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हिंदू पंचाग के अनुसार साल के दसवें महीने को पौष का महीना कहा जाता है. विक्रम संवत में पौष दसवां महीना होता है. भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है उस मास का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा गया है।
पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिये इस मास को पौष का मास कहा जाता है. वर्ष 2021 में पौष मास का आरंभ 20 दिसंबर से हो रहा है. नववर्ष 2022 में 17 जनवरी के दिन माह का समापन होना है। मान्यता है कि सूर्य देवता के भग नाम से इस माह में उनकी पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और जो इनसे युक्त उन्हें भगवान माना गया है. वहीं मान्यता यह भी है कि इस मास में मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिये क्योंकि उनका शुभ फल नहीं मिलता। हालांकि विद्वानों का मानना है कि सांसारिक कार्यों को निषिद्ध करने के पिछे ऋषि-मुनियों का उद्देश्य सिर्फ यह था कि लोग कुछ समय धार्मिक कार्यों में रूचि लेकर आध्यात्मिक रूप से आत्मोन्नति कर सकें. इसका एक कारण यह भी है कि पौष मास में सूर्य अधिकतर समय धनु राशि में रहते हैं। धनु राशि के स्वामी बृहस्पति माने जाते हैं. मान्यता है कि देव गुरु बृहस्पति इस समय देवताओं सहित सभी मनुष्यों को धर्म-सत्कर्म का ज्ञान देते हैं. लोग सांसारिक कार्यों की बजाय धर्म-कर्म में रूचि लें इसी कारण इस सौर धनु मास को खर मास की संज्ञा ऋषि-मुनियों ने दी। किस प्रकार करें पौष मास में सूर्य देव की उपासना ? सबसे पहले नित्य प्रात: स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए, ताम्बे के पात्र से जल दें जल में लाल चंदन या रोली या कुंकुम, शहद लाल फूल डालें, इसके बाद सूर्य के मंत्र ? सूर्याय नम: का जाप करें बता दें, इस माह नमक का सेवन कम से कम करना चाहिए।

पौष मास में खान-पान में किस तरह की सावधानी और ख्याल रखें ?

    खाने पीने में मेवे और स्निग्ध चीज़ों का इस्तेमाल करें .

    चीनी की बजाय गुड़ का सेवन करें .

    अजवाइन, लौंग और अदरक का सेवन लाभकारी होता है .

    इस महीने में ठन्डे पानी का प्रयोग, स्नान में गड़बड़ी और अत्यधिक खाना खतरनाक हो सकता है.

    इस महीने में बहुत ज्यादा तेल घी का प्रयोग भी उत्तम नहीं होगा.

पौष मास में सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है ?

    इस महीने में मध्य रात्रि की साधना उपासना त्वरित फलदायी होती है.

    इस महीने में गर्म वस्त्रों और अन्न का दान काफी उत्तम होता है.

    इस महीने में लाल और पीले रंग के वस्त्र भाग्य में वृद्धि करते हैं.

    इस महीने में घर में कपूर की सुगंध का प्रयोग स्वास्थ्य को खूब अच्छा रखता है.