0 सदस्यों ने बढ़ती दुर्घटनाओं पर चिंता जताई और हेलमेट को अनिवार्य करने की बात कही
0 भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सदन में उठाया मुद्दा
रायपुर। विधानसभा मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों पर सदन में चर्चा हुई। नियम 139 के तहत अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा करते हुए सदस्यों ने बढ़ती दुर्घटनाओं पर चिंता जताई और हेलमेट को अनिवार्य करने की बात कही। इस मामले को भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग, पुलिस विभाग, पीडब्ल्यूडी विभाग और स्वास्थ्य विभाग जैसे विभागों में तालमेल की कमी भी सड़क हादसों में वृद्धि का महत्वपूर्ण कारण है।
अजय चंद्राकर ने कहा, 2023 की तुलना में 2024 की प्रथम तिमाही में 6323 सड़क दुर्घटना हुई है। आंकड़े बताते हैं कि करीब 20 लोगों की मृत्यु इस तरह की घटनाओं में रोजाना होती है। इस प्रदेश में 73।43 लाख वाहन पंजीकृत हैं। 18 लाख भारी वाहन हैं। पीएमजीएसवाई के तहत ग्रामीण सड़क कितनी भार क्षमता के बनते हैं। सबसे ज़्यादा घटना की डेंसिटी यदि कोरबा, रायगढ़, रायपुर जैसे शहरों में है तो क्या यहां संचालित होने वाले उद्योगों पर उपकर लगाया जा सकता है? जनधन की क्षति कैसे रोकी जा सकती है। इस पर सदन एकमत हो सके।
अजय चंद्राकर ने कहा कि हिट एंड रन का मामला महाराष्ट्र में गरमाया हुआ है। खराब सड़क, ओवर स्पीडिंग इस तरह की कार्रवाई को टालने राजनीतिक दबाव बनाया जाता है। दुर्घटना के बाद की स्थिति क्या है? घायलों को सही समय पर इलाज नहीं मिलना चाहिए। पहला पांच मिनट घायलों के लिए सबसे जरूरी होती है। सरकारी मदद का कोई स्पष्ट सिस्टम नहीं होना। चार-पांच विभागों के मंत्रियों ने क्या बैठकर इस पर चर्चा की है। एक महत्वपूर्ण कारण है कि विभागों में आपस में तालमेल ना होना।
श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के हिसाब से छत्तीसगढ़ में यातायात का सेटअप है? जब कोई वीआईपी मूवमेंट है तो देखा जाएगा, लेकिन जनसामान्य सड़क पर चल रहे हैं तब कौन देखेगा। ओवरलोडिंग चेकिंग त्यौहार है। शराब पीकर सड़क चलाना त्यौहार है। मैं भी तीन महीने के लिए गृहमंत्री था। हेलमेट अनिवार्य कर दिया था। हर रोज शाम को मेरे पास रिपोर्ट आती थी। मेरे साथ रेत खदान चलिए एक भी ओवरलोडिंग पर कार्रवाई नहीं होती। एक भी सरकारी ड्राइविंग स्कूल छत्तीसगढ़ में नहीं है। छत्तीसगढ़ में आज भी हार्वेस्टर चलाने के लिए पंजाब से ड्राइवर लाया जाता है। प्रदेशभर में ब्लैक स्पॉट है। इन ब्लैक स्पॉट को ख़त्म करने के लिए क्या इच्छाशक्ति है। क्या सीएसआर या डीएमएफ़ से ट्रामा यूनिट खोला जा सकता है?
उन्होंने कहा कि नया रायपुर के लिए एकीकृत ट्रैफि़क कमांड बना सकते हैं, जहां ट्रैफिक नहीं है, लेकिन क्या रायगढ़ में ट्रैफिक कमांड सेण्टर बना सकते हैं? अजय चंद्राकर ने कहा कि लाइसेंस करप्शन का ज़रिया ना बने। परिवहन विभाग, स्थानीय शासन विभाग, पीडब्ल्यूडी विभाग और स्वास्थ्य विभाग जैसे विभाग आपस में बैठकर क्या इसका हल ढूढ़ सकते हैं?
