया जा रहा था। जिनके जरिए अलग अलग सब्सिडरी एप बनाकर ऑनलाइन सट्टा खिलाया जाता था।