0 गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश के नाम संबोधन दिया
नई दिल्ली। 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। अपनी स्पीच की शुरुआत उन्होंने देश को बधाई देकर की। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो हमारी सामाजिक अस्मिता का मूल आधार है।
किसी राष्ट्र के इतिहास में 75 साल का इतिहास पलक झपकने जैसा होता है। भारत के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। इस काल खंड में भारत की चेतना जागी। इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सबको संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति हैं। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। 64 साल की मुर्मू ने साल 2022 देश में सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड भी बनाया।
कई स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान अब लोगों के सामने आया
राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमें उन वीरों को याद करना चाहिए जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। कुछ के नाम प्रसिद्ध हुए, तो कुछ को हाल ही में पहचान मिली। इस साल हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं, जो ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रतीक हैं जिनके योगदान को अब सही तरीके से माना जा रहा है।
20वीं सदी की शुरुआत में इन संघर्षों ने एक संगठित आजादी की लड़ाई का रूप लिया। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात थी कि महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे महान लोग हमारे साथ थे, जिन्होंने देश को लोकतांत्रिक मूल्यों को समझने में मदद की। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमारे देश की सभ्यता का हिस्सा रहे हैं।
आर्थिक विकास की दर बढ़ने से किसानों-मजदूरों के हाथ में पैसा आया
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे किसान भाई-बहनों ने कड़ी मेहनत की और हमारे देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है। हमारे मजदूर भाई-बहनों ने अथक परिश्रम करके हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कायापलट कर दी है। उनके शानदार प्रदर्शन के दम पर आज भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित कर रही है।
हाल के वर्षों में आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर, आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी।
सरकार ने जनकल्याण को नई परिभाषा दी
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सरकार ने जन-कल्याण को नई परिभाषा दी है, जिसके तहत आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है। वंचित वर्गों के लिए, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की मदद करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। अनुसूचित-जनजाति-समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान पीएम-जनमन - शामिल हैं। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए 'विकास एवं कल्याण बोर्ड' का गठन किया गया है।
हम उपनिवेशी मानसिकता के अंश खत्म कर रहे
मुर्मू ने कहा कि वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन कोलोनियल मेंटेलिटी का कुछ हिस्सा लंबे समय तक लोगों के मन में रहा। हाल के दौर में उस मानसिकता को बदलने की ठोस कोशिश हमें दिखाई दे रहे हैं। इन कोशिशों में इंडियन पील कोड, क्रिमिनल प्रोसिजर कोड और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का फैसला शामिल है।
धरती से अंतरिक्ष तक भारत नई उपलब्धियां हासिल कर रहा
राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात के वडनगर में देश के पहले आर्कियोलॉजिकल एक्सपेरिमेंटल म्यूजियम का काम पूरा होने वाला है। यह म्यूजियम एक आर्कियोलॉजिकल साइट से जुड़ा हुआ है। इस जगह पर इंसानों की बस्ती होने के लगभग 800 वर्ष ईसा पूर्व के साक्ष्य मिलते हैं। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इस महीने ISRO ने अपने सफल स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट से देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया है। भारत अब विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह क्षमता उपलब्ध है।
ओलिंपिक और चेस ओलंपियाड में हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साल हमारे खिलाड़ियों ने ओलिंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया है। पैरालिंपिक खेलों में हमने अपना अब तक का सबसे बड़ा कंटिंजेंट भेजा, जिसने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। FIDE शतरंज ओलंपियाड में हमारे खिलाड़ियों ने दुनियाभर को अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया और पुरुष और महिला चेस खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीते। 2024 में डी. गुकेश ने अब तक का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।