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13 दिसम्बर विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. चरणदास महंत के जन्मदिन पर विशेष

गुरजीत सिंह सलूजा  (वरिष्ठ सूचना अधिकारी, छत्तीसगढ़ विधानसभा)

सरल, सहज, सौम्य एवं कुशल राजनेता, एक कृषक, समाजवादी विचारक, साहित्यकार, विधायक, सांसद, मंत्री, केन्द्रीय मंत्री और अब विधान सभा अध्यक्ष, अपने  लम्बे राजनीतिक जीवन में विभिन्न दायित्वों एवं जिम्मेदारियों का सफलता पूर्वक निर्वहन करने वाले डाॅ. महंत का जन्म  13 दिसम्बर 1954 को जांजगीर-चांपा जिले के सारागांव में हआ था । उनके पिता स्वर्गीय श्री बिसाहू दास जी महंत अविभाजित मध्य-प्रदेश के पूर्व विधायक एवं मंत्री थे । उनकी माता का नाम जानकी देवी था । श्री बिसाहू दास जी महंत ने 1952 से 1977 तक 6 बार चुनाव लड़ा और जनता के स्नेह से हर बार उन्हें जीत मिली। स्वयं कृषक परिवार से होने के कारण श्री बिसाहू दास जी महंत ने सिंचाई, सड़कों एवं कृषकों के हितों में अनेक कार्य किये । वे अविभाजित म.प्र. सरकार के उद्योग, लोक निर्माण एवं जेल मंत्री भी रहे । 

पिता श्री बिसाहू दास जी महंत के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं जीवन शैली का प्रभाव डाॅ. चरणदास महंत पर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है । वे बाबूजी की अविरल विकास यात्रा के कर्णधार बने । सारागांव के इस होनहार युवा ने अपने बाबूजी की मंशा के  अनुरूप जनसेवा को अपना धर्म और लक्ष्य मानकर नायब तहसीलदार की सरकारी नौकरी छोड दी, और वर्ष 1980 में युवा विधायक के रूप में अविभाजित म.प्र. से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की । डाॅ. महंत की 1980 से प्रारंभ हुई राजनीतिक यात्रा आज भी अनवरत् जारी है । 1980 से 2018 तक विधान सभा व लोकसभा के 10 चुनाव का लम्बा राजनैतिक अनुभव अपने आप में जनसेवा का एक कीर्तिमान है । इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि वे हर दिल अजीज है, और सभी को साथ लेकर चलने की उनमंे  कला हंै । वे सभी की मदद के लिए सदैव तत्पर रहते हैं । क्षेत्र में जनता से निरंतर मिलना एवं उनकी समस्याओं का त्वरित निराकरण करने में उन्हें महारत हासिल है।

डाॅ. चरणदास महंत ने एम.एससी., एम.ए. (समाज शास्त्र), एल.एल.बी. और पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की । अविभाजित   म.प्र. में जहां उन्होने कृषि, वाणिज्यिक-कर, गृह एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री के रूप में सफलता का परचम लहराया, वहीं केन्द्रीय राज्य मंत्री, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, के रूप में अपने कार्यों से अपनी विशिष्ट पहचान बनायी।  डाॅ. चरणदास महंत अपने माता-पिता के मंशा के अनुरूप दीन दुखियों की सेवा एवं सर्वहारा वर्ग के उत्थान के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे । डाॅ. चरणदास महंत का दृढ़ विश्वास है कि- जब तक गरीबों, कमजोर वर्गों एवं आदिवासियों के जीवन का विकास नहीं होगा, तब तक देश का असली विकास संभव नहीं है ।

डाॅ. चरणदास महंत  अपने लंबे राजनीतिक जीवन में विभिन्न पदों पर रहे लेकिन कोई भी पद संभालते समय उन्होने अपने पिताजी श्री बिसाहू दास जी महंत की स्मृति-स्वरूप दी गयी पेन का शपथ के अवसर पर इस्तेमाल किया । वे कहते है कि-अपने पिताजी के पेन से हस्ताक्षर करने के दौरान उन्हें महसूस होता है कि- पिताजी का आर्शीवाद उनके साथ है । वे कहते हंै कि-उन्होने केवल पेन ही नहीं बल्कि अपने पिताजी की अनेक स्मृतियों को सहेजकर रखा है । 

