0 एनडीए 202 पर जीत मिली, महागठबंधन 35 पर सिमटा
0 वहीं प्रशात किशोर की पार्टी जन सुराज और वीआईपी का खाता भी नहीं खुला
0 ओवैशी की एआईएमआईएम को 5 सीटें मिली
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को शानदार जीत मिली है। वहीं महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा है। बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 202 पर एनडीए रिकॉर्ड जीत की ओर है, जबकि महागठबंधन 35 सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है। वहीं प्रशात किशोर की पार्टी जन सुराज और वीआईपी का खाता भी नहीं खुला है।
एनडीए को 2020 के मुकाबले 75 से ज्यादा सीटों का फायदा हो रहा है, वहीं महागठबंधन को लगभग इतनी ही सीटों का नुकसान हो रहा है। पिछली बार 43 सीटों पर सिमटी जेडीयू की झोली में इस बार 85 सीटें आ गई हैं। वहीं 89 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राजद 25 सीटें जीत रही है, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें ही मिली।
बड़े चेहरों में राघोपुर से तेजस्वी यादव करीब 12 हजार वोटों से जीत गए हैं। वहीं तेजप्रताप यादव महुआ से चुनाव हार गए हैं। उनकी पार्टी जेजेडी ने हार के बाद फेसबुक पर पोस्ट किया है। इसमें लिखा है- तेजस्वी फेलस्वी हो गया। आरजेडी को जयचंदों ने खोखला कर दिया। मोदी विश्व के मजबूत नेता हैं। एनडीए को उसकी एकता ने जिताया।
दोनों डिप्टी सीएम जीते, सुमित सिंह हारे
इस बार 29 सीटों पर बिहार सरकार के मंत्रियों ने चुनाव लड़ा। 28 मंत्रियों में जीत हासिल की है। इनमें दोनों डिप्टी सीएम भी शामिल हैं। वहीं, चकाई से लड़ रहे मंत्री सुमित सिंह करीब 13 हजार वोटों से हार गए हैं। सुमित सिंह ने 2020 में इसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी और एनडीए को समर्थन देकर मंत्री बने थे। तारापुर से डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी 1 लाख 22 हजार वोट से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने राजद के अरुण कुमार साह को 45,820 वोट से हरा दिया है। उनके पिता शकुनी चौधरी ने कहा, 'बेटे ने मुझसे भी बड़ी जीत हासिल की। लखीसराय से डिप्टी सीएम विजय सिन्हा भी जीत गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के अमरेश कुमार को 24,940 वोट से हराया। विजय सिन्हा को 1,22,408 वोट मिले हैं।
एनडीए ने महागठबंधन की 110 में से 85 सीटें छीनीं
बिहार में 20 साल की एंटी इनकमबेंसी तोड़ते हुए एनडीए फिर से सरकार बनाने जा रही है। बीजेपी ने कुल 101 सीट लड़कर 89 जीतीं। यानी स्ट्राइक रेट 90%। इसी के साथ बिहार में भी बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आ गई। वहीं, जेडीयू 85 सीटों के साथ नंबर-2 की पोजिशन पर आ गई। शाम 5.30 बजे तक के रुझानों के मुताबिक एनडीए 202 सीटों पर आगे है, जो पिछली बार से 77 ज्यादा है। वहीं महागठबंधन 110 से घटकर 35 सीट पर आ गया है।
एनडीए ने राहुल-तेजस्वी के 12 में से 5 गढ़ ढहा दिए हैं। इन 12 सीटों पर आरजेडी और कांग्रेस लगातार 3 विधानसभा चुनावों से जीत रही थीं। एनडीए ने महागठबंधन की जीती हुई 85 सीटें छीन ली हैं।
पीके 3 साल घूमे, सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त
रणनीतिकार से राजनीति में प्रवेश करने वाले प्रशांत किशोर 3 साल तक बिहार में घूमे, लेकिन एक सीट भी नहीं जीत पाए। यहीं नहीं उनके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त भी हो गई। 6 साल में 6 सीएम बनवाने वाला ये शख्स जब खुद बिहार जीतने निकला तो एक भी सीट नहीं जीत पाया। 1 करोड़ से ज्यादा सदस्यों का दावा करने वाली जनसुराज पार्टी को महज 10 लाख वोट भी नहीं मिले। 238 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, उसमें से 233 सीटों मतबल 98% सीटों पर जमानत जब्त हो गई। पार्टी एक सीट मढ़ौरा पर दूसरे नंबर तक नहीं पहुंच पाई। वह भी तब जब एनडीए के प्रत्याशी का नामांकन खारिज हो गया था। जनसुराज को पार्टी को करीब 2% वोट मिलता दिख रहा है। इससे अच्छा प्रदर्शन तो असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और मायावती की बसपा की है। एआईएमआईएम 28 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे 1.9% वोट शेयर के साथ 5 सीटों पर जीत मिली है। जबकि, 181 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीएसपी को 1.6% वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत मिल रही है।
अपने घर में जमानत नहीं बचा पाए प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर रोहतास जिले से आते हैं। इसमें विधानसभा की 7 सीटें हैं। उनके अपने जिलों की सभी सीटों पर भी पार्टी अपनी जमानत नहीं बचा पाई है। उनकी अपनी विधानसभा करगहर में पार्टी को सिर्फ 3% वोट मिलता दिख रहा है।