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नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनंत है. मां दुर्गा के पहले स्वरूप की पूजा अगर पूरे विधि विधान से करने पर दोगुना फल मिलता है. महिलाओं के लिए मां शैलपुत्री की पूजा काफी शुभ मानी गई है। नौ दिनों के नवरात्र में मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवदुर्गाओं में शैलपुत्री का विशेष महत्व होता है. पर्वराज हिमालय के घर मां भगवती अवतरित हुईं, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। माता पार्वती और उमा के नाम से भी शैलपुत्री को जाना जाता है। वृषभ पर माता शैलपुत्री विराजमान रहती हैं. शैलपुत्री को संपूर्ण हिमालय पर्वत समर्पित हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार माता शैलपुत्री ने हेमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व है। इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। शैलपुत्री की पूजा से होती है ये मनोकामना पूरी- मां शैलपुत्री भक्तों की पुकार जल्दी सुनती है. इन्हें सर्व फलदायी कहा जाता है. लपुत्री को अत्यंत सौम्य स्वभाव का माना जाता है..शैलपुत्री की पूजा करने से संतान वृद्धि और धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। नवरात्र का पहला दिन किस राशि के लिए होगा शुभ- वैसे तो नवरात्र का पहला दिन सभी राशियों के लिए शुभ माना गया है. लेकिन खासकर मेष और वृश्चिक राशी वाले जातकों के लिए आज का दिन विशेष फलदायी रहेगा। शैलपुत्री की पूजा के दौरान किस रंग का वस्त्र पहनें- नवरात्रि के पहले दिन गुरुवार को मां शैलपुत्री की पूजा कर उन्हें गाय का घी लगाना चाहिए और फूल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां ..मंत्र का ध्यान करें. भक्त पूजा के समय लाल औऱ गुलाबी रंग का वस्त्र पहनें. क्योंकि ये रंग मां को प्रिय होता है. क्यों जरुरी है मां शैलपुत्री की पूजा - शारदीय नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. अगर हमारे जीवन में स्थिरता और शक्ति की कमी है तो मां शैलपुत्री की पूजा जरूर करनी चाहिए. खासकर महिलाओं के लिए मां शैलपुत्री की पूजा शुभ मानी गई है.