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0 डीएमएफ घोटाला-कस्टम मिलिंग में राइस मिलर्स से उगाही का मामला

रायपुर। ईडी की ओर मिले तथ्यों के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने दो और एफआईआर दर्ज की है। यह दोनों मामले डीएमएफ घोटाले और कस्टम मिलिंग में हुई करोड़ों की गड़बड़ी से जुड़े हैं। प्रदेश के आईएएस, मार्कफेड के पूर्व अधिकारियों और राइस मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपियों में निलंबित आईएएस रानू साहू का नाम भी है।

ईओडब्ल्यू ने यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से मिले तथ्यों के आधार पर की है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में इन दोनों मामलों में प्रदेश सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने, भ्रष्टाचार करने जैसे तथ्य हासिल किए। डीएमएफ मामले में 420 और कस्टम मिलिंग मामले में 409 धारा के तहत केस दर्ज हुआ है।

क्या है कस्टम मिलिंग मामला
मार्कफेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी, तत्कालीन जिला मार्केटिंग ऑफिसर कुमारी कृतिका पूजा केकेट्‌टा, छत्तीसगढ़ स्टेट राइट मिलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कैलाश रुंगटा, वाइस प्रेसिडेंट पारसमल चोपड़ा, कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने इस पूरे कांड को अंजाम दिया। इनके खिलाफ एफआईआर की गई है।

बड़े पैमाने पर हुआ भ्रष्टाचार
इस केस में ईडी ने जो तथ्य एसीबी को सौंपे हैं, उनमें पूरी जानकारी है। तथ्यों के मुताबिक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेंशन ब्यूरो ने 120 बी, धारा 409 के तहत केस दर्ज किया है। नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में जो कस्टम मिलिंग का चावल जमा किया जाता है, इस पूरी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।

राइस मिलर्स के साथ मिलकर करोड़ों की कमाई
ईडी के तथ्यों के मुताबिक अवैध राशि वसूली की गई है। अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए अफसर ने राइस मिलर्स के साथ मिलकर करोड़ों की कमाई की है। मार्कफेड के प्रबंध संचालक मनोज सोनी ने अपनी जूनियर पूजा को निर्देशित किया था कि राइस मिलर रोशन चंद्राकर के कहे मुताबिक ही मिलर्स को भुगतान करना है।

दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए
कुछ वक्त पहले आयकर विभाग का छापा मनोज सोनी के ठिकानों पर पड़ा तो तलाशी की कार्रवाई में 1.6 करोड़ की कैश मिला। बहुत से दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस मिले। लगभग 140 करोड रुपए की अवैध वसूली राइस मिलर्स से किया जाना पाया गया है।

क्या है डीएमएफ घोटाला
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित की गई है । टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

40% सरकारी अफसरों को कमीशन मिला
जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में इसके लिए दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आईएएस अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। ईडी के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर किसी चीज की असल कीमत से ज्यादा का बिल भुगतान कर दिया। आपस में मिलकर साजिश करते हुए पैसे कमाए गए।