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हिंदू धर्म में हर महीने का अपना विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदु धर्म में माघ महीने को पवित्र महीना माना जाता है।माघ के महीने में दान, स्नान, उपवास और तप का विशेष महत्व होता है। यही कारण है कि इस महीने में लोग हरिद्वार और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर गंगा स्नान करने जाते हैं। माघ के महीने को नदी में स्नान, दान आदि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। माघ महीने में कई धार्मिक पर्व आते हैं साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है। इसके आलावा इस महीने में संगम तट पर कल्पवास करने का भी विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कल्पवास करने वाला व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है। आइए जानते हैं माघ माह का पौराणिक महत्व और इस माह में स्नान-दान का महत्व... 
कब से शुरू हो रहा है माघ का महीना : इस बार 18 जनवरी से माघ महीने की शुरूआत हो रही है, जोकि 16 फरवरी 2022 तक चलेग। पुराणों के अनुसार माघ का महीना पहले माध का महीना कहलाता था, जोकि बाद में माघ महीने के नाम से जाना जाने लगा।
माघ माह का पौराणिक महात्म : पौराणिक कथा है कि माघ मास में ही गौतम ऋषि ने इन्द्र देव को श्राप दिया था। जब इन्द्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होने अपनी गलती सुधारने के लिए गौतम ऋषि से क्षमा याचना की। इसके बाद गौतम ऋषि ने इन्द्र देव को माघ मास में गंगा स्नान कर अपनी गलती का प्रायश्चित करने को कहा। तब इन्द्र देव ने माघ मास में गंगा स्नान किया था, जिसके फलस्वरूप इन्द्र देव को श्राप से मुक्ति मिली थी। इसके बाद से ही इस महीने में पूर्णिमा और अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है।

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माघ के महीने में दान-पुण्य का महत्व -

माघ महीने में तिल, गुड़ और कंबल के दान का विशेष महत्त्व माना गया है। ऐसा करने से मनुष्य के शरीर से रोगों का नाश होता है। ऊनी वस्त्र ,रजाई, जूता और इसके आलावा जो भी शीत निवारक वस्तुएं हैं उनका दान कर 'माधव: प्रीयताम' वाक्य बोलने से लोगों के दुख दूर होते हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। वहीं मत्स्य पुराण के एक कथन के अनुसार माघ मास में जो व्यक्ति ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। इस महीने में प्रतिदिन अन्न दान करने से कभी धन की कमी नहीं आती है।