
0 चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा-प्रेजेंटेशन में दिखाया डेटा हमारा नहीं
0 राहुल का नाम लिए बिना चुनाव आयोग का निशाना
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने रविवार को नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल गांधी का नाम लिए बिना चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि पीपीटी प्रेजेंटेशन में दिखाया डेटा हमारा नहीं है। वोट चोरी के आरोपों पर हलफनामा दें या देश से माफी मांगे। 7 दिन में हलफनामा नहीं मिला तो आरोपों को निराधार समझा जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को यहां विशेष रूप से आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “ कोई किसी सूची में डेढ़ लाख मतदाताओं के नाम फर्जी होने का आरोप लगा दे, तो क्या आयोग बिना हलफनामे उनको नोटिस जारी कर देगा और उन्हें उप मंडलीय अधिकारी (एसडीएम) के दरवाजे पर चक्कर लगाने के लिए विवश करेगा। उन्होंने कांग्रेस नेता श्री गांधी द्वारा कर्नाटक और महाराष्ट्र की सूचियों में गड़बड़ी के लगाये गये आरोपोें को लेकर पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप संगीन है और ऐसे विषय में बिना हलफनामे के आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।
चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ़ विवेक जोशी की उपस्थिति में श्री कुमार ने श्री गांधी के आरोपों पर कहा कि सात दिन में हलफनामा दें, नहीं तो देश से माफी मांगे। अन्यथा यही माना जाएगा कि ये आरोप निराधार हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार 18 वर्ष की आयु के भारतीय नागरिक को ही वोट देने का अधिकार है तथा मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने के लिए स्पष्ट नियम निर्धारित किये गये हैं, जिनका कोई उल्लंघन नहीं कर सकता है।
श्री कुमार ने कहा कि कुछ लोग चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रख कर मतदाताओं को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग मतदाताओं के अधिकार की रक्षा के लिए चट्टान की तरह खड़ा है। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पंजीकरण के साथ बनते हैं। आयोग न तो किसी के पक्ष में हो सकता है और न विपक्ष में। आयोग के लिए सभी समकक्ष हैं।
उन्होंने महाराष्ट्र की मतदाता सूची के बारे विपक्ष के आरोपों को लेकर कहा कि वहां पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले सूचियों की सरसरी समीक्षा का मसौदा और चुनाव के समय हर उम्मीदवार को पक्की सूची दी गयी थी, लेकिन आठ महीने तक किसी ने उस पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं करायी थी और अब उसे मुद्दा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी हलफानामा देने के लिए कोयी तैयार नहीं है।
श्री कुमार ने एक मतदाता द्वारा एक से अधिक स्थानों पर वोट देने, मतदाता सूचियों में पते में शून्य अंकित होने जैसे मुद्दों पर पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि सूची में नाम होने और न होने तथा वोट देने का मुद्दा अलग-अलग है, इन्हें एक साथ जोड़कर चुनाव आयोग के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि एक व्यक्ति का चुनाव में दो जगह वोट देना अपराध है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस तरह की बात कर मतदाताओं को बिना किसी साक्ष्य या शपथ-पत्र के अपराधी नहीं बताया जा रहा है? उन्होंने कहा कि सूची में त्रुटि संभव है पर ‘‘मतदान की चोरी का आरोप” संविधान का अपमान है।
घर के पते के स्थान पर शून्य दर्ज होने के मामले में उन्होंने कहा, “देश में ऐसे बहुत से नागरिक है, जिनके पास घर नहीं है। वे किसी पुल के नीचे, किसी लैंप पोस्ट या बिना पते की जगह पर रहते हैं। वे भारत के नागरिक हैं और उन्हें मतदाता के तौर पर पंजीकरण करवाने का संवैधानिक अधिकार है। ऐसे लोगों के लिए आयोग की कम्प्यूटर प्रणाली में घर के पते की जगह शून्य दर्ज हो जाता है।
श्री कुमार ने कहा कि मलिन बस्तियों या गांव में मकानों पर नंबर नहीं पड़े हैं और उनमें रहने वालों के पते के स्थान पर भी शून्य दर्ज किया जाता है। उन्होंने कहा कि घर के पते के स्थान पर शून्य दर्ज किये जाने को लेकर आपत्ति उठाना गरीबों का अपमान है।
आयोग ने बिहार में मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वे राज्य की सूची के नये मसौदे में किसी भी कमी में सुधार के लिए अधिकारियों के साथ सहयोग करें और दावे तथा आपत्तियों के लिए इस महीने के अंत तक बचे समय का उपयोग करें।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की सारी त्रुटियों का यही जवाब है कि सभी राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर काम करें। बिहार में अभी सूची के मसौदे पर दावे और आपत्तियों के लिए 15 दिन का समय बाकी है। इस दौरान यदि वे त्रुटियों को दूर कराने में सहयोगी होंगे, तो आयोग उनका शुक्रगुजार होगा।”
