अहोई अष्टमी का यह व्रत संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है. इस दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की अराधना की जाती है. यहां जानिये तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि से लेकर सब कुछ ज्योतिषियों के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत के दिन गुरू पुष्य योग की उपस्थिति होने के कारण अहोई अष्टमी व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इस बार अहोई अष्टमी पर यही योग बना रहा है, तो माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए ये व्रत अवश्य रखें। शाम के समय ही तारों को देखने के बाद माताएं उनकी पूजा करती हैं और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर 2021 को बृहस्पतिवार के दिन रखा जाएगा।
अहोई अष्टमी की पूजा के लिए चांदी की अहोई बनाई जाती है, जिसे स्याहु भी कहते हैं. पूजा के समय इस माला कि रोली, अक्षत से इसकी पूजा की जाती है, इसके बाद एक कलावा लेकर उसमे स्याहु का लॉकेट और चांदी के दाने डालकर माला बनाई जाती है. व्रत करने वाली माताएं इस माला को अपने गले में अहोई से लेकर दिवाली तक धारण करती हैं। अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करें और करवा में जल भरकर रखें. अहोई माता की कथा सुनें. स्याहु माता के लॉकेट की पूजा करें, उसके बाद संतान को पास में बैठाकर माला बनाएं। इस मौले को मौली के धागों की मदद से तैयार करें. माला बनाने के लिए किसी प्रकार की सूई या पिन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. संतान का तिलक करें और माला धारण करें। अहोई अष्टमी की पूजा के लिए चांदी की अहोई बनाई जाती है, जिसे स्याहु भी कहते हैं. पूजा के समय इस माला कि रोली, अक्षत से इसकी पूजा की जाती है, इसके बाद एक कलावा लेकर उसमे स्याहु का लॉकेट और चांदी के दाने डालकर माला बनाई जाती है।
व्रत करने वाली माताएं इस माला को अपने गले में अहोई से लेकर दिवाली तक धारण करती हैं।
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 11:30 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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पूजा का मुहूर्त शाम को 01 घंटे 17 मिनट का है
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को संतान के सुखी और समृद्धि जीवन के लिए अहोई अष्टमी को व्रत रखा जाता है. 28 अक्तूबर को शाम 5:39 से शाम 6:56 बजे तक अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त है. अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा का मुहूर्त शाम को 01 घंटे 17 मिनट का है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत कर अहोई माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं. इस व्रत में शाम को तारों को अर्घ्य दिया जाता है.
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 10:18 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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अहोई अष्टमी पर बन रहे तीन शुभ योग
इस साल अहोई अष्टमी पर 3 विशेष योग बन रहे हैं. इसे अत्यधिक शुभ माना जा रहा है. इसमें सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग एक साथ बन रहे हैं. इन योगों में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है. बृहस्पतिवार को गुरु पुष्य नक्षत्र योग होने से अत्यधिक लाभ मिलता है. ऐसे में इस बार अहोई व्रत करने वाली माताओं को कई गुना ज्या फल मिलेगा.
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 9:20 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त
इस साल अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 29 अक्टूबर की दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक रहेगी. इस दिन पूजन मुहूर्त 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है.
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 8:47 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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अहोई अष्टमी महत्व
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का विशेष महत्व है। यह व्रत संतान की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत कठिन व्रतों में से एक है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि अहोई माता की विधि-विधान से पूजन करने से संतान को लंबी आयु प्राप्त होती है. इसके साथ ही संतान की कामना करने वाले दंपति के घर में खुशखबरी आती है.
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 8:40 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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्रद्धशद्ब ्रह्यद्धह्लड्डद्वद्ब 2021: व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली के मौके पर घर को लीपने के लिए एक साहुकार की सात बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो उनकी ननद भी उनके साथ चली आई. साहुकार की बेटी जिस जगह मिट्टी खोद रही थी. उसी जगह स्याहु अपने बच्चों के साथ रहती थी. मिट्टी खोदते वक्त लड़की की खुरपी से स्याहू का एक बच्चा मर गया. इसलिए जब भी साहुकार की बेटी को बच्चे होते थे, वो सात दिन के भीतर मर जाते थे. एक-एक कर सात बच्चों की मौत के बाद लड़की ने जब पंडित को बुलाया और इसका कारण पूछा तो उसे पता चला कि अनजाने में उससे जो पाप हुआ, उसका ये नतीजा है. पंडित ने लड़की से अहोई माता की पूजा करने को कहा, इसके बाद कार्तिक कृष्ण की अष्टमी तिथि के दिन उसने माता का व्रत रखा और पूजा की. बाद में माता अहोई ने सभी मृत संतानों को जीवित कर दिया. इस तरह से संतान की लंबी आयु और प्राप्ति के लिए इस व्रत को किया जाने लगा.
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 8:27 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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अहोई अष्टमी पूजा का मुहूर्त
अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर 2021 को बृहस्पतिवार के दिन किया जाएगा
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – 05:39 क्करू से 06:56 क्करू
अवधि – 01 घण्टा 17 मिनट
गोवर्धन राधा कुण्ड स्नान बृहस्पतिवार, अक्टूबर 28, 2021 को
तारों को देखने के लिए सांझ का समय – 06:03 क्करू
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय – 11:29 क्करू
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ङ्खद्गस्र, ह्रष्ह्ल 27, 2021, 8:20 ्ररू ढ्ढस्ञ्ज
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अहोई अष्टमी का महत्व (्रद्धशद्ब ्रह्यद्धह्लड्डद्वद्ब ढ्ढद्वश्चशह्म्ह्लड्डठ्ठष्द्ग)
अहोई अष्टमी व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखती हैं. इस व्रत को बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और कार्तिकेय की माता पार्वती की उपासना की जाती है. कहते हैं कि जो माताएं इस दिन व्रत रखती है उनकी संतानों की दीर्घायु होती है. उन्हें यश, कीर्ति, वैभव, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. बताया जाता है कि जिनकी माताएं इस दिन व्रत रखती हैं उनके बच्चों की रक्षा स्वयं माता पार्वती करती हैं.