सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य उत्तरायण और खरमास समाप्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा धरती पर प्रकट हुई थी। किदवंती है कि अश्व चुराने का झूठा आरोप लगाने के चलते कपिल मुनि ने राजा सगर के पुत्रों को क्रोध में जलाकर भष्म कर दिया था औरमरणोपरांत सभी की आत्माओं को पाताल लोक भेज दिया था। जब यह बात राजा सगर को ज्ञात होता है, तो राजा सागर शोकाकुल होकर कपिल मुनि से क्षमा याचना करते हैं। उस समय कपिल मुनि उन्हें मां गंगा को धरती पर लाने की सलाह देते हैं। तब राजा भगीरथ कठिन तपस्या कर मां गंगा को धरती पर आने की विनती करते हैं। मां गंगा के धरती पर प्रकट होने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। अत: मकर संक्रांति के दिन मां गंगा, सूर्यदेव और शनिदेव की पूजा करने का विधान है। अगर आप भी मकर संक्रांति पर सूर्यदेव और शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो इन उपायों को जरुर करें-
-मकर संक्रांति के दिन तिल दान का विशेष महत्व है। अत: इस दिन काले तिल का दान अवश्य करें। इससे साढ़े साती और शनि की ढैय्या दोष का प्रभाव कम होता है।
-मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विधान है। हालांकि, कोरोना काल में यह संभव नहीं है, तो घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद सूर्य् के सन्मुख खड़े होकर तिलांजलि दें।
-मकर संक्रांति पर लाल रंग या लाल रंग के फूल जल में मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
-शनिदेव की कृपा पाने के लिए मकर संक्रांति पर एक पात्र में सरसों का तेल और एक रुपये के सिक्के को रखकर चेहरा देखें। इसके बाद तेल का दान कर दें।
-मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को लोहे से बनी चीजें अवश्य दान करें। साथ ही उन्हें भोजन भी कराएं।
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