वहीं कांग्रेस विधायक कुंवर निषाद ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं चिंता की बात है। इन बढ़ते आंकड़ों पर विचार करना पड़ेगा। इसके लिए कड़े नियम बनाए जाने की जरूरत है। नियम बनते हैं कुछ दिन बाद स्थिति वापस अपने ढर्रे पर आ जाती है। नशा कर गाड़ी चलाए जाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए।
भाजपा विधायक भावना बोहरा ने कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाए जाने पर सख़्त नियम बनाना चाहिए। लोगों के हाथ में शराब को बॉटल मिल जाएगी, लेकिन सिर पर हेलमेट नहीं मिलेगा। 99 फ़ीसदी मामलों पर पुलिस सीट बेल्ट नहीं देखती।
भाजपा विधायक किरण देव ने कहा, ये विषय किसी एक राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है। ये सभी वर्ग और सभी क्षेत्र की समस्या है। बढ़ती जनसंख्या के साथ वाहनों की संख्या बढ़ती जाएगी। इसमें कमी नहीं आएगी, लेकिन यह ज़रूरी है कि एक्सीडेंट की घटनाओं को कैसे रोका जा सके। विदेशों में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। मैं जब महापौर था तब मलेशिया गया था। मलेशिया के एक ट्रैफि़क सिग्नल पर जब रेड साइन हुआ तब बस रुक गई। ठीक बाजू में एक कार आकर रुक गई। प्रधानमंत्री के आवास जाने पर पता चला कि यह उनकी गाड़ी थी। वहां इस तरह का नियम है। दुर्घटना का सीधा सा अर्थ यही है कि यह किसी के साथ भी किसी भी समय हो सकता ही। ब्लैक स्पॉट चिन्हाकित किया जाए। ऐसे स्पॉट को व्यवस्थित किए जाने की जरूरत है।
भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि बिलासपुर से आते वक़्त मुझे एक ट्रक चिंगारी फेकता हुआ चल रहा था। ट्रक को रोककर देखा गया तो उसके पास सारे वैध दस्तावेज थे। फर्जी तरीक़े से वैध दस्तावेज़ बनाए जा रहे हैं। ओवरलोडिंग की समस्या भी बड़ी है। इस गंभीर विषय पर सरकार अपनी निष्पक्षता की छाप छोड़ें।
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने कहा कि लोक महत्व के विषय पर सदन में कैसे चर्चा की जाती है। इसे अजय चंद्राकर ने आज सदन को बताया है। नए सदस्य इससे काफ़ी कुछ सीखेंगे। कोरबा में कऱीब 336 मौतें एक साल में होती है। पांच महीने में ही राज्य में दो हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं। 25 हजार हाइवा कोरबा में चलती हैं। इसमें से कितने हाइवा में सिफऱ् ड्राइवर होता है। हेल्पर नहीं होता। हाइवा वालों के कागजात पुलिस वालों के पास होती है। इन्हें बंद कौन कराएगा? आज सभी भ्रष्ट हो रहे हैं। इसे रोकेगा कौन? अजय चंद्राकर ने केंद्रीय गृह मंत्री के अधिकार क्षेत्र में अनावश्यक प्रवेश करने की कोशिश की है। केंद्रीय गृहमंत्री ने नियम लाया था कि एक्सीडेंट करने पर ड्राइवर को दस साल तक की सजा हो सकती है। इस तरह के नियम से कम से कम ड्राइवर सचेत रहेंगे।
महंत ने कहा, आज सीमेंट का रोड बन रहा है या डामर का रोड बन रहा है, छह महीने में गड्ढा होना तय है। नियम विरुद्ध चलने वाली गाडिय़ों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। एक्साइज विभाग भी जवाबदार है। स्टेट हाइवे के किनारे शराब की दुकान खुल रही है। बैठने की जगह बन गई है। पीकर निकल रहे हैं। इससे भी एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ रही है। हेलमेट लगाने के नियम को शुरू कराए जाने की ज़रूरत है। इसे कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। पांच सौ रुपये का हेलमेट जान ही बचाएगा।
स्पीकर डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि ज़्यादातर ड्राइवर का आई साइट ठीक नहीं होता है। जांच हुई तो 20 फीसदी ड्राइवर मिलेंगे। मेरा एक ड्राइवर था जिसकी आई साइट ठीक नहीं थी। पंद्रह दिन बाद मुझे इसकी जानकारी हुई थी। आई साइट ठीक हुई तो कई घटनाओं पर रोक लगाई जा सकेगी।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नियम 139 के अधीन सारगर्भित चर्चा हुई है। सबकी यह चिंता जायज है। पापुलेशन डेंसिटी में भारत का नंबर 20वें, 25 वें में आता है। विदेशों में व्यवस्थाएं इसलिए दुरुस्त है, क्योंकि वहां क़ानून का कड़ाई से पालन होता है। 108 एंबुलेंस का रिस्पॉस टाइम तीस मिनट का है। इसमें एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी है। डायल 112 की सेवा 16 जि़लों में है। आने वाले दिनों में इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
गृहमंत्री शर्मा ने कहा कि सड़कों में पशुओं की वजह से भी दुर्घटनाएं होती है। पशुओं को हटाने के लिए भी दो लोगों की कुछ किलोमीटर में तैनाती है। पशुओं के गले में रेडियम होना चाहिए। सब कुछ शासन प्रशासन के भरोसे नहीं हो सकता है। जनजागरण भी ज़रूरी है। सदन के सदस्य भी यदि सड़कों से गुजर रहे हैं तो वहां रुककर पशुओं को हटाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। ड्राइविंग लाइसेंस के 373 संस्थान काम कर रहे हैं। इनमें से एक शासन का है और अन्य प्राइवेट संस्थान हैं, जिन्हें मान्यता दी गई है। हेलमेट लगाने और सीट बेल्ट लगाने भर से ही 40 फ़ीसदी घटनाओं को रोका जा सकता है। जि़ला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति गठित है। जनवरी के बाद से अब तक 55 बैठके हुई है। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होती है। ब्लैक स्पॉट को सुधार करने में जल्द काम करेंगे। सभी ड्राइवरों का आई साइट चेक किया जाएगा। ड्राइवर को ज़रूरत पडऩे पर उन्हें चश्मा दिया जाएगा।
अजय चंद्राकर ने कहा कि डॉक्टर रमन सिंह की जब सरकार थी तब सामाजिक मुद्दों पर इसी सदन में क़ानून बनाया गया था। देश में बाद में इस पर क़ानून लाया गया। देश ने अपनाया है।