    डाॅ चरणदास महंत का विवाह श्रीमती ज्योत्सना महंत के साथ हुआ जो वर्तमान में कोरबा लोकसभा क्षेे़त्र से सांसद है । डाॅ. चरणदास महंत राजनीति के साथ -साथ एक लेखक एवं संवेदनशील सहित्यकार के रूप में भी काफी चर्चित हंै । पढ़ने-लिखने में डाॅ. महंत की विशेष रूचि रही है । ‘‘हिन्दू कहे मोहे, राम प्यारा, मुसलमान रहमान‘‘, ‘‘कबीर चिंतन, एवं ’’छत्तीसगढ़ के सामाजिक-धार्मिक आंदोलन’’ जैसी पुस्तकें भी उन्होने लिखी । कबीर पंथी परिवार के डाॅ. महंत का लगाव एवं समर्पण  संत कबीर दास जी के प्रति बचपन से रहा । वैचारिक धरातल पर डाॅ. महंत संत कबीर से अनुप्रेरित रहे और उनकी गिनती कबीर पंथी चिंतकों में होती है।

संत कबीर दास जी की 600 वीं जयंती पर डाॅ. महंत ने ’’कबीर चिंतन’’ किताब लिखी थी, जिसका बाद में अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ । नब्बे पृष्ठ की यह पुस्तक तीन खंडो में है । पहले खंड में कबीर चिंतन दूसरे खण्ड में ‘कबीर दर्शन ‘ और तीसरे खण्ड में संत कबीर और गाॅधी जी के बीच वैचारिक समानता को तलाशने की कोशिश की गयी है । डाॅ. महंत ने छत्तीसगढ़ विधान सभा की शोध पत्रिका ‘‘विधायन‘‘  के प्रकाशन हेतु  संपादक मण्डल के रूप में प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों एवं साहित्यकारों को शामिल किया । कोरोना काल मे ‘‘विधायन‘‘ का अंक सामयिक विषय पर्यावरण पर केन्द्रित था।
 
दिनांक 04 जनवरी, 2019 को छत्तीसगढ़ विधान सभा का अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. चरणदास महंत ने संत कबीर दास जी का दोहा पढ़कर अपनी मंशा जाहिर की थी:-

   ‘‘कबीरा खड़ा बजार में, माॅगे सबकी खैर,
    ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर‘‘
     
उन्होने कहा था कि- हम प्रतिबद्ध और वचन बद्ध है, हमें सदन की गरिमा का ध्यान रखना होगा, और वह सभी मान. सदस्यों के सहयोग के बगैर संभव नहीं हंै । हम सर्वकल्याण के उद्देश्य से चलें । सदन की कार्यवाही के दौरान हममें मत-भेद हो सकते है, लेकिन मन-भेद नहीं होना चाहिए।

    गाॅधी जी के विचारों से प्रभावित होने के फलस्वरूप सत्य, अहिंसा और मानवता के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी जी की 150 वीं जयंती पर पहली बार ‘‘छत्तीसगढ़ विधानसभा‘‘ का दो दिवसीय विशेष सत्र 02 एवं 03 अक्टूबर 2019 को आयोजित किया गया । इस सत्र में गाॅधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर मा. सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये । इस विशेष-सत्र में गाॅधी जी के जीवन दर्शन पर केन्द्रित प्रदर्शनी, नाटक एवं व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। देश में इस तरह के विशेष सत्र का आयोजन करने वाला छत्तीसढ़ प्रथम राज्य बना । गाॅधी जी के प्रति भावनात्मक लगाव को महसूस करने के लिए सभी मा. सदस्यों को खादी एवं कोसे के परिधान प्रदाय किये गये।

 डाॅ. चरणदास महंत के दीर्घ कालीन संसदीय अनुभवों के कारण दो दिवसीय सत्र में कुल 05 घंटे 32 मिनट तक चर्चा हुई । गाॅधी जी के विचारों से प्रभावित डाॅ. महंत ने 64 वें राष्ट्रकुल संसदीय संघ सम्मेलन में भाग लेने के पश्चात् जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका ) स्थित ’’सत्यागह हाऊस’’ जिसे ‘‘गांधी सदन’’ भी कहा जाता है, एवं ‘‘कांस्टीट्यूशनल हिल‘‘ का अवलोकन किया । गाॅधी जी को कुछ समय यहां जेल में रखा गया था । युगांडा (कम्पाला) प्रवास के दौरान उन्होने  जिन्जा, जहां से नील नदी का उद्गम हुआ है, का अवलोकन किया एवं वहां स्थित गाॅधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की । नील नदी के स्रोत पर स्थित जिन्जा सबसे पवित्र स्थान है जहां 1948 में महात्मा गाॅधी जी के निधन के पश्चात उनकी राख का कुछ हिस्सा प्रवाहित किया गया था । कम्पाला (युगांडा) में आयोजित 64 वें ’’राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन’’ में डाॅ. महंत ने ’’संसद/ विधान मंडलों की भूमिका एवं उनकी संवैधानिक शक्तियों का विभाजन-जनता के प्रति जवाबदेही एवं पारदर्शिता‘‘ विषय पर अपने विचार व्यक्त किये । डाॅ. महंत को संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा के अधिवेशन को हिन्दी में संबोधित करने का अवसर भी प्राप्त हुआ है । 

