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एकादशी का काफी अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशी पड़ती है। इसके हिसाब से हर माह 2 एकादशी पड़ती है जिनका अपना-अपना महत्व है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 28 मार्च, सोमवार के दिन पड़ रही है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि। विष्णु पुराण के अनुसार, पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती हैं। क्योंकि इस एकादशी को पापों से मुक्ति पाने वाली एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। पापमोचनी एकादशी पूजा विधि : एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। भगवान को पीले रंग के फूल अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर या चंदन से तिलक लगाएं, तुलसी के साथ भोग में कोई मिठाई अर्पित करें। इसके बाद जल अर्पित करें। फिर घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद पापमोचनी एकादशी की कथा पढ़ें और अंत में आरती कर लें। दिनभर व्रत रखें। दूसरे दिन व्रत का पारण करके अन्न ग्रहण करें। इसके साथ ही एकादशी वाले दिन अपनी योग्यता के हिसाब से गरीब ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। इसके साथ ही भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए 'ऊं नमो भगवते वासुदेवायÓ मंत्र का करीब 108 बार जाप करें।