सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव के पूजन को समर्पित है। प्रदोष का व्रत प्रत्येक हिंदी माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 16 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन मंगलवार होने के कारण भौम प्रदोष के संयोग का निर्माण हो रहा है। भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी के पूजन का भी विधान है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भौम प्रदोष का दिन मंगलदोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे उपयुक्त अवसर है। आइए जानते हैं मंगलदोष से मुक्ति पाने के लिए भौम प्रदोष के दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में।
1-भौम प्रदोष का व्रत रखते हुए, विधि पूर्वक भगवान शिव का पूजन करें और पूजन में शिवलिंग पर गुड़ या लाल रंग की मिठाई चढ़ाएं। ऐसा करने से भगवान शिव मंगल दोष दूर करते हैं।
2- भौम प्रदोष के दिन मंगल ग्रह को शांत करने के लिए मंगल यंत्र की विधि पूर्वक पूजा करने के साथ मंगल स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
3- हनुमान जी को मंगल ग्रह का देव माना जाता है, इसलिए मंगलवार के दिन हनुमान जी के पूजन का विधान है। भौम प्रदोष के दिन हनुमान मंदिर में चमेली का तेल और सिंदूर को चोला हनुमान जी को अर्पित करना चाहिए।
4- भौम प्रदोष के दिन हनुमान मंदिर में लाल रंग का तिकोना झंडा चढ़ा कर, सुंदरकाण्ड का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से हनुमान जी मंगल दोष से मुक्ति प्रदान करते हैं।
5- इस दिन शंकर जी के सामने रख कर मूंगे के बने गणेश जी के पेंडेंट का पूजन करें। पूजा के बाद इस पेंडेंट को गले में धारण करें,ऐसा करने से मंगल दोष समाप्त होता है।
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