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0 पीएम ने भारत मंडपम में युग्म नवाचार सम्मेलन को संबोधित किया

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सरकार का प्रयास युवाओं को ऐसे कौशल से सशक्त बनाना है जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं और भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करें। श्री मोदी ने मंगलवार को यहां भारत मंडपम में युग्म नवाचार सम्मेलन को संबोधित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इस आयोजन के माध्यम से भारत की नवाचार क्षमता और ‘डीप-टेक’ में इसकी भूमिका को बढ़ाने के प्रयासों को गति मिलेगी। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर और मुंबई में कृत्रिम बुद्धिमत्ता , जैव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और चिकित्सा पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुपर हब के उद्घाटन का जिक्र किया।

उन्होंने वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क के शुभारंभ का भी उल्लेख किया, जो राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के सहयोग से अनुसंधान को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन, प्रौद्योगिकी संस्थानों और इन पहलों में शामिल सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग के माध्यम से देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में रोमेश वाधवानी की समर्पण और सक्रिय भूमिका की भी विशेष सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने में शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैश्विक शिक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, शिक्षण सामग्री और कक्षा एक से सात तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकों के विकास पर टिप्पणी की। उन्होंने पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफार्मों के तहत एआई-आधारित और स्केलेबल डिजिटल शिक्षा अवसंरचना मंच-‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल शिक्षा अवसंरचना’ के निर्माण पर प्रकाश डाला, जिससे 30 से अधिक भारतीय भाषाओं और सात विदेशी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार की जा सकेंगी।

श्री मोदी ने कहा कि नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क ने छात्रों के लिए एक साथ विविध विषयों का अध्ययन करना आसान बना दिया है, जिससे आधुनिक शिक्षा मिलती है और नए करियर के रास्ते खुलते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत के शोध पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत में नवाचार संस्कृति के तेजी से विकास पर कहा कि इसमें 2014 में लगभग 40,000 से 80,000 से अधिक पेटेंट दाखिल किये गये हैं। प्रधानमंत्री ने शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 50,000 करोड़ रूपये के राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन की स्थापना और एक राष्ट्र, एक सदस्यता पहल पर प्रकाश डाला, जिसने उच्च शिक्षा के छात्रों के लिए विश्व स्तरीय शोध पत्रिकाओं तक पहुँच की सुविधा प्रदान की है। उन्होंने प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलोशिप पर जोर दिया, जो यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अपने करियर को आगे बढ़ाने में कोई बाधा न आए।
उन्होंने वाधवानी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं और श्री वाधवानी तथा उनकी टीम के प्रयासों को देखकर संतोष व्यक्त किया, जिन्होंने भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सही दिशा में आगे बढ़ाया। उन्होंने श्री वाधवानी की उल्लेखनीय यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसमें विभाजन के बाद की स्थिति, अपने जन्मस्थान से विस्थापन, बचपन में पोलियो से जूझना और इन चुनौतियों से ऊपर उठकर एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण करना शामिल है। श्री मोदी ने भारत के शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों को अपनी सफलता समर्पित करने के लिए श्री वाधवानी की सराहना की और इसे एक अनुकरणीय कार्य बताया। उन्होंने स्कूल शिक्षा, आंगनवाड़ी प्रौद्योगिकियों और कृषि-तकनीक पहलों में फाउंडेशन के योगदान को भी माना।

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