Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

डॉ. रेणु स्वरूप, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार
इस वर्ष हमने राष्ट्रीय बालिका दिवस बिल्कुल ही अलग माहौल में मनाया। महामारी ने बुनियादी सेवाओं के नए तौर-तरीके से लेकर शिक्षा के नए मॉडल तक लोगों के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। अब जबकि हमारे बच्चे धीरे-धीरे स्कूलों की ओर लौट रहे हैं और कोविड के खिलाफ वैक्सीन के विकास में सफलता मिलने के बाद हमारा आत्मविश्वास बहाल हुआ है, तो हमें इस अवसर का लाभ उठाते हुए आम लोगों के खतरे को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। हमारा मुख्यइ ध्यान बालिकाओं को सशक्त बनाने के प्रयासों को मजबूत बनाने पर होना चाहिए, खासतौर से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्योंकि यह वह क्षेत्र है जिसने समूची मानव जाति के लिए एक अधिक सुरक्षित विश्व को आकार देने में महत्वेपूर्ण भूमिका निभाई है। 
यह हमें समाज के हर स्तर पर लैंगिक समानता की मानसिकता का विकासकरने की ओर बढऩे के लिए प्रेरित करता है। पिछले कुछ सालों में भारत इस मायने में काफी आगे बढ़ चुका है। हमारी बालिकाओं के लिए देश की प्रथम महिला जीव वैज्ञानिक जानकी अम्मचल से लेकर पहली महिला चिकित्सेक आनंदी बाई जोशी तक बहुत सारे आदर्श उपस्थित हैं। हाल के वर्षों में हमारी महिलाओं ने मंगलयान मिशन का भी नेतृत्वस किया है। 26 जनवरी को पहली महिला फाइटर पायलट, फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगी। ऐसे और भी बहुत से उदाहरण हमारे सामने हैं।  भारत सरकार ने बालिकाओं को सशक्तट बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। खासतौर से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने महिलाओं के लिए जैव प्रौद्योगिकी संबंधी करियर एडवांसमेंट रीओरिएंटेशन प्रोग्राम (बायो केयर) शुरू किए हैं। विज्ञान ज्यो ति, विज्ञान प्रतिभा और गति (जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस) आदि उत्कृष्ट  विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वापूर्ण कार्यक्रम हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जा सकता है।
हमें अभी काफी लंबी दूरी तय करनी है। हमें विज्ञान शिक्षा के मामले में अपनी बालिकाओं की संभावनाओं का पता लगाने के लिए सुदृढ़ आधार बनाने की जरूरत है और इसके लिए सभी हितधारकों-परिवार, स्कूल व्यवस्था्, कॉरपोरेट सेक्टकर और निश्चय ही खुद महिलाओं की ओर से सतत और समन्वित प्रयास किए जाने की जरूरत है। बालिकाओं के लिए विज्ञान शिक्षा तक पहुंच बनाना भी एक अन्यज क्षेत्र है जिसे हमें स्थावनीय स्तार पर सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। अवसर और पहुंच जैसे निर्णायक कारकों तक प्रतिभाशाली बालिकाओं की पहुंच सुनिश्चित होगी तभी वे उच्च कोटि की वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी संबंधी उपलब्धियां हासिल करने में समर्थ होंगी। 
सरकार समर्थित पहलों के साथ-साथ हमें ऐसे परिवर्तनकारी बदलावों पर भी ध्याोन देना होगा जो विज्ञान की शिक्षा के जरिए बालिकाओं को सशक्ता बनाने और उनकी प्रगति के लिए जरूरी हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है उनके लिए मजबूत नींव तैयार करना जो कि समाज की मानसिकता में बदलाव लाने से ही संभव है। देश के कई हिस्सों  में अभी भी बालिकाओं को शिक्षा प्राप्ते करने के लिए स्कूकल तक आने-जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।बहुत सारी बालिकाएंअपना करियर भी खुद नहीं चुन सकती। परिवारों को बालिकाओं को उच्चश शिक्षा और अपना करियर चुनने के मामले में खुद निर्णय लेने के लिए न सिर्फ तैयार करना चाहिए, बल्कि उन्हें  पूरा समर्थन भी देना चाहिए। इसके साथ ही व्यिवस्था  को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रयोगशालाओं से लेकर विज्ञान की शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थायन उनके घर के आसपास ही हों और उन तक बालिकाओं की पहुंच अधिक आसान हो।
इन परिवर्तनकारी बदलावों को वास्ताविक रूप देने के लिए हमें बालिकाओं के लिए अधिक-से-अधिक आदर्श तैयार करने होंगे, विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों का प्रदर्शन करना होगा और इन आदर्शों को न सिर्फ  राष्ट्रीय स्तर पर हीरो की तरह दर्शाना होगा, बल्कि सामुदायिक स्तार पर भी यह काम करना होगा। ऐसा तभी हो सकता है जब ऐसी महिलाओं के नेतृत्व में नवाचार पहल हों जो स्वनतंत्र रूप से अनुसंधान और विकास परियोजनाएं चलाने का अवसर प्राप्त  कर चुकी हों। जैव प्रौद्योगिकी विभाग की जैव प्रौद्योगिकी संबंधी करियर एडवांसमेंट एंड रीओरिएंटेशन प्रोग्राम (बायो केयर) योजना विश्वविद्यालयों में पूर्णकालिक तौर पर काम कर रहीं या छोटी अनुसंधान प्रयोगशालाओं में काम करने वाली अथवा बेरोजगार महिला वैज्ञानिकों के लिए ऐसे ही अवसर उपलब्ध कराती है। पूर्वोत्तर भारत में जैव प्रौद्योगिकी एवं लाइफ साइंस से जुड़े सेकंडरी स्कूल और डीबीटी की प्राकृतिक संसाधन संबंधी जागरूकता पैदा करने वाले क्लबों ने विज्ञान शिक्षा को छात्रों तक ले जाने की ऐसी तकनीक का विकास किया है जो न सिर्फ छात्रों की जिज्ञासा बढ़ाती है बल्कि उन्होंने विज्ञान को करियर के रूप में चुनने के लिए भी प्रोत्सा हित करती है। 
इस क्षेत्र में सफलता की तीन कुंजियां हैं: बालिकाओं तक विज्ञान शिक्षा की पहुंच को सुदृढ़ बनाना, बालिकाओं को वित्तीय और सामाजिक तौर पर सशक्त् बनाना और ऐसी व्यृवस्थात बनाना जो महिला वैज्ञानिकों और बालिकाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) की पढ़ाई करने, अपनी कुशलता को लगातार बढ़ाने और विज्ञान संबंधी नवाचारों में संलिप्तब होने के लिए प्रेरित करे। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जागरूकता, प्रतिबंद्धता और स्पेष्टज रोडमैप के साथ भारत अकादमिक, खेल, व्यवसाय और उद्यमिता जैसे जीवन के सभी क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं की एक पूरी पीढ़ी तैयार कर सकता है। महिलाओं के पास एक आंतरिक शक्ति होती है। हमें ऐसा मजबूत नेतृत्वयकारी विकास पहल करनी होगी, जिनके जरिए बालिकाएं अपने करियर में आगे बढ़कर उच्चेतम स्तषर को प्राप्त  कर सकें।  मुझे विश्वास है कि हमारे आगे एक ही रास्ताा है: स्कूल स्तवर पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित कीसर्वोत्तम शिक्षा प्रदान कर बालिकाओं को एक मजबूत, लैंगिक दृष्टि से समान वैज्ञानिक आधार हासिल करने में मदद करना।