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0 रिटायर्ड आईएएस बोले- झूठे केस में फंसाया
0 ईओडब्ल्यू ने कहा-बेल मिली तो विदेश भाग सकते हैं

रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में एसीबी-ईओडब्ल्यू कोर्ट ने रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा की जमानत याचिका खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी की कोर्ट में हुई। अनिल टुटेजा करीब 5 महीने से जेल में बंद हैं।

सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू की ओर से वकील सौरभ कुमार पांडेय कोर्ट में कहा कि बेल मिलने के बाद टुटेजा विदेश भाग सकते हैं। वहीं रिटायर्ड आईएएस टुटेजा की ओर से याचिका में उनके स्वास्थ्य को देखते हुए जमानत की मांग की गई। टुटेजा ने कोर्ट में बताया कि ईओडब्ल्यू ने प्रताड़ित करने के लिए 14 दिन की रिमांड पर लिया। अब तक जांच के दौरान उनके पास से शराब की बोतल और नकली होलोग्राम तक बरामद नहीं हुआ है। जो आरोप लगाए गए, वे भी साबित नहीं हो पाए हैं।

नोएडा की एफआईआर खारिज करने का भी जिक्र
कोर्ट में टुटेजा के वकील ने कहा कि, नोएडा में शराब घोटाले से जुड़े नकली होलोग्राम केस में दर्ज एफआईआर को स्थगित कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े नकली होलोग्राम केस में यूपी एसटीएफ की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए।

गवाहों और सबूत को गुमराह कर सकते हैं टुटेजा
वहीं ईओडब्ल्यू के वकील पांडेय ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि, लिकर स्कैम में सिंडिकेट में अनिल टुटेजा का रोल महत्वपूर्ण है। अगर उन्हें जमानत दी जाती है, तो वे गवाहों और सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं। बेल मिलने के बाद विदेश भाग सकते हैं।

18 सितंबर को अगली सुनवाई
शराब घोटाले केस में 18 सितंबर को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में अगली सुनवाई होगी। इस केस में रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के अधिकारी रहे एपी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लन रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद है।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
लिकर स्कैम मामले में ईडी जांच कर रही है। ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
ईडी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर की जांच एसीबी कर रही है। एसीबी से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी, जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।