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अहमदाबाद। आज सिद्ध पद की आराधना का दिन है। कर्मो का क्षय कर सिद्ध पद को पाना है। कहते हैं कि दुनिया का कोई भी व्यक्ति सर्व गुण संपन्न नहीं है। हरेक में गुण के साथ अवगुण भी रहे हुए हंै। यदि मानवी सिर्फ किसी के अवगुण का ही निरीक्षण करेगा तो उसने जिस व्यक्ति में अवगुण देखे हैं, उस व्यक्ति की तरफ उसे नफरत पैदा होगी। कहते हैं किसी व्यक्ति के दिल में आपका स्थान बनाना हो अथवा तो किसी के करीब होना हो तो आपको उस व्यक्ति के गुण ही देखने होंगे। भले उस व्यक्ति में आपको अवगुण नजर आए। आपको उसे नजर अंदाज करना होगा। सद्गुणों की ओर दृष्टि करने वाला व्यक्ति विश्व के हरेक व्यक्ति के दिल में अपना स्थान पा सकता है।
अहमदाबाद-शांतिग्राम में बिराजित प्रवखर प्रवचनकार संत मनीषि, प्रसिद्ध जैनाचार्य प.पू. राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हैं एक युवान समुद्र के किनारे घूमने निकला। समुद्र के किनारे आकर वह मिट्टी के ढेर में सीप को ढूंढऩे लगा। अचानक उस युवान को सीप की जगह उस मिट्टी के ढेर से मोती की प्राप्ति हुई। मोती अत्यंत ही सुंदर था। जिस किसी व्यक्ति की उस मोती पर दृष्टि पड़ती वह उस मोती पर आकर्षित हो जाता था।
वह युवान उस मोती को हाथ में पकड़कर उसे घुमा रहा था तभी उसकी दृष्टि उस मोती पर रहे हुए काले रंग की रेखा पर पड़ी। कितनी मां अपने बालक को किसी की नजर न लगे इस उद्देश्य से बच्चे के मुख्य पर कालज का टीका करती है। उसी तरह कुदरत ने भी इतने सुंदर मोती पर किसी की नजर न लगे इस दृटि से ही काले रंग की रचना की होगी। उस युवान के मन में उस सुंदर मोती पर काले रंग की रेखा को देखकर मन दु:खी हो गया। उसके मन में विचार आया यदि इस सुंदर मोती पर से वह काली पर से वह काली रेखा निकल जाए तो मोती कितना आकर्षित लगेगा? कहते है मोती की सुंदरता को बढ़ाने में सहायक बनने वाली यह काली रेखा को भी वह युवान खामी समझ बैठा है। 
पूज्यश्री फरमाते है जहां खामी नजर आएगी वहां दु:ख अवश्य होगा ही। जनमेदिनी को प्रश्न करते हुए पूज्यश्री कहते है क्या आपके जीवन में ऐसा कोई प्रसंग आया? क्या आपने कभी किसी व्यक्ति के दोषों की तरफ दृष्टि की है? कभी ऐसा भी होता है हम किसी की खामी को दूर करने जाते है परंतु व्यक्ति ही हमसे दूर हो जाता है।
युवान ने मोती के ऊपर रहे हुए कालापन को दूर करने के लिए सबसे पहले उसने मोती के ऊपर का स्तर निकाला। परंतु ये क्या? फिर से काली रेखा दिखने लगी। उस युवान ने दूसरी बार प्रयास किया। परिणाम वहीं का वही था फिर भी युवान एक के उपर एक, मोती के ऊपर का स्तर निकलता रहा अंत में सुंदर दिखने वाली मोती, मोता के पाउडर के रूप में रुपांतर हो गया। अफसोस! मोती को ही घुमा बेठा। पूज्यश्री फरमाते है हमें भी हमारे जीवन में एक निर्णय करने जैसा है कभी भी किसी की खामी दोषों के तरफ दृष्टिपात नहीं करना। कारण खामी को दूर करने का प्रयत्न करते है उस स्थान पर व्यक्ति को ही घुमा बैठते है।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ातेे हुए पूज्यश्री फरमाते है यदि आपमें ताकात है, शक्ति है तथा विश्वास है तो आप अपनी स्वामी को खूबी के रूप में बदल दो। चंद्र में कलंक है फिर भी वह शीत है। सूर्य गरम है फिर भी उसका प्रकाश सभी को पसंद है। उसी तरह मोती की काली रेखा मोती की कीमत को बढ़ावा देती है।
कहते है दूसरों की भूल निकालने के लिए भेजा चाहिए वैसे ही स्वयं की भूल को स्वीकारने के लिए कलेजा चाहिए यदि मानवी कोई महापुरूष, तीर्थंकर बनता है तो वह उसके सद्गुणों के प्रकाश से ही बनता है। ऊंची पोस्ट-पद पर बैठने से मानवी ऊंचा नहीं बनता। अनादिकाल से हमारा जो स्वभाव मना है दूसरों की खामी एवं खराबी ढूंढने का उसे हमें अब बदल देना है। अन्य व्यक्ति में रही हुई खामी को खूबी के रूप में बदलकर शीघ्र अपने इस मानव जन्म को सफल करें। आठ कर्मो का क्षय करके शीघ्र सिद्ध पद को मिलाये यहीं शुभाभिलाषा।