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भुवनेश्वर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओडिशा में कई महत्वपूर्ण रेलवे परियोजनाओं का मंगलवार को शिलान्यास और लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं का कुल निवेश 2,871 करोड़ रुपये है, जो रेल कनेक्टिविटी में सुधार, महत्वपूर्ण मार्गों की भीड़भाड़ कम करने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देने के हैं। यह निवेश भारतीय रेलवे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो देश के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक है और राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देता है।इन परियोजनाओं से न केवल रेल यात्रियों की सुविधा में वृद्धि होगी, बल्कि देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की प्रगति में भी मदद मिलेगी।

इस पहल का उद्देश्य ओडिशा के औद्योगिक, संसाधन-संपन्न और आदिवासी-बहुल क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रेल नेटवर्क को मजबूत करना है। प्रधानमंत्री ने जिन चार रेल खंडों को राष्ट्र को समर्पित किया उनमें 25.394 किलोमीटर लंबा लांजीगढ़ रोड-अंबाडोला-दोई कल्लू रेल खंड शामिल है जो विजयनगरम-टिटलागढ़ तीसरी लाइन परियोजना का हिस्सा है।
यह महत्वपूर्ण खंड व्यस्त विजयनगरम-टिटलागढ़ मार्ग की क्षमता बढ़ाएगा, जिससे पश्चिमी ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच संपर्क बढ़ेगा और इससे यात्रियों को लाभ होगा और माल ढुलाई आसान होगा।
प्रधानमंत्री द्वारा समर्पित 260 करोड़ रुपये की लागत वाली कोरापुट-सिंगापुर रोड दोहरीकरण परियोजना के 22.94 किलोमीटर लंबे लक्ष्मीपुर रोड-सिंगारम-टिकिरी रेलवे खंड का उद्देश्य दक्षिणी ओडिशा में ट्रेनों की आवागमन क्षमता बढ़ाना है।यह परियोजना संसाधन समृद्ध क्षेत्रों से प्रमुख बाजारों तक माल की आवाजाही को आसान बनाएगी।
पांच सौ 40 करोड़ रुपये की लागत से 40.62 किमी लंबी ढेंकनाल-सदाशिबापुर-हिंडोल रोड रेलवे खंड की बुधपंक-सालेगांव तीसरी और चौथी लाइन परियोजना महत्वपूर्ण औद्योगिक मार्ग पर क्षमता बढ़ाएगी, जिससे माल ढुलाई सुगम और तेजी से होगा।
इसी तरह, 239 करोड़ रुपये की लागत वाली बोंडामुंडा-रांची दोहरीकरण परियोजना के 12.5 किलोमीटर लंबे बंगुरकेला-नौगांव रेलवे खंड से भीड़भाड़ कम होगी और ओडिशा और झारखंड के बीच संपर्क में सुधार होगा।
इनके अलावा, प्रधानमंत्री चार अन्य परियोजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे, जो महत्वपूर्ण नयी रेलवे विकास की शुरुआत का प्रतीक हैं।
ये परियोजनाएं सिजू और पारादीप कोचिंग यार्ड के बीच सात फ्लाईओवर हैं जिनकी लागत 200 करोड़ रुपये है। यह भारत के प्रमुख व्यापार केंद्रों में से एक, पारादीप बंदरगाह पर सुगम और निर्बाध ट्रेन आवागमन सुनिश्चित करते हुए, जमीनी क्रॉसिंग को खत्म कर देगा।
इसके अलावा, 300 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 18.51 किलोमीटर लंबी पारादीप-बड़ाबंधा तीसरी और चौथी लाइनों के विस्तार से माल ढुलाई और यात्री यातायात दोनों के लिए क्षमता बढ़ेगा, जिससे पारादीप बंदरगाह से संपर्क बढ़ेगा।.
इसी तरह, 152 करोड़ रुपये की लागत के एमसीआरएल इनर कॉरिडोर चरण-1 के 10.93 किलोमीटर के दोहरीकरण से कोयले की निकासी आसान होगी।
बहुप्रतीक्षित 41.9 किलोमीटर लंबी जेपोर-नबरंगपुर नयी लाइन की लागत 748 करोड़ रुपये है, यह जेपोर और नबरंगपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को जोड़ेगी, आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी और बाजारों और संसाधनों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगी।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना जयपुर और नबरंगपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को जोड़ेगी, जिससे क्षेत्र के लोगों के लिए बाजारों और सेवाओं तक बेहतर पहुंच उपलब्ध होगी। नयी लाइन से क्षेत्र का आर्थिक उत्थान, रोजगार, व्यापार और गतिशीलता में एक परिवर्तनकारी बदलाव आने का अनुमान है।
ये परियोजनाएं ओडिशा के रेल नेटवर्क को मजबूत करने, बेहतर संपर्क सुनिश्चित करने और राज्य में माल और यात्रियों के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार के बड़े दृष्टिकोण की हिस्सा हैं।
भीड़भाड़ कम करके, औद्योगिक केंद्रों से संपर्क में सुधार और प्रमुख रेल मार्गों की क्षमता बढ़ाकर, ये पहल न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करेंगी बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देगी।

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