
0 उज्ज्वला योजना की सब्सिडी के लिए 12,060 करोड़ मंजूर
0 मोदी कैबिनेट के 5 फैसलेः असम-त्रिपुरा में 4 नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट बैठक हुई। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में 5 अहम फैसले लिए गए हैं। इसके लिए कुल 52,667 करोड़ के फंड्स/प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है।
वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 2025-26 में भी सब्सिडी दी जाएगी, जिसके लिए 12,060 करोड़ मंजूर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पीएम उज्ज्वला योजना को समावेशी विकास (सबके लिए विकास) के लिए वैश्विक स्तर पर सराहना मिली है। इसका मकसद लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना है।
रेल मंत्री में बताया कि मीटिंग में तय हुआ है कि घरेलू एलपीजी पर घाटे की भरपाई के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को 30,000 करोड़ का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए मेरिटे योजना को 4,200 करोड़ की मदद दी जाएगी। इसके अलावा असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास पैकेज की मौजूदा योजना के तहत 4 नए प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है, जिन पर कुल 4,250 करोड़ खर्च होंगे। वहीं, तमिलनाडु में मरकानम–पुडुचेरी के बीच 46 किमी लंबा चार लेन हाइवे बनाया जाएगा, जिस पर 2,157 करोड़ की लागत आएगी।
मोदी कैबिनेट के 5 बड़े फैसले
1 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 2025-26 में सब्सिडी देने के लिए 12,000 करोड़ का बजट।
2 घरेलू एलपीजी पर घाटे की भरपाई के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को 30,000 करोड़ का मुआवजा।
3 तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए मेरिटे योजना को 4,200 करोड़ का बजट।
4 असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास पैकेज के तहत ₹4,250 करोड़ लागत के 4 नए प्रोजेक्ट।
5 तमिलनाडु में मरकानम-पुडुचेरी (एनएच-332ए) पर 2,157 करोड़ लागत का 46 किमी लंबा चार लेन हाइवे।
नुकसान की भरपाई के लिए सरकार देगी 30 हजार करोड़
एलपीजी सिलेंडर को सब्सिडी में बेचने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए तेल कंपनियों को सरकार 30 हजार करोड़ देगी। यह राशि कंपनियों को 12 किश्तों में दी जाएगी। इसके अलावा उज्ज्वला योजना की सब्सिडी जारी रखने के लिए 12 हजार करोड़ भी मंजूर किए गए हैं।
इंटरनेशनल मार्केट में महंगी एलपीजी से कंपनियों को नुकसान
भारत में घरेलू एलपीजी सिलेंडर आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी सरकारी तेल कंपनियां बेचती हैं। ये सिलेंडर सरकार द्वारा तय की गई रेगुलेटेड कीमतों पर मिलते हैं। यानी, इनकी कीमतें बाजार से तय नहीं होतीं, बल्कि सरकार इन्हें कंट्रोल करती है।इंटरनेशनल मार्केट में लंबे समय से एलपीजी की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। इससे तेल कंपनियों को भारी नुकसान हुआ। उन्हें महंगे दामों पर एलपीजी खरीदना पड़ा, लेकिन सस्ते दामों पर बेचना पड़ा। इस नुकसान को अंडर-रिकवरी कहते हैं, यानी वो रकम जो कंपनियों को बिक्री से नहीं मिल पाई।

