केके पाठक
हमारे देश में ईमानदारी संवैधानिक नियमानुसार कार्यवाही ना कर- कार्य करने के बदले में पैसों की या अन्य सुविधाओं की मांग करना भ्रष्टाचार है- भ्रष्टाचार की जड़ें हमारे देश मै बहुत गहरे तक जमी हुई है, इस भ्रष्टाचार रूपी कुकृत्य को उखाड़ फेंकने के लिए हमारे देश के नियम कानून कायदों में कड़े नियम, कानून, कायदों को लाना होगा, बदलाव लाना होगा, आजकल लोगों ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार में तब्दील कर दिया है। सरकारी तौर पर लोग अपने अपने जान पहचान वालों को ठेका देते हैं, और बदले में कमीशन के तौर पर मोटी रकम वसूलते हैं- मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजी- ठेकेदार को काम चाहिए और सरकारी अधिकारी कर्मचारी को ठेके पर काम कराना है। अगर दोनों की मिलीभगत है तो प्रूफ और प्रमाण कहां से प्राप्त होगा। कि कितना कमीशन दिया और कितना कमीशन लिया, ठेका लेने वाला कहता है, कि हम कमीशन नहीं देते और ठेका देने वाला कहता है कि हम कमीशन नहीं लेते। लेकिन करते दोनों भ्रष्टाचार हैं, एक भ्रष्टाचार करता है और दूसरा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले की मजबूरी है, क्योंकि अगर वह शिकायत करने ऊपर जाता है तो उसका काम छिन जाता है और अगर वह इसकी शिकायत कानूनन करता है तो उसको आगे से काम नहीं मिलता, यदि वह छोटी पूंजी वाला है तो वह बेरोजगार हो जाता है- लेकिन भ्रष्टाचार करने वाला देशद्रोही और गद्दार है, क्योंकि उसे संस्थान सारी सुख सुविधाएं और पारिश्रमिक दे रही हैं। सिर्फ इसलिए कि देश तरक्की और उन्नति करें देश के लोगों की जरूरतें पूरी हो देश के लोगों को सुख सुविधाएं प्राप्त हो और देश का विकास हो। लेकिन लोगों ने अपना जमीर बेच खाया है, और देश को विनाश की ओर ले जा रहे हैं, ठेकेदार रोजी- रोटी कमाने के लिए ठेका लेता है, लेकिन सरकारी कर्मचारी और अधिकारी को तो सरकार ने सरकारी संपत्ति की रेख देख के लिए बैठा रखा है। जिसके एवज में सरकार उसको मोटी तनख्वाह देती है। मोटर गाड़ी की सुविधा देती है। टेलीफोन की सुविधा देती है। यात्रा भत्ता की सुविधा देती है। और ना जाने कितनी सुविधाएं सरकार सरकारी कर्मचारी और अधिकारी को देती है। इसके बाद भी धिक्कार है, सरकारी अधिकारी और कर्मचारी की नियत को कि वे जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं, धिक्कार है तुम्हारी शिक्षा को और विशेषज्ञता को अगर तुम शिक्षा के महत्व को नहीं समझ पाए तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो, लेकिन आजकल के बेशर्म अधिकारी और कर्मचारी कहते हैं कि चुल्लू भर पानी में डूब के वह मरे जिसे तैरना ना आता हो- यह प्रक्रिया केवल सरकारी क्षेत्र में नहीं निजी क्षेत्रों में भी है और लोकतंत्र से जुड़े संस्थानों में भी है, और आजकल तैरना सभी लोग जानते हैं, डूबते तो संस्थान और हमारा देश है।
कई सरकारी और अधिकारी तो ऐसे भी होते हैं जो अपने से नीचे के कर्मचारियों को भी यही सीख देते हैं और कहते हैं, कि खाओ पियो मौज करो। ठेकेदारों को भी यही सलाह देते हैं, कि नीचे कर्मचारियों का भी ख्याल रखना भाई, महान ऋषि और मुनि आदरणीय तरुण सागर जी महाराज ने पार्लियामेंट में अपने संबोधन में एक बार कहा था की- नदी हमेशा ऊपर से नीचे की ओर बहती है- अगर उनके इशारे को आप समझ सकते हो तो समझ लो। शिक्षा का यही तो महत्व है- कि कम कहना ज्यादा समझना एक शब्द पर कई प्रकार के विश्लेषण तैयार होते हैं। जहां ग्राही को एक रुपए में 15 पैसे प्राप्त होता हो, जहां गमलों में लाखों की गोभी का उत्पादन होता हो जहां नल की टोटी 6-6,7-7 हजार में आती हो,जहां बिना गहरीकरण किए तालाब गहरे हो जाते हो, जहां बिना भवन बने भवन बन जाते हो, जहां बिना नाली बने नाली बन जाती हो, सब कागजों का खेल है, जहां ऊंचे स्तर तक कमीशन और भ्रष्टाचार की राशि पहुंचती हो,जहां पर पद पैसों में बिकते हो, जहां पैसों में पदस्थापना की जाती हो, कमाई की जगह है भाई ।
