केके पाठक
ब तक हम मानवता पर विश्वास नहीं करते- जब तक हम अपने आप को मानव नहीं मानते, जब तक हम अपने आप को एक ही ईश्वर की संतान नहीं मानते, जब तक हम अपने ऊपर लदे, जातिवाद, धर्मवाद, पंथवाद संप्रदायवाद, के झूठे लाबादों से, झूठे आवरणो से अपने आपको अलग नहीं करेंगे- जब तक हम यह नहीं मानगे कि ईश्वर एक ही है, जो वास्तविक सच्चाई है। जब तक हम यह नहीं मानते कि- यह देश, दुनिया हमारी अपनी है,जो ईश्वर ने हमें उपहार में दी है, हम सब आपस में एक ही है, अलग-अलग नहीं। रहते जरूर अलग-अलग हैं- हमारे नाते रिश्ते जरूर अलग-अलग हैं। लेकिन हमारी आत्मा एक है।और हमारा देश एक है- जब तक हमारे देश पर जातिवाद, धर्मवाद, पंथवाद, मजहबवाद, ऊंचा- नीचा छोटा- बड़ा का अस्थाई भेदभाव है। लेकिन हमारी मंजिल एक है, हम एक देश के नागरिक हैं।अनेकता में एकता हमारे देश का मूल- मंत्र है- यह केवल समझाने के लिए या कहने के लिए नहीं वास्तविक सच्चाई है, तब तक कोई हमारे देश को कोई बांट नहीं सकता तब तक कोई हमें आपस में लड़ा नहीं सकता। हम मानव हैं, हमें अपना देश और अपनी दुनिया से प्यार है। हम मानव- मानव से प्यार करते हैं।
मारे देश में आजकल राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे की दुश्मन बनी हुई है, वे अपना उल्लू सीधा करने के लिए अपना शासन प्रदेशों में और देश में लाने के लिए हम देशवासियों को आपस में लडवाने की कोशिश करती हैं जातियों के नाम पर बांटने की कोशिश करती हैं,धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश करते हैं, मजहब के नाम पर बांटने की कोशिश करते हैं, उनके लिए अपना शासन सर्वोच्च प्राथमिकता है, अपना देश और अपने देश वासी नहीं ? ऐसी गिरी हुई अगर सोच हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों की होगी तो दूसरे देश भी हमारे देश के ऊपर हावी होने की कोशिश करेंगे, अभी बीच में स्पष्ट बयानबाजी में सुनाई दे रहा था, कि हम फ़ला फ़ला देश की मदद से ऐसा वैसा करवा देगे, उनको देश की एकता और अखंडता और देशवासियों से प्यार मोहब्बत नहीं है, उन्हें केवल अपना शासन चाहिए, उन्हें केवल राजशाही चाहिए। उन्हें केवल हराम का पैसा चाहिए। वे अपने देश के साथ भी गद्दारी करने से नहीं कतराते। हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों को कम से कम इतना तो समझना चाहिए कि हमारा देश सर्वोच्च है। हमारा देश हमारी प्राथमिकता है। हमारा देश प्रेम हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।अगर हमारा देश ही नहीं बचेगा तो फिर हम क्या करेंगे, शायद उनकी सोच इससे भी गिरी हुई है उनको देश के टूटने और देश की एकता अखंडता से कोई लेना देना नहीं है, उनको सिर्फ हराम की कमाई, हराम का पैसा, शासन और सत्ता चाहिए। इसके लिए वे अपना जमीर भी बेचने को तैयार हैं। अपने देश के साथ भी गद्दारी करने को तैयार हैं। और कर भी रहे हैं।
हमारे देशवासियों को चाहिए कि वे ऐसे लोगों को पहचाने और उन्हें सबक सिखाएं क्योंकि उन्हें सबक देश के नागरिक ही सिखा सकते हैं। उनका वजूद खत्म करके ऐसी देश विरोधी राजनीतिक पार्टियों का कतई समर्थन ना करें, उन्हें हमें अपने देश के नागरिक होने के नाते मिले अधिकार वोट के अधिकार से वंचित कर दें, ऐसी राजनीतिक पार्टियों का वजूद शून्य कर दें। उन्हें अपने आप समझ में आ जाएगा। वैसे दुनिया के कई बड़े बड़े देश हमारे देश को बांटने की बुरी नियत में शामिल हैं जिसका मुख्य कारण हमारे देश के कुछ गद्दार है जो उनसे मिले हुए हैं। कुछ छोटे देश भी छद्म युद्ध के नाम से, आतंकवाद के नाम से नक्सलवाद के नाम से हमारे देश को अस्थिर करने की हमेशा कोशिश करते रहते हैं, इसमें भी हमारे ही देश की राजनीतिक पार्टियां उनको सह देती हैं। आज की इस 21वीं सदी में और आज के इस आधुनिक युग में हमारी देश की जनता मैं इतनी जागृति होनी चाहिए कि वह देश के लोकतांत्रिक चुनावों में, अपना एजेंडा रखें- अभी तक चुनाव में राजनीतिक पार्टियां एजेंडा रखती हैं- आम जनता को अपना एजेंडा रखना चाहिए की इस देश से- जातिवाद,धर्मवाद, पंथवाद, मजहबवाद- का भेदभाव खत्म कर संपूर्ण भारत की आम जनता को संविधान के अनुसार आम नागरिक माने सारी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा।
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