0 उन्हें 2014 में गिरफ्तार किया गया था
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने नक्सलियों से कथित संबंध रखने के शक में गिरफ्तार किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और 5 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है। उन्हें दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने की इजाजत भी दी गई है। जस्टिस विनय जोशी और जस्टि वाल्मिकी एसए मेनेजेस की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। दो जजों की इस बेंच ने साईबाबा की अपील पर दोबारा सुनवाई की है। ऐसा इसलिए क्योंकि हाईकोर्ट ने इन्हें पहले भी बरी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया था। इस पर साईबाबा ने दोबारा अपील की थी।
आरोपी नरोटे की मौत हो चुकी है
इस केस में साईबाबा के अलावा 5 अन्य आरोपी हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, प्रशांत राही और पांडु नरोटे थे। नरोटे की पहले ही मौत हो चुकी है। साई बाबा फिलहाल जेल में बंद हैं। उन्हें मई 2014 में गिरफ्तार किया गया था। वे डीयू के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे। गढ़चिरौली के सेशन कोर्ट ने मार्च 2017 में साईबाबा और अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया था। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद साईबाबा का नाम भी सामने आया था। हेम का दावा था कि वे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों और प्रोफेसर के बीच एक कूरियर के रूप में काम कर रहे थे।
अक्टूबर 2022 में भी हाईकोर्ट ने बरी किया था
14 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा को बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि तुरंत साईबाबा को जेल से रिहा कर दिया जाए। हाईकोर्ट से जीएन साईबाबा के बरी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार की ओर से तुषार मेहता जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में गए। मेहता ने कहा- टेक्निकल आधार पर साईबाबा को रिहा किया गया है। वे अगर जेल से बाहर आते हैं तो देश के लिए ये खतरनाक होगा। साईबाबा का माओवादियों से कनेक्शन है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अर्जेंट सुनवाई के लिए आप चीफ जस्टिस के पास जाइए, हम रिहाई पर रोक नहीं लगा सकते हैं।