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0 मंगलवार को सौम्या की बेल एप्लीकेशन पर फैसला 
रायपुर। महादेव सट्टा ऐप और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद आरोपी नितिन टिबरेवाल की जमानत याचिका को रायपुर की स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दरअसल, सोमवार को स्पेशल कोर्ट में सुनवाई थी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया।

वही, 16 महीनों से जेल में बंद राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया की सेकंड बेल एप्लिकेशन पर मंगलवार को फैसला सुनाया जाएगा। इससे पहले 12 अप्रैल को विशेष न्यायालय में सुनवाई के दौरान सौम्या के वकील ने बच्चों की परवरिश को अधार बताते हुए जमानत देने की मांग की थी।

ये है आरोप
नितिन टिबरेवाल के नाम पर दुबई में प्रॉपर्टी है । विदेशी कंपनियों में शेयर होल्डर भी है। जांच में अब करोड़ रुपए का हिसाब मिला है। ईडी ने अपनी जांच में पाया गया है कि नितिन टिबरेवाल अवैध सट्टेबाजी वेबसाइट स्काईएक्सचेंज के से जुड़ा हुआ था। जांच के दौरान नतिन का नाम से डिजिटल रिकॉर्ड भी मिला है।

सट्टा एप केस में इनका भी आवेदन खारिज
महादेव एप सट्टेबाजी केस में जेल में बंद निलंबित एएसआई चंद्रभूषण वर्मा के जमानत आवेदन को कोर्ट ने 12 अप्रैल को खारिज कर दिया।

12 जनवरी को ईडी ने किया था गिरफ्तार
महादेव सट्टा मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 12 जनवरी को नितिन टिबरेबाल और अमित अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद दोनों को 5 दिन 17 जनवरी तक की ईडी रिमांड पर भेजा गया। रिमांड पूरी होने के बाद 17 जनवरी को दोनों आरोपी को फिर कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद स्पेशल कोर्ट ने दूसरी बार दोनों को 5 दिन की रिमांड में 22 जनवरी तक ईडी हिरासत में भेजा था। 22 जनवरी फिर पेशी में सुनवाई के बाद रायपुर की स्पेशल कोर्ट ने नितिन और अमित को 13 दिन की ज्यूडिशयल रिमांड पर जेल भेजा था।

सौम्या चौरसिया पर क्या है आरोप
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रर्वतन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाले में 500 करोड़ रुपए अवैध उगाही को लेकर जांच शुरू की थी। जिसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था। वसूली के लिए नियमों में बदलाव किया गया था। ईडी के अनुसार कांग्रेस नेता सूर्यकांत तिवारी पर सौम्या चौरसिया का हाथ था। ईडी ने इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, कोल वॉशरी संचालक सुनील अग्रवाल, आईएएस समीर बिश्नोई, आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत अन्य को अलग अलग गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि ये स्कैम करीब पांच सौ करोड़ रुपए का था। इस लेव्ही से हासिल राशि से चल-अचल संपत्तियां अर्जित की गईं, जिनमें कई बेनामी भी हैं।