0 दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहले राष्ट्रपति जो हारकर फिर जीते
0 कमला हैरिस कड़ी टक्कर के बाद भी हारीं
0 ट्रम्प 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे और 2020 में बाइडेन से हार गए थे
वॉशिंगटन। डोनाल्ड ट्रम्प फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्हें 50 राज्यों की 538 में से 277 सीटें मिली हैं, बहुमत के लिए 270 सीटें जरूरी होती हैं। वहीं सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी की कैंडिडेट कमला हैरिस कड़ी टक्कर देने के बावजूद 224 सीटें ही जीत पाईं।
ट्रम्प 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे और 2020 में जो बाइडेन से हार गए थे। ताजा नतीजों के बाद ट्रम्प दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहले राजनेता हैं, जो 4 साल के गैप के बाद दोबारा राष्ट्रपति बनेंगे। वहीं अमेरिकी इतिहास में ट्रम्प पहले लीडर हैं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में दो बार महिला उम्मीदवारों को हराया है। अमेरिका में ऐसा सिर्फ दो बार 2016 और 2024 में हुआ है जब वहां महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी थीं।
असंभव को संभव कर दिखायाः ट्रम्प
जीत के बाद अमेरिकी लोगों को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि एक बार फिर से अमेरिका को महान बनाऊंगा। भगवान ने मेरी जान इसी दिन के लिए बचाई थी। ट्रम्प पर 13 जुलाई को पेंसिलवेनिया में हमला हुआ था। इसमें एक गोली उनके कान को छूकर निकल गई थी। हमले में उनकी जान बाल-बाल बची थी। ट्रम्प ने कहा कि हमने वो कर दिखाया जो लोगों को असंभव लग रहा था। यह अमेरिका के इतिहास की सबसे शानदार जीत है। मैं देश की सभी समस्याओं को दूर करूंगा। अमेरिकी लोगों के परिवार और उनके भविष्य के लिए लड़ूंगा। अगले 4 साल अमेरिका के लिए अहम हैं। उन्होंने इलॉन मस्क की तारीफ करते हुए कहा कि इलॉन एक स्टार हैं। चुनाव प्रचार में उन्होंने रॉकेट की तरह उड़ान भरी है।
ऊपरी और ताकतवर सदन सीनेट में भी ट्रम्प की पार्टी को बहुमत
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के साथ संसद के दोनों सदन सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के भी चुनाव हुए हैं। सीनेट संसद का ऊपरी सदन है। इसकी 100 सीटों में हर राज्य के लिए 2 सीटों की हिस्सेदारी है। इसकी एक तिहाई सीटों पर हर 2 साल में चुनाव होते हैं। इस बार सीनेट की 34 सीटों पर चुनाव हुए। ताजा नतीजों के साथ रिपब्लिकन पार्टी ने 52 सीटें हासिल कर ली हैं, जो बहुमत के बराबर हैं। इससे पहले उसके पास 49 सीटें थीं।
अमेरिका में उच्च सदन यानी सीनेट ज्यादा ताकतवर है, क्योंकि इसे महाभियोग और विदेशी समझौतों जैसे अहम मसलों को मंजूर या नामंजूर करने का अधिकार होता है। इसके सदस्य सीनेटर कहलाते हैं, जो 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जबकि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में मेंबर सिर्फ दो साल के लिए चुने जाते हैं।
निचले सदन में भी बहुमत के करीब पहुंच रही ट्रम्प की पार्टी
रिपब्लिकन पार्टी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत के करीब है। इसकी 435 सीटों के लिए हर 2 साल में चुनाव होते हैं। बहुमत के लिए 218 सीटें जरूरी होती हैं। रिपब्लिकन पार्टी 197 और डेमोक्रेटिक पार्टी 177 सीटें हासिल कर चुकी है। हालांकि ऊपरी सदन यानी सीनेट ताकतवर है, लेकिन सरकार चलाने में दोनों सदनों की एक जैसी भूमिका है। संसद के दोनों सदनों में से किसी एक में भी बहुमत से किसी विधेयक को पारित कराया जा सकता है।
लोग सीधे राष्ट्रपति को वोट नहीं देते, इलेक्टर चुने जाते हैं
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सीधा उम्मीदवारों को वोट नहीं किया जाता है। उनकी जगह इलेक्टर्स चुने जाते हैं, जो राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर चुनाव लड़ते हैं। हर राज्य में इलेक्टर्स की संख्या तय होती है। आमतौर पर जिस राज्य में राष्ट्रपति प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उस राज्य की सारी सीटें उसी को मिल जाती हैं। इसे एक उदाहरण से समझें। जैसे पेन्सिलवेनिया में 19 इलेक्टोरल वोट्स हैं। अगर रिपब्लिकन पार्टी ने 9 वोट्स और डेमोक्रेटिक पार्टी ने 8 वोट्स हासिल किए तो ज्यादा वोट्स लाने की वजह से सभी 19 इलेक्टोरल वोट्स रिपब्लिकन पार्टी के हो जाएंगे। अमेरिका के 48 राज्यों में यही चलन है। नेब्रास्का और मेने राज्य में अलग व्यवस्था है। इन राज्यों में जो पार्टी जितने इलेक्टोरल वोट्स हासिल करते हैं, उन्हें उतनी ही सीटें मिलती हैं। जैसे कि इस चुनाव में मेने राज्य से ट्रम्प को 1 और कमला हैरिस को 1 इलेक्टोरल वोट यानी 1-1 सीट हासिल हुई है।