0 रायपुर में बिल्डर के ठिकाने पर ईडी की रेड
0 मुंबई-बेंगलुरु समेत जयकॉर्प के 30 ठिकानों पर दबिश
0 2,434 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच
रायपुर/मुंबई/नागपुर/बेंगलुरु। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को रायपुर, मुंबई, नागपुर समेत देशभर में 30 से अधिक ठिकानों पर दबिश दी। ईडी ने देशभर में यह कार्रवाई जय कॉर्प लिमिटेड के निदेशक आनंद जयकुमार जैन से जुड़े 2434 करोड़ की धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग केस में की है। जांच एजेंसी दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड की तलाशी ले रही है।
जानकारी के मुताबिक रायपुर के एक बिल्डर के ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा है। 2 गाड़ियों में पहुंची ईडी की टीम में 5 अधिकारी और 5 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जो ऑफिस में जांच के साथ-साथ कर्मचारियों से पूछताछ कर रहे हैं। एजेंसी को शक है कि रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के नाम पर जुटाया गया पैसा विदेशी कंपनियों को ट्रांसफर किया गया था। एजेंसी संदिग्ध ट्रांजेक्शन, ऑफशोर अकाउंट्स और शेल कंपनियों की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रही है। कई कंपनियों और बड़े कारोबारी समूह भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी कार्रवाई का दायरा कई राज्यों तक फैलाया है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर, महाराष्ट्र के नासिक, कर्नाटक के बेंगलुरु और मुंबई के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है। मुंबई में ईडी की टीम करीब 20 ठिकानों पर जांच कर रही है, जबकि रायपुर, नासिक और बेंगलुरु में लगभग 10 ठिकानों पर दबिश दी है। बताया जा रहा है कि जांच का मुख्य फोकस जय कॉर्प लिमिटेड के निदेशक और उद्योगपति आनंद जयकुमार जैन, उनकी सहयोगी कंपनियों और उनके व्यापारिक साझेदारों पर है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सीबीआई ने आनंद जयकुमार जैन, उनकी कंपनी जय कॉर्प लिमिटेड, कारोबारी पराग शांतिलाल पारेख और कई अन्य कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आनंद जैन मशहूर गेमिंग कंपनी ड्रीम11 के को-फाउंडर हर्ष जैन के पिता हैं, जिससे यह मामला और भी हाई-प्रोफाइल हो गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस केस में एफआईआर दर्ज की। जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। इससे पहले मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को दिसंबर 2021 और अप्रैल 2023 में इस मामले से जुड़ी शिकायतें मिली थीं। एफआईआर के अनुसार, मई 2006 से जून 2008 के बीच आनंद जैन और अन्य आरोपियों ने दो कंपनियां बनाईं। इन कंपनियों के जरिए मुंबई और अन्य शहरों में रियल एस्टेट डेवलपमेंट के नाम पर निवेशकों से करीब 2,434 करोड़ की राशि जुटाई गई।
बैंक कर्ज का दुरुपयोग
जांच में सामने आया है कि नवी मुंबई एसईजेड प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर बैंकों से 3,252 करोड़ का कर्ज लिया गया। इससे पहले मुंबई एसईजेड लिमिटेड के लिए भी बैंकों से 686 करोड़ का लोन लिया जा चुका था। आरोप है कि इन कर्जों का इस्तेमाल घोषित उद्देश्यों के बजाय अन्य वित्तीय गतिविधियों में किया गया। सीबीआई का आरोप है कि आपराधिक साजिश के तहत निवेशकों और बैंकों का पैसा मॉरिशस और जर्सी (चैनल आईलैंड) में स्थित विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों में भेजा गया। आरोपियों पर यह भी आरोप है कि नवंबर 2007 के दौरान इस राशि का इस्तेमाल रिलायंस पैट्रोकैमिकल्स की फ्यूचर ट्रेडिंग में किया गया।

