Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

अभी हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक चल रहा है। ये माह 19 नवंबर तक रहेगा। इस महीने में 2 से 6 नवंबर तक दीपावली और इसके बाद 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर मनाए जाएंगे।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार कार्तिक माह में भगवान विष्णु की पूजा खासतौर पर की जाती है। इस महीने में रोज सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करने की भी परंपरा है। कार्तिक माह में नदी में दीपदान भी किया जाता है। इस माह का संबंध भगवावन शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से है।
मान्यता है कि तारकासुर नाम के असुर को वरदान मिला था कि उसका वध शिव जी के पुत्र द्वारा ही होगा। उस समय शिव जी देवी सती के वियोग में थे। देवी सती अपने पिता दक्ष के यहां हवन कुंड में कूदकर देह त्याग चुकी थीं। वरदान पाकर तारकासुर ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। उसका आतंक बढ़ता ही जा रहा था। तब भगवान विष्णु और अन्य देवताओं ने शिव जी से विवाह करने की प्रार्थना की।
उस समय देवी पार्वती शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही थीं। शिव जी देवी पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न हुए और उनसे विवाह किया। विवाह के कार्तिकेय स्वामी का जन्म हुआ। कार्तिकेय स्वामी ने जन्म के कुछ समय बाद ही तारकासुर का वध कर दिया था। तारकासुर का वध हिन्दी पंचांग के आठवें माह में हुआ था। कार्तिकेय स्वामी के पराक्रम से शिव जी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने इस माह को कार्तिक नाम दिया। माह में किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है।
कार्तिक मास में रोज सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। सूर्यदेव को तांबे के लोटे से अघ्र्य अर्पित करें। ध्यान-योग करें। 
कार्तिक मास में किए गए इन शुभ कामों से शांति मिलती है और नकारात्मक विचार खत्म होते हैं।