शर्म आना चाहिए ऐसे लोगों को जो अपने देश की ही खाते हैं, और उसी के साथ दगा करते हैं। देश उनको काम करने के बदले में इतनी सुख सुविधाएं और पैसा देती है, फिर भी उनका पेट नहीं भरता जो देश के साथ गद्दारी और देशद्रोह करते हैं,भ्रष्टाचार भी एक प्रकार का देशद्रोह है। देश के भ्रष्टाचारी देश को दीमक की तरह चाट रहे हैं, मैं यह नहीं कहता कि 100 में से सारे के सारे लोग भ्रष्टाचारी हैं। लेकिन कम से कम 70- 80 प्रतिशत लोग तो इसी तरह के हैं, जिनकी सोच और दिमाग में सिर्फ एक ही बात भरी हुई है या तो हमें फ्री की तनख्वाह मिलना चाहिए हम काम नहीं करेंगे, काम चोरी करेंगे और अगर काम करेंगे तो कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार करेंगे, काम चोरी और भ्रष्टाचार भारत देश की बर्बादी के मुख्य कारण हैं। और यह कृत्य कोई बाहर से आकर लोग नहीं करते हमारे ही देश के जांबाज लोग हैं। जिन्हें समय-समय पर गुमराह करके देश से भ्रष्टाचार के जरिए पारितोषिक भी मिल जाया करते हैं। बाद में पता चलता है कि इनकी हकीकत क्या है,और क्या थी। हमारे देश के सरकारी क्षेत्रों में निजी क्षेत्रों में और लोकतंत्र में जितने भी लोग कार्य करते हैं सबको कार्य करने के बदले में पारिश्रमिक दिया जाता है, देश सबको पारिश्रमिक देती है।
यहां कोई मालिक नहीं है, सब देश सेवक हैं कोई छोटा तो कोई बड़ा इसके बावजूद भी लोग भ्रम पाले हुए हैं कि, यह हमारी बपौती है। भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी करना साथ में काम चोरी करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। जब हम अपने देश के सगे नहीं हुए तो हम किसके सगे होंगे, हम अपने घर परिवार वालों को भी भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी और काम चोरी की हराम की कमाई खिलाकर उनकी बुद्धि को भ्रष्ट कर देते हैं। इसलिए तो उनके पास भी बड़ी-बड़ी डिग्रियां होती हैं, और बड़ी-बड़ी विशेषज्ञता होती है, लेकिन वह भी आगे जाकर यही काम करते हैं, जो आपने उनको विरासत में दिए हैं। हमें अपने जीवन में उन लोगों से सीख लेनी चाहिए, जो इस देश की सेवा पूर्ण समर्पण ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा समयनिष्ठाता की सोच के साथ करते हैं। और अपने देश के साथ वफादारी करते हैं।
अपने देश को अपना आदर्श मानते हैं। इस दुनिया में ईमानदारी, सच्चाई, अच्छाई और वफादारी से बड़ी कोई दौलत नहीं है। मेरे देश के ऐसे लोगों को मेरा बार-बार नमन है- अगर तुमने अपनी शिक्षा से इतना भी ग्रहण नहीं किया तो तुम्हारी पूरी जिंदगी बेकार है,हमारे देश के अधिकांश भ्रष्टाचारी कमीशन खोर कामचोर अपना पूरा जीवन भ्रष्टाचारी कमीशन खोरी और काम चोरी में निकाल देते हैं। उनके पास अच्छाई और अच्छी सोच देशहित भलाई के कार्य को सोचने का समय ही नहीं है, दिन भर भ्रष्टाचारी कामचोरी और कमीशन खोरी करते हैं- और रात में चार पैग लगाकर सो जाते हैं।
ऐसे लोगों का जीवन पशुओं से भी गया बीता है। जागो मेरे देशवासियों जागो और अपने इस बहुमूल्य जीवन के परम उद्देश्य को पहचानो अच्छाई को पहचानो ईमानदारी को पहचानो कर्तव्यनिष्ठता को पहचानो समय- निष्ठाता को पहचानो तुम्हारा जीवन और तुम्हारे घर परिवार का जीवन सफल हो जाएगा।और तुम्हारे देश का नाम रोशन होगा, यह तुम्हारा देश है, तुम्हारे देश का विश्व में नाम होगा तुम्हें भारतीय होने पर गर्व होगा।