मुंबई। मानव सर्व गुण संपन्न नहीं होता लेकिन उसमें एक भी दुर्गुण हो तो वह सर्व गुणों का नाश करता है। एक पेटी में 100 आम है यदि एक आम बिगड़ा हुआ है तो वह 99 आम को खराब करके रहेगा इसी तरह दूध में यदि नींबु के रस का एक बिंदु भूल से भी गिर गया तो दूध फट जाएगा। घास के पूड़े में अग्नि का एक कण भी यदि गिर जाय तो घास जलकर राख हो जाएगी। इसी तरह हमें महामूल्य ऐसा मानव का भव मिला है प्राणी यदि प्रमाद करके जीवन की एक क्षण भी बिगाडेगा तो उसका जीवन व्यर्थ हो जाएगा।
मुंबई में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, प्रसिद्ध जैनाचार्य प।पू।राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है माता ने अपने पुत्र को राजभंडारी के पास भेजने के लिए सारा आयोजन किया। पुत्र को उसने ब्रह्रमुहूत्र्त का समय देखकर उठाया। बेटे ने कहा, मां रात को मैं देर से सोचा हूं इसलिए कुच समय के लिए तुं सोने दे। अभी हमारे पास काफी समय है राजभंडारी के पास मैं, समय से पहुंच जाऊंगा। इस तरह कहकर बेटा फिर से सो गया।
पूज्यश्री फरमाते है सोने का काम हम जिंदगी भर करेंगे तो भी हमारी नींद पूरी नहीं होगी। कोई भी काम कल के भरोसे नहीं रखना है क्या हमें पता है हमारा आयुष्य कितना है? यह मानव भव जो हमें मिला है वह फिर से मिलेगा नहीं।
हे मानव! दान-तप-आराधना के लिए जो मानव का अवतार मिला है उसे प्रमाद करके फोगट क्यों जाने देता है। मां के कहने से पुत्र उठ तो गया मगर अकबार पढऩे बैठ गया। हम आपको कहे कि समय मिले तब महापुरूषों के जीवन चरित्र पढऩा तब आप करोंगे कि साहेब हमारे पास समय नहीं है। मोबाईल पर यू ट्यूब देखने के लिए समय है धार्मिक आराधना के लिए आपके पास समय नहीं है।
दुपहर हुई। भोजन का समय हुआ तो मां ने अपने पुत्र को गरम गरम रसोई पिरसी। बेटा खाना खाकर राजदरबार की ओर निकला। अन में विचार आया राजभंडारी के पास जाने के लिएसमय तब तक मित्रों के साथ पत्तेबाजी खेल लेता हूं।
कहते है जिस मानवी में पहले से कुसंस्कार पड़ जाते है उस मानवी को पत्तेबाजी जैसा खेल मन को आहलाद करने वाला होता है इसलिए के व्यक्ति समय बिगड़े उसकी चिंता नहीं करते है। पत्तेबाजी खेलते खेलते अचानक भाई साहेब को अपनी मां की बात याद आई टाईस पर भंडारी के पास पहुंच जाना। भाई साहेब भागे जब तक वें राजभंडारी के पास पहुंच भंडारी ने भंडार को ताला लगा दिया।
प्रमाद किया कुछ नहीं पाया। बाजी हाथ से चली गई। अब पछताये क्या होता है जब चिडिय़ा चुग गई खेत। कोई भी कार्य कल के लिए न रखकर जिस समय करने का है उसी समय कर लेना चाहिए। समय कभी किसी का वक्त नहीं करता। हमें समय के साथ चलकर अपना कार्य पूर्ण करना है। मनुष्य भव का एक एक पह हमारे लिए कीमती है प्रमाद का त्याग करके जीवन को धर्ममय बनाकर शीघ आत्मा से परमात्मा बनें।