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श्याम सुंदर भाटिया, वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार

बिहार में सियासत हर पल रंग बदल रही है। एक तरफ चार-चार गठबंधन तो दूसरी ओर बिहार की राजनीति के चतुर खिलाड़ी रहे श्री रामविलास पासवान के बेटे लोक जनशक्ति पार्टी-लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चिराग पासवान चुनावी दंगल में अकेले दम पर जमे हैं, लेकिन चिराग के कदम-चाल फौरी तौर पर सियासी पंडितों की समझ से परे है। यूँ तो मुहावरा दो नावों में सवार होना है, लेकिन चिराग एक पांव में अपने पिता और दूसरे पांव में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की खड़ाऊं पहनकर बिहार में सरकार रुपी लौ प्रज्ज्वलित करने की फिराक में हैं, लेकिन राह में कांटे ही कांटे हैं। एनडीए से नाता तोड़कर उन्होंने यह साफ संकेत दिया है, इस चुनावी दंगल में वह अकेले पहलवान के तौर पर लड़ेंगे। दूसरी ओर यह भी संदेश देने की कोशिश की है, भारतीय जनता पार्टी उनके दिल के करीब है, जबकि जद(यू) उन्हें फूटी आंख भी नहीं सुहाता है। वह अपने को प्रधानमंत्री का हनुमान बताते हैं। दावा करते हैं, यकीन नहीं आ रहा तो छाती चीर कर दिखा सकता हूँ। मानो, चिराग के इस जुमले से सियासी तूफां आ गया है। केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावेड़कर ने उनकी पार्टी को वोटकटवा कहकर एनडीए से और दूर छिटकने की कोशिश की। हालाँकि चिराग को यह बयान नागवार गुजरा। पलटकर सवाल दागा, वोट कटवा हैं तो 2014 से साथ क्यों ले रखा था, बावजूद इसके वह इस चुनाव को भारतीय जनता पार्टी के संग फ्रेंडली फाइट करार देते हुए दम भरते हैं, बिहार में अगली सरकार भाजपा +लोजपा की होगी। 

चिराग ने बिहार के 12 करोड़ अवाम के लिए लिखी खुली पाती में अपने पिताश्री श्री रामविलास पासवान के पांच दशकों की सेवा का हवाला देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ड्रम्प की अमेरिका फर्स्ट तर्ज पर बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का चुनावी मंत्र फूंका है। हालाँकि चिराग ने इसे चार लाख बिहारियों के विजन डॉक्यूमेंट की संज्ञा दी है। चिराग ने अपने पिताश्री के देहावसान से चंद दिनों पूर्व अपनी इस पाती में समर्थकों पर डोरे डालते हुए कहा, मैं और आप यानी हम अपनी ईमानदारी, मेहनत, निष्ठा और संकल्प के बूते बिहार को फर्स्ट बनाएंगे। जद(यू) के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से खफा होकर उन्होंने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का भले ही शंखनाद कर दिया हो, लेकिन भाजपा का मोहपाश नहीं छोड़ पा रहे हैं। चिराग कहते हैं, चुनाव नतीजों के बाद सूबे में भाजपा के नेतृत्व में भाजपा-लोजपा गठबंधन की सरकार बनेगी। यह बात दीगर है, भाजपा ने इससे पल्ला झाड़ते हुए कहा, चुनाव प्रचार के वक्त चिराग न तो प्रथानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह के नाम पर वोट मागेंगे और न ही भाजपा नाम पर। उल्लेखनीय है, चिराग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर प्रधानमंत्री का उन्हें स्नेह करते हुए फोटो समेत एक पोस्ट डाली। भाजपा को चिराग की यह सियासी चाल भी नागवार गुजरी। भाजपा ने तत्काल कहा, लोजपा के साथ भाजपा के साथ बिहार में किसी तरह का गठबंधन नहीं है। अलबत्ता सियासी गलियारों में लोजपा का यह पोस्टर- मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं… भी नए सियासी समीकरण का संदेश रहा है।     

