
केके पाठक
हमें अपनी जिंदगी हमेशा होश में जीना चाहिए। हमारे जीवन में किसी भी प्रकार का नशा हमारे समाज देश और दुनिया के लिए एक- अभिशाप है। जो हमारे जीवन को और हमारे जीवन के संबंध को धीरे- धीरे दीमक की तरह खोकला और मिटा रहा है- हमारे देश के अधिकांश लोग किसी ना किसी प्रकार के नशो के शिकार हैं, सबसे ज्यादा दुख की बात यह है कि हमारे देश में 18 वर्ष से कम आयु के लाखों-करोड़ों बच्चे भी कई तरह के नशो के शिकार हैं, जिस में मुख्य रूप से शराब, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट पंचर बनाने का सुलोचन, भांग गांजा, अफीम और कई लोग तो अंग्रेजी दवाइयों के नशो के शिकार हैं, जिसमें खांसी के सिरप वगैरा शामिल हैं, यह हमारे देश के लिए एक चिंतनीय विषय है, कि हमारे देश का आने वाला भविष्य पहले से ही लडख़ड़ा रहा है, उसे होश ही नहीं है। कि हम कल के सुनहरे भारत के भविष्य हैं। जब इन बच्चों का वर्तमान इतना बुरा है, तो भविष्य का अनुमान आप स्वयं लगा सकते हैं।
हमारे देश में ऐसे कृत्यो पर, कड़ाई से रोक लगाए जाने की आवश्यकता है। व्यक्ति का जीवन खुद एक नशा है जिस में जितने अच्छे से अच्छे कार्य हो सके, हमें करने की कोशिश करना चाहिए। हमें अपने जीवन में जातिगत, धर्मगत और के भेदभाव से दूर मानवता के दुख दर्द के लिए अपना जीवन समर्पित रखना चाहिए। जियो और जीने दो की राह पर चलना हमारे जीवन का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। लालच और अहंकार हमारे जीवन को बर्बाद कर देते हैं, यदि हम सिर्फ अपने विषय में सोचते हैं, तो हम अहंकारी और आपनी जान पहचान, शारीरिक बल, धन के बल का दुरुपयोग करने वाले मानव है। हमें इस दुनिया में हर चीज केवल उपयोग करने के लिए मिली हुई है, परमपिता ईश्वर की ऐसी व्यवस्था है- कि हम इस दुनिया में आकर केवल और केवल इस दुनिया के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। उसे अपनी जिंदगी समाप्त होने के बाद अपने साथ नहीं ले जा सकते, इसीलिए कहा गया है- कि ना कुछ लेकर आए हैं, और ना कुछ लेकर जाएंगे। जो कुछ हमें मिला सब यहीं से मिला और सब यहीं छूट जाएगा। हमें क्षणिक लालच में पड़कर किसी दूसरे के जीवन में जहर खोलने का कोई अधिकार नहीं है। हमें सदैव यह कोशिश करना चाहिए, कि हमारे पड़ोसी और आसपास वालों को हमारे कारण कोई दुख तकलीफ ना हो हमें- सदैव मिलनसार जिंदगी व्यतीत करने की कोशिश करना चाहिए, देश समाज व आने वाली पीढ़ी को सकारात्मक आचरण रखने वाली आदतों को सिखाना चाहिए- जितना ज्यादा हम अच्छे कार्यों की ओर बढ़ेंगे, हमें देखने वाले जानने और समझने वाले अपने आप उस रास्ते पर आगे बढ़ते जाएंगे। यदि हम बुराई की ओर बढ़ते हैं तो कई लोग हमारा अनुसरण करना शुरू कर देते हैं। यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी शर्म की बात है- कि हम अपना जीवन तो बर्बाद कर ही रहे हैं, साथ ही साथ हम आने वाली पीढ़ी के जीवन को भी बर्बादी की ओर ढकेल रहे हैं, अभी भी कोई खास देर नहीं हुई है जब जागो तब सवेरा हमें अपने जीवन को सदैव बुराइयों का त्याग कर अच्छाइयों की ओर बढऩा चाहिए और यह सब हमें अपने आचरण से करके दिखाना होगा। कहा गया है कि असली उपदेश वाणी से नहीं आचरण से दिए जाते हैं। जब हमारा आचरण उच्च श्रृंखला का होगा, तो हमारी आने वाली पीढ़ी भी उसका अनुसरण करेगी जिससे हमारे- गांव कस्बे शहर प्रदेश, देश और विश्व का कल्याण होगा। समाज में अच्छाइयों का फैलाना भी एक बहुत बड़े धर्म का काम है। हमें अपने जीवन में परोपकार, सच्चाई, ईमानदारी और श्रम करने का नशा होना चाहिए, तभी हमारा देश एक महान संस्कारों वाला देश बन पाएगा। हमें दुनिया में अच्छाइयों को छोड़कर जाना चाहिए, दुनिया भर के नशो से दूर, सादा जीवन उच्च विचार, शुद्ध भोजन सदाचरण जैसे अच्छे कर्मों को अपने जीवन में उतारना चाहिए और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाए रखना चाहिए, ताकि हमारे देश से नशो के कारण, होने वाले अपराध, दुर्घटनाओं और अपने आचरण से दी गई गलत शिक्षा पर विराम लग सके। और हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ स्वच्छ कर्मठ श्रम से प्रेम करने वाली, ईमानदारी, सच्चाई और वफादारी से परिपूर्ण हो। हमें सदैव अपने जीवन में अच्छी और उच्च बातों का इस्तेमाल करना चाहिए। शब्दों की दरिद्रता से दूर अच्छी सीख अपने आचरण से छोडऩा चाहिए। यही हमारे समाज प्रदेश और देश दुनिया की सबसे बड़ी सेवा है।