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14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में दोपहर 2 बजकर 32 मिनट पर प्रवेश करेंगे। अत मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी लेकिन शुभ कार्य 15 जनवरी से किए जाएंगे। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होता है। इस दिन से सभी मांगलिक कार्य आदि कर सकते हैं।
14 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। साथ ही सूर्य उत्तरायण भी होगा। इससे पूर्व सूर्य दक्षिणायन रहता है। ज्योतिषों की मानें तो खरमास के दिनों में सूर्यदेव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो बृहस्पति देव का प्रभाव कम या शून्य हो जाता है। इस वजह से खरमास के दिनों में शुभ कार्य करने की मनाही है। बृहस्पति ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। अत: जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उस दिन से शुभ कार्य किए जाएंगे। आइए, खरमास की कथा जानते हैं- 
क्या है कथा : शास्त्रों में निहित है कि सूर्यदेव ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। इस दौरान उन्हें रुकने की अनुमति नहीं है। आसान शब्दों में कहें तो प्रकृति के अधीन होकर सूर्य देव कार्य करते हैं। इस वजह से सूर्य देव रुक नहीं सकते हैं। अगर रुकते हैं, तो पूरा ब्रह्मांड रुक जाएगा। इससे समस्त लोकों में हाहाकार मच जाएगा। हालांकि, लगातार परिक्रमा करने से रथ के अश्व थक जाते हैं। यह देख सूर्य देव ने एक बार अश्वों को विश्राम हेतु सरोवर के समीप छोड़ दिया और खर को रथ में बांधकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने लगे। वहीं, खर की गति धीमी होने के चलते किसी तरह एक माह का चक्र पूरा होता है। इसके बाद पुन: अश्वों को बांधकर परिक्रमा की। इसके लिए हर वर्ष खरमास लगता है।

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मकर संक्रांति तिथि

14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में दोपहर 2 बजकर 32 मिनट पर प्रवेश करेंगे। अत: मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, लेकिन शुभ कार्य 15 जनवरी से किए जाएंगे। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होता है। इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शादी, विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, वाहन खरीदारी आदि कर सकते हैं।