उन्होंने कहा कि आयोग का नारा है कि मतदाता सूची में किसी पात्र व्यक्ति का नाम नहीं छूटे और किसी अपात्र का नाम न बचे। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने का तरीका ही एसआईआर है। इसमें मतदाताओं से छपे हुए गणना फॉर्म भरवाए जाते हैं और उसके आधार पर बनी सूची बिल्कुल नयी होती है। उन्होंने बताया कि पिछला एसआईआर दो दशक से भी पहले हुआ था। इसलिए बिहार से शुरू करायी जा रही एसआईआर में बड़ी संख्या में ऐसे नाम उजागर हुए हैं जो मर गये हैं, स्थायी रूप से विस्थापित हो चुके हैं या वे राज्य में ही एक से अधिक जगह पर मतदाता के तौर पर पंजीकृत हैं।
उन्होंने कहा कि यह आयोग, मतदाताओं और राजनीतिक दलों की साझा जिम्मेदारी है कि सूचियां शुद्ध हों। उन्होंने कहा कि बिहार में एक सितंबर से पहले आने वाली आपत्तियों पर अधिकारी सुनवाई कर त्रुटि निकाल सकते हैं। उसके बाद अपील में ही जाना होगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 56 घंटे के अंदर ही जिला स्तर की सूचियां तैयार कर दी हैं।
हमारे लिए न कोई पक्ष और न विपक्ष है
एक पार्टी के साथ साठगांठ के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हमारे लिए न कोई पक्ष और न विपक्ष है। सभी राजनीतिक दल बराबर हैं। अगर सही समय पर त्रुटि हटाने का आवेदन न हो और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह किया जाए तो ये लोकतंत्र का अपमान है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कुछ मतदाताओं ने वोट चोरी के आरोप लगाए, सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला। ऐसे आरोपों से इलेक्शन कमीशन नहीं डरता है। चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। हम स्पष्ट करते हैं कि चुनाव आयोग निडरता के साथ गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा समेत सभी धर्मों-वर्गों के लोगों के साथ चट्टान के साथ खड़ा है, खड़ा था और खड़ा रहेगा।
एसआईआर का उद्देश्य वोटर लिस्ट को शुद्ध करना है
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि पिछले 20 सालों में एसआईआर नहीं किया गया। अब तक देश में 10 से ज्यादा बार एसआईआर किया जा चुका है। एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है। राजनीतिक दलों से कई शिकायतें मिलने के बाद एसआईआर किया जा रहा है।
महाराष्ट्र में रिजल्ट आने के बाद गलतियां याद आईं
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आरोप लगाए गए थे कि महाराष्ट्र में मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई है। जब ड्राफ्ट सूची थी, तो दावे और आपत्तियां समय पर क्यों नहीं जमा की गईं? जब नतीजे आए तब कहा गया कि ये गलत है। आज तक महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी को एक भी मतदाता का नाम सबूत के साथ नहीं मिला है। चुनाव हुए आठ महीने हो गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि ये भी पूछा गया था कि आखिरी एक घंटे में इतनी वोटिंग कैसे हुई? चुनाव आयोग ने जवाब दिया था कि अगर 10 घंटे वोटिंग होती है, तो औसत हर घंटे 10% होता है। किसी भी बात को 10 बार, 20 बार कहने से वो सच नहीं हो जाता। सूरज पूरब में ही उगता है। किसी के कहने से वो पश्चिम में नहीं उगता।
हलफनामा दे या मांफी मांगें
चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सभी मतदाताओं को अपराधी बनाया जा रहा है। इस पर चुनाव आयोग शांत रहेगा, ऐसा संभव नहीं है। हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। अगर 7 दिनों के अंदर हलफनामा नहीं मिलता है, तो इसका मतलब है कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
चुनाव से पहले वोटर लिस्ट दुरुस्त करना काम
चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं कि एसआईआर में हड़बड़ी क्यों? वोटर लिस्ट चुनाव से पहले दुरुस्त होनी चाहिए या बाद में? चुनाव आयोग ये नहीं कह रहा। यह लोकप्रतिनिधित्व कानून कहता है कि आपको हर चुनाव से पहले वोटर लिस्ट दुरुस्त करनी है। ये चुनाव आयोग की कानूनी जिम्मेदारी है। फिर सवाल उठा कि क्या चुनाव समिति बिहार के सात करोड़ से ज़्यादा वोटरों तक पहुंच पाएगी? सच्चाई ये है कि ये काम 24 जून को शुरू हुआ था। पूरी प्रक्रिया लगभग 20 जुलाई तक पूरी हो गई थी।
यदि निर्वाचन क्षेत्र के वोटर नहीं तो गवाह के तौर पर शिकायत कर सकते
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा- यदि शिकायतकर्ता उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, तो आपके पास कानून में केवल एक ही विकल्प है। वह है निर्वाचक पंजीकरण नियम, नियम संख्या 20, उप-खंड (3), उप-खंड (B)। यह कहता है कि यदि आप उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, तो आप गवाह के रूप में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और आपको निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को शपथ देनी होगी। वह शपथ उस व्यक्ति के सामने दिलानी होगी जिसके खिलाफ आपने शिकायत की है।

