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अनीता जैन ,वास्तुविद
स्वास्थ्य लाभ और पुण्य प्राप्ति के लिए माघ का महीना बहुत ही उत्तम माना गया है। यह पवित्र महीना देवी-देवताओं के निमित्त पूजा-पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ है। इस माह में सनातन धर्म के लोग प्रयागराज में एक महीने का कल्पवास करते हैं। शास्त्रों में इस महीने में किए जाने वाले कुछ विशेष कार्यों को बताया गया है। मान्यता है कि इन कार्यों को करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं क्या हैं इस पवित्र माह में जीवन को सुखी तथा सम्पन्न बनाने के सरल उपाय । 
पुण्यलाभ के लिए स्नान
नारदपुराण के अनुसार माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने से प्राणी के सभी महापातक दूर हो जाते है और प्राजापत्य-यज्ञ का फल प्राप्त होता है। माघ मकर गति रवि जब होई,तीरथपतिहिं आव सब कोई !! अर्थात माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में आते हैं तब सब लोग तीर्थों के राजा प्रयाग के पावन संगम तट पर आते हैं। देवता, दैत्य ,किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं । इस माह में किसी भी तीर्थ, नदी और समुद्र में स्नान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। 
सूर्य की उपासना
पदमपुराण के अनुसार पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी श्रीविष्णुजी को उतनी प्रसन्नता नहीं होती। जितनी कि माघ महीने में प्रात: स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान जगदीश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान कर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार सूर्यनारायण का पूजन करने वाला व्यक्ति प्रज्ञा, मेधा तथा सभी समृद्धियों से संपन्न होता हुआ चिरंजीवी होता है। यदि कोई व्यक्ति सूर्य की मानसिक आराधना भी करता है तो वह समस्त व्याधियों से रहित होकर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है।
शिवलिंग पर अभिषेक
इस माह भगवान विष्णु की पूजा के अलावा शिवजी की पूजा का भी विशेष महत्व है। रोगों से मुक्ति के लिए माघ मास में नित्यप्रति जल में गंगाजल की कुछ बूँदें मिलाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विशेष कामना की पूर्ति के लिए इस माह में रुद्राभिषेक करना लाभदायक है। इस समय श्री विष्णुसहस्रनाम के पाठ करने से विष्णु भक्ति की प्राप्ति एवं श्री सूक्त की विधिवत पूजा व हवन करने से धन की प्राप्ति होती है तथा घर में सुख, शांति व आरोग्यता आती है।   
दान
इस मास में तिल, गुड़ और कंबल के दान का विशेष महत्त्व माना गया है,ऐसा करने से रोगों का नाश होता है। ऊनी वस्त्र ,रजाई,जूता एवं जो भी शीतनिवारक वस्तुएं हैं उनका दान कर 'माधव: प्रीयताम' यह वाक्य कहना चाहिए। मत्स्य पुराण का कथन है कि माघ मास में जो व्यक्ति ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन अन्न दान करने से कभी धन की कमी नहीं आती है।