बेशक, सूबे की चुनावी पिच पर चिराग पासवान नए खिलाड़ी हैं। उन्हें विधानसभा और चुनाव का लड़ने और लड़ाने का कोई ख़ासा अनुभव नहीं है। वह कभी एमएलए नहीं रहे, लेकिन जुमई से दूसरी बार सांसद हैं। हालाँकि वह लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन सांगठनिक पकड़ भी इसी चुनाव में तय होगी। सियासत के चतुर खिलाड़ी श्री रामविलास पासवान की गैर मौजूदगी में अकेले चुनावी ताल ठोके हैं। एनडीए का दामन उन्होंने ही छोड़ा है, लेकिन यह भी सच है, सामने चार-चार गठबंधन हैं, लेकिन वह बिलकुल तन्हा खड़े हैं। उन्होंने अपने पिताश्री के चाहने वाले करोड़ों-करोड़ लोगों को लिखी इस मार्मिक पाती में चिराग ने पिताश्री के सिद्धांतों, जनसेवा और लम्बे सियासी सफर का हवाला देते हुए स्वीकारा है, लोजपा ताकतवर दलों के खिलाफ मैदान-ए-जंग में है। पापा को हमेशा गर्व रहा है, उनका बेटा चिराग सिद्धांतों से न हटा और न भटका है। पिताश्री का सपना बिहार को फर्स्ट बनाने का था। हम सब मिलकर उनके सपनों में रंग भरेंगे। बिहार की अवाम पापा से बेपनाह मुहब्बत करती है और उम्मीद करता हूँ, आप मुझे भी वैसा ही दुलार देंगे। पाती में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और नौकरशाही पर प्रहार करना नहीं चूके। लिखा, जनता की तकलीफों का समाधान नहीं हो रहा है। न ही मुख्यमंत्री और न ही अफसरों के एजेंडे में गरीब के दर्द का निदान है। वह इंटरव्यू हो या सोशल मीडिया, बार-बार नीतीश सरकार के सात निश्चय पर सवाल उठाते हैं। 

हम अकेले चल पड़े हैं। पापा अक्सर कहते थे, चिराग अकेले चलने से मत घबराना, अगर रास्ता और मकसद नेक हैं तो लाखों-करोड़ों लोग आपके कारवां में जुड़ जाएंगे। जनता हूँ, यह फैसला बेहद कठोर है,लेकिन यह पवित्र निर्णय बिहार पर राज करने के लिए नहीं बल्कि नाज करने के लिए लिया गया है। आपको चेता देता हूँ, लोजपा के इस फैसले के प्रति लोग आपको भ्रमित करेंगे, लेकिन आपको स्पष्ट कर देना चाहता हूँ- आने वाली सरकार भाजपा और लोजपा गठबंधन की ही बनेगी।बिहार सूबे के इतिहास का यह बड़ा निर्णायक क्षण हैं - 12 करोड़ बिहारियों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। अब हमारे पास खोने के लिए और समय नहीं है। बेशक यह डगर आसान भी नहीं है। हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी। पापा का अंश हूँ, कभी परिस्थितियों से हार नहीं मानूंगा और न ही किसी कीमत पर बिहार फर्स्ट -बिहारी फर्स्ट की सोच को मरने नहीं दूंगा। यह इमोशनल पाती वोटों में कितना परिवर्तित करेगी, वक्त बातएगा। 

इसमें कोई शक नहीं है, चिराग ने अब तक की राजनीति अपने पिताश्री की छत्रछाया में ही  की है। बिहार के चुनावी दंगल में अकेले लड़ना उनके लिए बड़ा और कड़ा इम्तिहान है। दरअसल सियासत में शतरंज के मोहरे फूंक-फूंक कर चलने होते हैं। यदि सारी चालें फटाफट सार्वजनिक हो जाएंगी तो चुनावी नतीजों के बाद क्या करोगे? सियासी दलों से लेकर मीडिया और अवाम आपकी चालें बार-बार याद दिलाएंगे, फिर क्या करोगे? चिराग का भाजपा-लोजपा गठंबधन की सरकार बनाने का बार-बार दावा कितना सैद्धांतिक है, यह 10 नवंबर को नतीजे बताएंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ फोटो और ट्वीट भी नीतीश के खिलाफ जुनूनी-सा सन्देश देता है। सवाल यह है, एनडीए से नाता तोड़ ही लिया तो भाजपा से मोहपाश कैसा? हो सकता है, चिराग पासवान बिहार में सियासत की नई इबारत लिख रहे हों, लेकिन सब भविष्य के गर्त में ही छिपा है, लेकिन यह तय है- मौसम वैज्ञानिक माने जाने वाले श्री रामविसाल पासवान के बेटे चिराग की इस चुनाव में मुठ्ठी वज़नदार रहेगी।         

(ये लेखक के उनके निजी विचार हैं)