सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करने का विधान है। इस वर्ष पौष अमावस्या 2 जनवरी को है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने और उनके निमित्त श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्माएं तृप्त होती हैं। इससे प्रसन्न होकर पितर अपने परिवारजनों को पितृ लोक से सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि हेतु आशीर्वाद देते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में श्रधालु पवित्र नदी गंगा समेत कई अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा और पितरों का तर्पण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या के दिन कई उपाय करने का विधान है। इन उपायों को करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। आइए जानते हैं-
-ज्योतिषों की मानें तो कालसर्प दोष की पूजा और उपाय अमावस्या के दिन किए जाते हैं। अत: पौष अमावस्या के दिन चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा कर उन्हें नदी की धारा में प्रवाहित करें। ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
-अमावस्या के दिन जरुरतमंदों और असहाय लोगों की सहायता करना और उन्हें भोजन करना पुण्य का काम माना जाता है। अत: पौष अमावस्या के दिन दिन आप जन-जीव को भोजन अवश्य दें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
-अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। अत: पौष अमावस्या के दिन पूजा-पाठ संपन्न करने के बाद अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं भोजन उपरांत उन्हें दान-दक्षिणा भी दें।
-पौष अमावस्या के दिन प्रात: काल पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। कोरोना काल में संभव न हो, तो घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आटे का चारा मछलियों को खिलाएं। इससे जीवन में व्याप्त सभी परेशानियों का अंत होता है।
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