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0 ईडी ने माया वारियर को 7 दिन की रिमांड पर लिया
0 आदिवासी विकास विभाग में थी पदस्थ
रायपुर। छत्तीसगढ़ में डीएमएफ घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है। कोरबा में माया आदिवासी विकास विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर रह चुकी हैं। ईडी ने उन्हें कोर्ट में पेश किया और 23 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया है।
डीएमएफ घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी है। ईडी ने मंगलवार को माया वारियर को पूछताछ के लिए बुलाया था। बताया जा रहा है कि जेल में बंद कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू की माया करीबी थीं। इसी मामले में ईडी निलंबित आईएएस रानू साहू से भी प्रोडक्शन वारंट पर हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन बताया गया कि तबीयत खराब होने के चलते उन्हें कोर्ट में कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता है। अब इस मामले में कल (गुरुवार) को सुनवाई होगी।

कोरबा कलेक्टर थीं रानू साहू
रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा में कलेक्टर थीं। इसके बाद फरवरी 2023 तक वह रायगढ़ की भी कलेक्टर रहीं। इस दौरान माया वारियर भी कोरबा में पदस्थ थीं। कलेक्टर रानू साहू से करीबी संबंध होने के कारण कोयला घोटाले को लेकर माया वारियर के दफ्तर और घर में ईडी ने छापा मारा था।
डीएमएफ की बड़ी राशि आदिवासी विकास विभाग को प्रदान की गई थी, जिसमें घोटाले का आरोप है। इसका प्रमाण मिलने के बाद ईडी ने माया वारियर की गिरफ्तारी की है।

40% सरकारी अफसरों को कमीशन मिला
जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में इसके लिए दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आईएएस अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। ईडी के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर किसी चीज की असल कीमत से ज्यादा का बिल भुगतान कर दिया। आपस में मिलकर साजिश करते हुए पैसे कमाए गए।

क्या है डीएमएफ घोटाला
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।