    फिलहाल डाॅ. महंत एक नई भूमिका में हैं । वो छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में ऐसी भूमिका का निवर्हन कर रहे है , जो चुनौतियों एवं जिम्मेदारियों से भरी हुई है । दिनांक 04 जनवरी 2019 को विधान सभा अध्यक्ष के रूप सदन में अपने पहले उद्बोधन में उन्होने सभी को साथ लेकर चलने की अपनी मंशा को दोहराया । उनके दीर्घ संसदीय अनुभव का लाभ निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ विधान सभा को मिला, जिसका परिणाम यह रहा कि उनके लगभग 02 वर्षो के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ विधान ने अनेक नये संसदीय सोपानांे को तय किया है । पहली बार पंचम विधान सभा के नव-निर्वाचित सदस्यों के शपथ, तथा  दिनांक 02 एवं 03 अक्टूबर को गांधी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष-सत्र  का सीधा प्रसारण दूरदर्शन से किया गया ।

पहली बार 28 मान. सदस्यों ने सदन मे छत्तीसगढ़ी भाषा में शपथ ली । डाॅ. महंत ने फरवरी, 2019 सत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग की चर्चा में केवल मान. महिला सदस्यों को चर्चा में भाग लेने का अवसर प्रदान किया । 25 नवम्बर, 2019 से सत्र की कार्यवाही के प्रथम दिवस राष्ट्रगीत ‘‘वंदे मातरम्‘‘ के साथ राज्य गीत ’’अरपा पइरी के धार ‘‘‘‘ ‘‘का सदन में गायन हुआ । भारत के संविधान के अंगीकरण की 70 वीं वर्षगांठ पर 26 नवम्बर, 2019 को सभा में विशेष चर्चा करायी गयी।  दिनांक 28 नवम्बर, को ‘‘छत्तीसगढी़ राजभाषा दिवस‘‘ के अवसर पर मान. अध्यक्ष डाॅ. चरणदास महंत की व्यवस्था के फलस्वरूप सदन की सम्पूर्ण कार्यवाही छत्तीसगढ़ी भाषा में सम्पन्न हुई । सेन्ट्रल हाॅल में पूर्व स्थापित तैल चित्रों के अतिरिक्त कुछ अन्य महापुरूषों के तैल चित्र स्थापित किये गये । कोरोना काल में पूरी तरह आवश्यक सावधानी बरतते हुए सत्र का आयोजन किया गया । सभा में ग्लास पार्टीशन के माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन निश्चित रूप से सराहनीय एवं अनुकरणीय था । कोरोना काल में छत्तीसगढ़ विधान सभा में ’’प्रश्नकाल’’ हुआ । जबकि कई राज्यों की विधान मंडलों में ’’प्रश्नकाल’’ की कार्यवाही स्थगित रखी गयी । 
                        
    डाॅ. चरणदास महंत की परिकल्पना के अनुरूप 29 अगस्त, 2020 को नवा रायपुर के सेक्टर-19 में नवीन विधान सभा भवन के निर्माण हेतु भूमिपूजन का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ । इस अवसर पर डाॅ. महंत ने छत्तीसगढ़ के निर्माण में भागीदारी निभाने वाले पुरखांे को नमन करते हुए कहा कि- यह भवन नहीं, लोकतंत्र का मन्दिर है ।  इस भवन का स्वरूप दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के सामने स्थित नार्थ-एवेन्यू एवं साउथ-एवेन्यू जैसा होगा ।

छत्तीसगढ़ विधानसभा अपनी दो दशकों की इस यात्रा में सफलता और सम्मान के अनेक अध्यायों को सृजित करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रही है । आरंभ से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ विधान सभा ने संसदीय मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ अपनी सामाजिक सरोकारिता को भी सिद्ध किया है । विनम्र, मृदुभाषी, मिलनसार, संवेदनशील एवं दीर्घ संसदीय अनुभव रखने वाले डाॅ. चरणदास महंत छत्तीसगढ़ विधान सभा की अनमोल संसदीय विरासत के ध्वजवाहक हैं । ऐसा विश्वास है कि-उनके कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ विधान सभा देश एवं विदेशों के संसदीय परिदृश्य में नई ऊंचाइयों को स्पर्श करेगा ।