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मुंबई। एक सरदारजी बड़े अफसर से मिलने ऑफिस में गए सरदारजी नये कपड़े पहले हुए थे फिर भी अफसर को उनके रास के खूब बदबू आ रही थी। अफसर ने सरदारजी से कहा कि सरदारजी से बदबू कल से आ रही है सरदारजी ने नोचे हाथ करते हुए बताया कि मोजे से बदबू आ रही है। अफसर से सरदारजी को डांटते हुए कहा कि कल से बदबू नहीं आनी चाहिए। जी साहेब! सरदारजी घर गए नये मोजे पहनकर पुराने मोजे पेंट के जेब में रख दिए ताकि अफसर को बता सके। ऑफिस गए। अफसर से मिले। फिर से सरदारजी के आने से बदबू आने लगी। सरदारजी! ये कपड़े नये है मोजे नये है फिर बदबू कहां ये आ रही है। साहेब! आपकी नसल्ली हो जाए, इसलिए नये मोजे पहनकर पुराने मोजे आपको बताने के लिए साथ में लेकर आया हूं।
मम्बई में बिराजित प्रखर प्रवचनकार-संत मनीषि प.पू. राजयशसूरीश्वरजी म.सा. श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हंै हमारी भी यही हालत है। संसार में परिभ्रमण करते हैं,  परंतु विषय वासना को छोडऩे का मन नहीं होता है। इसी तरह क्रोध-मान-माया, लोभ हर क्षण हर पल करते रहते है। इसे भी मोजे की तरह साथ लेकर घूमते हैं। यदि आपको जीवन में आगे बढऩा है तो आपको इन विषय वासना को तथा कषायों को छोडऩा पड़ेगा।
मैं जब भी व्याख्यान करता हूं लोगों को एक बात अवश्य पूछता हूं आप लोगों ने जन्म लिया है? हॉ यह बात निश्चित है कि जिसका जनम हुआ उसका मरण निश्चित है। हम सब को एक दिन मरना दी है। बच्चों को स्कूल भेजते हो तो आप कैसी कैसी तैयारी करते हो इसी तरह एक दिन हमें भी मरना है तो परलोक की तैयारी आप लोगों ने की? हमारी जीवन यात्रा छोटी है। इस अल्प समय में शुद्ध भावना से जो काम करोंगे अवश्य सफलता को पाओंगे।
पूज्यश्री फरमाते है मन में सुंदर भाव आए तुरंत उसे पूरा करना। एक छोटा लड़का मंदिर में पिताजी के साथ गया। पिता ने बेटे से कहा छोटी मोट भंडार में डालना परंतु लड़के के हाथ पहली बार सौ की बड़ी नोट हाथ में आई तो उसने भंडार में डाला। यह दृश्य देखकर पिता ने बेटे से कहा बड़ी मोट क्यों डाला। बेटे ने जवाब दिया पिताजी! आप बड़ी नोट डाल रहे थे मुझे एकदम भावना हुईतो मैंने सौ की नोट बिना सोचने डाल दी।
पहले के जमाने में बूढ़े लोग, कोई अच्छी बात करता है तो शकुन के रूप में गांठ बांधते थे। एक धोबी अपने सिर पर कपड़े रखकर जा रहा था। रास्ते में एक मंदिर बन रहा था वह उस मंदिर को एक ही नजर से देख रहा था उस मंदिर के सेठ की लड़की वहीं खड़ी थी। उसने धोबी से कहा, अरे भाई! आप एक ही नजर से इस मंदिर को क्या देख रहे हो? क्या आपको भी ऐसा मंदिर बनाना है? तुरंत ही दोबी ने शकुन की गांठ बांध ली। फिर वहां से चल गया। कुछ ही वर्षों में उसकी प्रगति हुई काफी धन कमा लिया मन में संकल्प किया था मंदिर बनाना है भगवान याद आए। एक मुसलमान की स्त्री थी उसका लड़का बिमार हुआ। स्त्री ने भगवान को याद करके कहा, भगवान! यदि आप मेरे बेटे को अच्छा करोंगे तो मैं आकाश के जितनी बड़ी रोटी बनाऊंगी। कुछ दिनों के बाद लड़का ठीक हो गया। स्त्री तो अपने नियम को भूल गई। लड़के ने मां को याद दिलाकर कहा, मां! आपने कहा था ना कि मेरे ठीक होने के बाद तुम आकाश के जितनी बड़ी रोटी बनाएगी? हॉ बेटा मैंने भेजेगा तभी बनाऊंगी ना? लड़का चकरा गया। हमारी आदत है भाव आता है तब उत्साह से नियम ले लेते है परंतु उसका पालन नहीं करते है।
धोबी ने शकुन की गांठ बांधी थी मंदिर बनवाया। प्रतिष्टा के समय तिलक करने के लिए शेठ की लड़की को बुलवाया। संकल्प किया पुरा हुआ। जीवन छोटा है जब भी तुम्हारे मन में सुंदर भाव आए तुरंत उस कार्य में लग जाओ। कितने लोगों की जिंदगी यू टाईम पास-बिमारी में गई। सावधान होकर शासन के कार्य करते जाओ सफलता को पाओ।